Thursday, May 02, 2024
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फिलिस्तीन को UN की पूर्ण सदस्यता देने पर US ने लगा दिया वीटो, इजरायल ने कहा-"रॉयल अमेरिका"

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका ने इस तरह इजरायल का साथ निभाया कि बेंजामिन नेतन्याहू भी बाइडेन के मुरीद हो गए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मौका था फिलिस्तीन को पूर्ण सदस्यता देने के प्रस्ताव पर वोटिंग का। फिलिस्तीन को यूएनएससी के 15 में से 12 सदस्यों के वोट मिल चुके थे। मगर अमेरिका ने वीटो लगा दिया।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: April 19, 2024 18:41 IST
इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (प्रतीकात्मक)- India TV Hindi
Image Source : AP इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (प्रतीकात्मक)

संयुक्त राष्ट्रः फिलस्तीन को संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता प्रदान करने संबंधी प्रस्ताव के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अमेरिका ने अपनी ‘वीटो’ शक्ति का इस्तेमाल करके खेल बिगाड़ दिया है। इससे फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र का स्थाई सदस्य बनने से वंचित रह गया। इस प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका की ओर से वीटो पॉवर करने की इजरायल ने सराहना की। वहीं फिलस्तीन ने इसे अनुचित और अनैतिक करार देते हुए इसकी आलोचना की है। बता दें कि सुरक्षा परिषद में एक मसौदा प्रस्ताव पर बृहस्पतिवार को मतदान हुआ। इसके पारित होने पर 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा यह सिफारिश करती कि फिलस्तीन को इस वैश्विक संस्था के सदस्य के रूप में स्वीकार किया जाए।

सुरक्षा परिषद के कुल 15 सदस्य देश हैं। प्रस्ताव के समर्थन में 12 वोट पड़े, जबकि स्विटजरलैंड और ब्रिटेन ने मतदान से दूरी बना ली और अमेरिका ने ‘वीटो’ किया। मसौदा प्रस्ताव को पारित करने के लिए इसके समर्थन में सुरक्षा परिषद के कम से कम नौ सदस्यों के वोट देने की जरूरत थी और यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्य देशों में से किसी को भी अपनी ‘वीटो’ शक्ति का इस्तेमाल नहीं करना था। सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देश चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं। पूर्ण सदस्य देश का दर्जा प्राप्त करने की फिलस्तीन की कोशिश 2011 में ही शुरू हो गई थी। फलस्तीन अभी गैर-सदस्य पर्यवेक्षक देश है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2012 में उसे यह दर्जा प्रदान किया था। यह दर्जा फलस्तीन को वैश्विक संस्था की कार्यवाहियों में भाग लेने की अनुमति देता है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र में लाये जाने वाले प्रस्तावों पर मतदान नहीं कर सकता।

इजरायल ने अमेरिका को सराहा

संयुक्त राष्ट्र में एक और गैर-सदस्य पर्यवेक्षक देश होली सी है, जो वेटिकन का प्रतिनिधित्व कर रहा है। इजरायल के विदेश मंत्री इजरायल काट्ज ने अमेरिका के ‘वीटो’ शक्ति का इस्तेमाल करने की सराहना करते हुए प्रस्ताव को शर्मनाक करार दिया। काट्ज ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘होलोकास्ट की घटना के बाद से यहूदियों के सबसे बड़े नरसंहार की घटना के करीब छह माह पश्चात और हमास आतंकियों के यौन अपराध एवं अत्याचार करने के बाद, फिलस्तीन को यह दर्जा देने का प्रस्ताव आतंकवाद को बढ़ावा देता।’’ वहीं, अमेरिकी राजदूत एवं विशेष राजनीतिक मामलों के लिए वैकल्पिक प्रतिनिधि रॉबर्ट वुड ने कहा कि वाशिंगटन द्विराष्ट्र के सिद्धांत का पुरजोर समर्थन करना जारी रखेगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह मतदान फिलस्तीन को एक देश के रूप में दर्जा देने के विरोध को प्रदर्शित नहीं करता, बल्कि इसके बजाय यह इस बात की पुष्टि करता है कि यह दोनों पक्षों के बीच सीधी वार्ता से होना चाहिए। ’’ वुड ने कहा कि इस बारे में अनसुलझे सवाल हैं कि क्या फिलस्तीन, राष्ट्र का दर्जा पाने की अर्हता पूरी करता है।

फिलिस्तीन के राष्ट्रपति अमेरिका पर भड़के

फिलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने अमेरिका के ‘वीटो’ शक्ति का इस्तेमाल करने की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह अनुचित और अनैतिक है तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय की इच्छा की अवज्ञा करता है। फिलस्तीन के स्थायी पर्यवेक्षक रियाद मंसूर ने कहा, ‘‘हमारा आत्म-निर्णय का अधिकार कभी भी सौदेबाजी या बातचीत का विषय नहीं रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा आत्म-निर्णय का अधिकार एक नैसर्गिक, ऐतिहासिक, विधिक अधिकार है। हमारे भू-भाग फिलस्तीन में, एक स्वतंत्र देश के रूप में जीने का अधिकार है, जो मुक्त एवं संप्रभु है। आत्म-निर्णय के हमारे अधिकार को हमसे अलग नहीं किया जा सकता। .

फिलिस्तीन ने संयुक्त राष्ट्र से मांगी थी पूर्ण सदस्यता

फिलस्तीन ने दो अप्रैल 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस को एक पत्र भेजकर पूर्ण सदस्यता की अपनी अर्जी पर फिर से विचार करने का आग्रह किया था। दिन में गुटरेस ने पश्चिम एशिया पर सुरक्षा परिषद की बैठक में अपनी टिप्पणी में चेतावनी दी कि क्षेत्र में स्थिति नाजुक है। संयुक्त राष्ट्र ने गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से कहा है कि सात अक्टूबर 2023 से 17 अप्रैल 2024 तक गाजा में 33,899 फलस्तीनी मारे गए हैं और 76,664 घायल हुए हैं। वहीं, पिछले साल सात अक्टूबर को इजरायल में किये गए हमास के हमले में 1,200 से अधिक इजरायली और अन्य देशों के नागरिक मारे गए। मृतकों में 33 बच्चे भी शामिल हैं। (भाषा) 

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