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तेलंगाना की कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका, हाई कोर्ट ने 2 MLC का नामांकन रद्द किया

दासोजू और सत्यनारायण का राज्यपाल कोटे के तहत विधान परिषद में नामांकन बीआरएस के पिछले शासन के दौरान तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने खारिज कर दिया था।

Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Published : Mar 07, 2024 18:17 IST, Updated : Mar 07, 2024 18:22 IST
तेलंगाना हाई कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : ANI तेलंगाना हाई कोर्ट

 हैदराबादः तेलंगाना हाई कोर्ट ने सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार को करारा झटका देते हुए बृहस्पतिवार को राज्यपाल कोटे के तहत तेलंगाना राज्य विधान परिषद के सदस्यों के रूप में एम कोदंडराम और आमेर अली खान के नामांकन को रद्द कर दिया। हाई कोर्ट ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेताओं श्रवण दासोजू और के सत्यनारायण के नामांकन को खारिज करने संबंधी राज्यपाल के 19 सितंबर, 2023 के आदेश को भी रद्द कर दिया।

बीआरएस नेताओं ने हाई कोर्ट में डाली थी याचिका

दासोजू और सत्यनारायण का राज्यपाल कोटे के तहत विधान परिषद में नामांकन बीआरएस के पिछले शासन के दौरान तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन ने खारिज कर दिया था। राज्यपाल द्वारा विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के रूप में उनके नामांकन को खारिज करने के आदेश को चुनौती देते हुए श्रवण दासोजू और सत्यनारायण ने पहले हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी।

राज्यपाल ने कांग्रेस के दो नेताओं को एमएलसी मनोनीत किया था

इस वर्ष जनवरी में तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने राज्यपाल कोटे के तहत कोदंडराम और आमेर अली खान को एमएलसी के रूप में नामित किया था। इसके बाद, याचिकाकर्ताओं ने विधान परिषद के सदस्यों के रूप में कोदंडराम और आमेर अली खान (प्रतिवादी संख्या 4 और 5) के पक्ष में मंत्रिपरिषद द्वारा की गई सिफारिशों और 27 जनवरी, 2024 की राजपत्र अधिसूचना (जिसके द्वारा उन्हें एमएलसी के रूप में नामांकित किया गया था) को भी चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने 30 जनवरी को निर्देश दिया था कि यथास्थिति बरकरार रखी जाए।

हाई कोर्ट ने फैसले में क्या कहा

मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति अनिल कुमार जुकांति की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को रिट याचिकाओं पर सुनाये गये फैसले में कहा, ‘‘19 सितंबर, 2023 के आदेशों को रद्द कर दिया गया है और प्रतिवादी क्रमांक 4 और 5 के पक्ष में 13 जनवरी 2024 की मंत्रिपरिषद की बाद की सिफारिश, राज्यपाल के आदेश और 27 जनवरी 2024 की राजपत्र अधिसूचनाएं रद्द की जाती हैं।’’ इसने कहा कि इसके अलावा, राज्यपाल के पास आवश्यक दस्तावेज/जानकारी प्रस्तुत करने या मंत्रिपरिषद द्वारा की गई सिफारिश पर पुनर्विचार करने के लिए मामले को मंत्रिपरिषद को भेजने का अधिकार है।

बीआरएस नेता ने राज्यपाल से की ये अपील

अदालत के आदेश में कहा गया है, ‘‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 361 के मद्देनजर राज्यपाल न्यायालय के प्रति जवाबदेह नहीं है। राज्यपाल को कोई सकारात्मक निर्देश जारी नहीं किया जा सकता। इन मामलों के तथ्यों और परिस्थितियों में हालांकि यह अदालत उम्मीद करती है कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी। अदालत ने रिट याचिकाओं का निपटारा कर दिया। संपर्क करने पर, श्रवण दासोजू ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए और उन्होंने राज्यपाल से उन्हें राज्यपाल कोटे के तहत एमएलसी के रूप में नियुक्त करने की अपील की।

इनपुट-भाषा

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