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Navratri Ghatasthapana Muhurat 2024: अगर सुबह नहीं कर पाएं हैं तो अब इस मुहूर्त में करें घटस्थापना, मां अंबे की बरसेगी कृपा

Navratri 2024: नवरात्रि में घटस्थापना या कलश स्थापना करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती है और घर में सुख, सौभाग्य की बरसा करती हैं। अगर आप भी घटस्थापना करना चाहते हैं तो जान लीजिए शुभ मुहूर् और मंत्र।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Oct 03, 2024 9:31 IST, Updated : Oct 03, 2024 9:31 IST
Navratri 2024- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Navratri 2024

Shardiya Navratri Ghatasthapana 2024 Time: आज से शारदीय नवरात्रि का पावन उत्सव शुरू हो गया है। देवी मां के भक्तों को इस दिन का बड़ी बेसब्री के साथ इंतजार रहता है। नवरात्रि को शक्ति की उपासना का पर्व माना जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा के मंदिरों में भक्तों की खास भीड़ रहती है।  वहीं भक्तगण मां शेरावाली को प्रसन्न करने के लिए अपने घरों में भी विशेष पूजा अर्चना करते हैं। नवरात्रि में घटस्थापना या कलश स्थापना करने का भी विधान है। तो यहां जानिए कि घटस्थापान के लिए सही मुहूर्त क्या है।

नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 2024

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 3 अक्टूबर को रात 12 बजकर 18 मिनट से हो चुका है। प्रतिपदा तिथि का समापन  4 अक्टूबर को रात 2 बजकर 58 मिनट पर होगा। घटस्थापना के लिए पहला मुहूर्त सुबह का था, जो कि अब समाप्त हो चुका है। घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 7 बजकर 22 मिनट तक का था। अब घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त उत्तम रहेगा। अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 मिनट 33 तक का रहेगा। 

इस समय न करें घटस्थापना

प्रतिपदा तिथि के दिन का पहला एक तिहाई भाग घटस्थापना के लिए सर्वाधिक शुभ समय माना जाता है। यदि किसी कारणवश यह समय उपलब्ध न हो तो अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना की जा सकती है।  चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में घटस्थापना नहीं करना चाहिए।  मध्याह्नकाल, रात्रिकाल और सूर्योदय के उपरांत सोलह घटी के बाद का कोई भी समय घटस्थापना के लिए वर्जित माना गया है। अशुभ काल में घटस्थापना करने से देवी मां नाराज हो सकती हैं। अमावस्या और रात्रिकाल में घटस्थापना निषिद्ध होती है।

कलश स्थापना का मंत्र

  • ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:।  पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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