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अटलांटिक महासागर से मैक्सिको की खाड़ी तक फैली 8,850 KM लंबी भूरी लाइन, वैज्ञानिक भी हुए परेशान

अटलांटिक महासागर से मैक्सिको की खाड़ी तक एक भूरी लाइन तेजी से बढ़ रही है, जिसे देखकर वैज्ञानिक भी परेशान हो गए हैं। ये न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है बल्कि आर्थिक रूप से भी नुकसानदेह है।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published : Oct 05, 2025 11:04 pm IST, Updated : Oct 05, 2025 11:04 pm IST
Atlantic Ocean, Gulf of Mexico- India TV Hindi
Image Source : NASA EARTH OBSERVATORY भूरी लाइन देखकर वैज्ञानिक भी परेशान

वैज्ञानिक अपनी खोजों से दुनिया को आश्चर्यचकित करते हैं लेकिन समुद्र में कुछ ऐसा हो रहा है, जिसे देखकर खुद वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित रह गए हैं। दरअसल समुद्र में बीते 15 सालों से शैवालों की एक विशाल पट्टी विकसित हो रही है, जिसे अंतरिक्ष से अगर देखा जाए तो यह एक भूरे रंग के रिबन की तरह दिखाई देती है। 

लंबाई और वजन चौंका देगा

ये भूरा रिबन अफ्रीका के पश्चिमी तट को मेक्सिको की खाड़ी से जोड़ता है। इस रिबन की लंबाई 8,850 किलोमीटर है, जिसे देखकर वैज्ञानिक भी परेशान हैं। WION के मुताबिक, शैवालों की इस पट्टी के फैलाव की घटना को ग्रेट अटलांटिक सरगासम बेल्ट (GASB) कहा जाता है।

मई में प्राप्त उपग्रह चित्रों से पता चला है कि इसका वजन 37.5 मिलियन टन है। साल 2011 में पहली बार इसमें बढ़ोतरी देखी गई थी, उसके बाद से ये लगातार बढ़ रहा है और इसकी चौड़ाई भी काफी ज्यादा है। 

कहां पाई जाती है ये पट्टी?

सार्गासम आम तौर पर सार्गासो सागर के अल्पपोषी या पोषक तत्वों से रहित, गर्म और खारे पानी में रहता है। लेकिन इसके पोषक तत्वों से प्रेरित तेजी से विकास के कारण, यह अब पोषक तत्वों से भरपूर पानी में पाया जाता है जिसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है। यह सीधे पोषक तत्वों से प्रेरित शैवाल के उछाल से जुड़ा हुआ है। 

वैज्ञानिकों की परेशानी क्या है?

सार्गासम बेल्ट सिर्फ वैज्ञानिकों के लिए ही परेशानी नहीं है बल्कि ये पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाता है। दरअसल मछली, केकड़ा, झींगा, मकड़ियों, ईल, कछुओं जैसे जीवों और अन्य प्रजातियों के लिए ये बेल्ट एक विविध और जटिल पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है। 

हालांकि, इसके तेजी से प्रसारित होने से वैज्ञानिक परेशान हैं क्योंकि यह सूरज की रोशनी को मूंगा चट्टानों (कोरल रीफ्स) तक पहुंचने से रोकता है, जिससे उनकी फोटोसिंथेसिस प्रभावित होती है। इसका सड़ना हाइड्रोजन सल्फाइड, मीथेन और अन्य ग्रीनहाउस गैसें छोड़ता है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। यह कार्बन सिंक (जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं) को नष्ट कर सकता है।

आर्थिक प्रभाव क्या पड़ते हैं?

जब यह शैवाल तटों पर जमा होता है, तो यह तटीय क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाता है और पर्यटन, मछली पकड़ने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। इसे साफ करने की प्रक्रिया महंगी और बुनियादी ढांचे के लिए हानिकारक है। 

1991 में पड़ा था नकारात्मक प्रभाव

1991 में, फ्लोरिडा तट पर सार्गासम के जमाव के कारण एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा था। जैसे-जैसे महासागर गर्म होंगे, ये बेल्ट के विकास के लिए एक श्रेष्ठ तापमान सीमा भी प्रदान करेंगे। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ग्रेट अटलांटिक सार्गासम बेल्ट में बड़े पैमाने पर वृद्धि होगी; जलवायु परिवर्तनशीलता, हवा और धाराओं में परिवर्तन के कारण सार्गासो सागर के सुदूर उत्तर में सार्गासम बेल्ट का विस्तार हो सकता है।

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