Wednesday, December 11, 2024
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Bhaum Pradosh 2024: 23 जनवरी को रखा जाएगा भौम प्रदोष का व्रत, इस मुहूर्त में करें पूजा, भगवान शिव की बरसेगी कृपा

Bhaum Pradosh 2024 Vrat: मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं कि भौम प्रदोष की पूजा किस शुभ मुहूर्त में की जाएगी।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Vineeta Mandal Published : Jan 22, 2024 20:33 IST, Updated : Jan 22, 2024 20:38 IST
Bhaum Pradosh 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Bhaum Pradosh 2024

Bhaum Pradosh Vrat 2024: 23 जनवरी, मंगलवार को प्रदोष व्रत किया जाएगा। प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत करने का विधान है। चूंकि कल मंगलवार का दिन है और मंगल का एक नाम भौम भी है, इसलिए मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत है। बता दें कि मंगल का सीधा संबंध कर्ज से है। अतः आज भौम प्रदोष व्रत का दिन कर्ज से मुक्ति पाने के लिए बहुत ही श्रेष्ठ है। इस दिन मंगल से संबंधित चीजें गुड़, मसूर की दाल, लाल वस्त्र, तांबा आदि का दान करने से सौ गौ दान के समान फल मिलता है। 

भौम प्रदोष 2024 व्रत शुभ मुहूर्त

  • पौष माह के शुक्ल पक्ष प्रदोष की त्रयोदशी तिथि आरंभ- 22 जनवरी 2024 को शाम 7 बजकर 51 मिनट से
  • पौष माह के शुक्ल पक्ष प्रदोष की त्रयोदशी तिथि समापन- 23 जनवरी 2024 को रात 8 बजकर 39 मिनट तक
  • भौम प्रदोष व्रत तिथि- 23 जनवरी 2024
  • प्रदोष काल का समय- 23 जनवरी को शाम 5 बजकर 52 मिनट से रात 8 बजकर 33 मिनट तक

भौम प्रदोष व्रत विधि

 त्रयोदशी तिथि की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है उसपर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। इस दिन व्रती को नित्यकर्मों से निवृत होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूरे दिन उपवास के बाद शाम के समय फिर से स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए और ईशान कोण में प्रदोष व्रत की पूजा के लिए स्थान का चुनाव करना चाहिए।

पूजा स्थल को गंगाजल या साफ जल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर मंडप तैयार करना चाहिए। इस मंडप में पांच रंगों से कमल के फूल की आकृति बनाइए। चाहें तो बाजार में कागज पर अलग-अलग रंगों से बनी कमल के फूल की आकृति भी ले सकते हैं। साथ में भगवान शिव की एक मूर्ति या तस्वीर भी रखिए। इस तरह मंडप तैयार करने के बाद पूजा की सारी सामग्री अपने पास रखकर कुश के आसन पर बैठकर, उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके शिव जी की पूजा करें।

पूजा के एक-एक उपचार के बाद 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें। जैसे पुष्प अर्पित करें और 'ऊँ नमः शिवाय' कहें, फल अर्पित करें और 'ऊँ नमः शिवाय' जपें। शिवजी की पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा भी करनी चाहिए और उन्हें सिंदूर चढ़ाना चाहिए, क्योंकि यह भौम प्रदोष व्रत है और भौम प्रदोष में हनुमान जी की भी पूजा की जाती है।

भौम प्रदोष व्रत महत्व

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से भगवान भोलेनाथ जातकों की हर मनोकामनाओं को पूरी करते हैं। वहीं भौम प्रदोष व्रत के दिन पूजा और उपवास करने से शिवजी के साथ हनुमान जी की भी कृपा प्राप्त होती है।

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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