केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा चुनावों की तरफ एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए चुनाव आयोग ने अंतिम मतदान सूचि को प्रकाशित कर दिया है जिसमें कुल मतदाता संख्या 86.93 लाख तक पहुंच गई है।
29 अगस्त को हुई 12वें दिन की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि जम्मू-कश्मीर को कितने समय में दोबारा राज्य का दर्जा मिल पाएगा। इसे लेकर आज केंद्र की तरफ से जवाब दाखिल किया गया है।
जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे वहां राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो रही हैं। विधानसभा चुनाव से पहले जम्मू कश्मीर में एक और राजनीतिक पार्टी बन गई है। इसे बनाया है श्री श्री रविशंकर के संगठन से से जुड़े संजय कुमार ने।
Jammu-Kashmir Election: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां जोरो पर है। चुनाव आयोग पूरी तरह से राज्य में मतदान कराने के लिए हर तरह से तैयारी कर रहा है।
मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर को 2 केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था।
चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों को लेकर बड़ी बात कही है। आयोग ने कहा कि इस साल के आखिर में जम्मू-कश्मीर विधासभा के चुनाव कराए जाएंगे। वहीं, चुनाव की तारीखों को लेकर आयोग ने कहा कि तारीखों का ऐलान अमरनाथ यात्रा के बाद किया जाएगा।
जम्मू कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है जबकि अन्य विधानसभाओं और लोकसभा का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है।
पीडीपी और दो सदस्यों वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस द्वारा सरकार बनाने के दावे करने वाले पत्र बुधवार को राज्यपाल के पास कथित रूप से नहीं पहुंच पाए थे।
गौरतलब है कि बुधवार की शाम महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी के 29, नेकां के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों को मिलाकर 56 विधायकों का समर्थन हासिल होने का दावा करते हुए सरकार बनाने की पेशकश की थी। इसके बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का फैसला किया।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने महबूबा मुफ्ती की सरकार से 19 जून को समर्थन वापस ले लिया था, और इसके अगले ही दिन सूबे में राज्यपाल शासन लागू हो गया था।
नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने हालांकि उम्मीद जताई कि राज्य में स्थिरता की बहाली के लिए प्रदेश में कुछ समय तक राज्यपाल शासन रहेगा।
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Uproar by Opposition in Jammu & Kashmir Assembly over the issue of ceasefire violations along LoC
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