देश की आबादी भले ही दुनिया में टॉप पर हो, लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में अभी भी भारतीय काफी पीछे हैं। ताजा आंकड़ों में यह सामने आया कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की सिर्फ 6.68 प्रतिशत आबादी ने ही आयकर रिटर्न दाखिल किया। पीटीआई की खबर के मुताबिक, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को संसद को यह जानकारी दी है। मंत्री ने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 में 8.09 करोड़ से ज्यादा इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल किए गए, हालांकि यह वित्त वर्ष 2022-23 में 7.40 करोड़ से अधिक थे।
आयकर रिटर्न भरने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या
खबर के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 में फाइल किए गए आईटीआर की संख्या 6.96 करोड़ से अधिक थी, जो वित्त वर्ष 2021 में 6.72 करोड़ से अधिक और वित्त वर्ष 20 में 6.48 करोड़ से अधिक थी। चौधरी ने राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 में इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाली आबादी का प्रतिशत 6.68 प्रतिशत है।
वित्त वर्ष 2023-24 में आयकर रिटर्न भरने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या 8,09,03,315 है। उन्होंने आगे कहा कि अपने आईटीआर में जीरो टैक्स योग्य इनकम की रिपोर्ट करने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या आकलन वर्ष 2023-24 में 4.90 करोड़ है, जो 2022-23 में 4.64 लाख थी।
आईटीआर की प्रक्रिया पर इसकी हुई वकालत
हाल ही में एक सर्वेक्षण में आयकर दाखिल करने वाले ज्यादातर लोगों ने आईटीआर की प्रक्रिया का सरल, प्रोत्साहनों और कटौतियों की गणना को आसान और एक दर एक खंड के लिए टीडीएस ढांचे के सरलीकरण की वकालत की है। डेलॉयट के आयकर नीति सर्वेक्षण में फॉर्म 16ए जारी करने की जरूरत को खत्म करने का भी सुझाव दिया गया, क्योंकि टीडीएस की जानकारी पहले से ही प्राप्तकर्ता के फॉर्म 26एएस और एआईएस में उपलब्ध हो जाती है।
इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर एक तरह का फॉर्म होता है, जिसमें आपकी इनकम की सभी जानकारी भरी होती है। अभी 7 तरह के आईटीआर फॉर्म मौजूद हैं। कंपनी या फिर व्यक्ति को आईटीआर फाइल करने की एक तय डेट तय होती है, लेकिन खास परिस्थितियों में सरकार इनकम टैक्स भरने की तारीख आगे भी बढ़ा सकती है।






































