DA Increment Today: आमतौर पर सरकार एक साल में दो बार केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते की समीक्षा करती है, जिसके तहत डीए में बढ़ोतरी को लेकर फैसला करती है। दिवाली से ठीक पहले सरकार ने अपने कर्मचारियों को जबरदस्त तोहफा दिया है।
एकीकृत पेंशन योजना यानी UPS कुल 23 लाख केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए है, जिसमें से 20 जुलाई तक लगभग 31,555 कर्मचारियों ने यूपीएस का विकल्प चुना था।
एकीकृत पेंशन योजना यानी यूपीएस उन केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर लागू होता है जो एनपीएस के तहत आते हैं और जो 1 जनवरी, 2004 को लागू हुए एनपीएस के तहत इस विकल्प को चुनते हैं।
फैसले के बाद कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई राहत को उनके मूल वेतन के 53 प्रतिशत से बढ़ाकर 55 प्रतिशत कर दिया गया है।
राज्य के हजारों-लाखों कर्मचारियों और पेंशनहोल्डर्स को अब 1 जनवरी से नया महंगाई भत्ता मिलेगा। यानी इनकी सैलरी और पेंशन में बढ़ोतरी होगी।
राज्य सरकार ने मार्च में 52,000 रुपये से अधिक मासिक वेतन वाले कर्मचारियों के लिए अधिकतम 20,000 रुपये तक का ब्याज मुक्त एडवांस स्वीकृत करने का भी फैसला लिया है।
8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में जोरदार बढ़ोतरी हो जाएगी। सरकार पर इसकी अतिरिक्त लागत भी काफी बढ़ जाएगी।
सरकार की तरफ से यह भी कहा गया है कि उचित संशोधनों के साथ, यह लाभ प्राथमिक शिक्षकों और पंचायतों में प्रतिनियुक्ति या स्थानांतरण पर कार्यरत कर्मचारियों को भी मिलेगा, जिन्हें आयोग के मुताबिक वेतन संशोधन के लिए मंजूरी दी गई है।
यूपीएस योजना में पेंशन कम-से-कम 10 साल की सेवा अवधि के लिए आनुपातिक आधार पर तय होगी। साथ ही, न्यूनतम 10 साल की सेवा के बाद रिटायरमेंट पर 10,000 रुपये प्रति माह की पेंशन भी सुनिश्चित की गई है।
फाइनेंशियल प्रोत्साहन के अलावा सरकारी कर्मचारियों के लिए रोजमर्रा के ट्रांजैक्शन को यह कार्ड आसान बनाने में सक्षम है। बैंक ने हाल ही में नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के साथ पार्टनरशिप की है।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए छठे वेतन आयोग के तहत नए वेतनमान का ऐलान किया है। राज्य सरकार ने ऐलान किया है कि जो कर्मचारी अनुबंध पर काम कर रहे हैं उन्हें अब 2 साल में नियमित किया जाएगा।
नियमों के मुताबिक, कोई भी कर्मचारी ऐसे बयान नहीं देगा, जिसमें केंद्र या राज्य सरकार या सीपीएसई की नीतियों और कार्यों की प्रतिकूल आलोचना का प्रभाव हो
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