Tuesday, April 16, 2024
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एफएटीएफ से एक और विस्तार मिलने की उम्मीद लगा रहा है पाकिस्तान

आतंक वित्तपोषण और धनशोधन को समाप्त करने के भारी दबाव के बीच पाकिस्तान ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को अंतिम अनुपालन रिपोर्ट सौंप दी है और वह एफएटीफ द्वारा फरवरी 2020 तक के लिए उसे दी गई अवधि के जून 2020 तक के विस्तार की उम्मीद कर रहा है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 05, 2019 6:45 IST
एफएटीएफ से एक और विस्तार मिलने की उम्मीद लगा रहा है पाकिस्तान- India TV Hindi
एफएटीएफ से एक और विस्तार मिलने की उम्मीद लगा रहा है पाकिस्तान

इस्लामाबाद: आतंक वित्तपोषण और धनशोधन को समाप्त करने के भारी दबाव के बीच पाकिस्तान ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) को अंतिम अनुपालन रिपोर्ट सौंप दी है और वह एफएटीफ द्वारा फरवरी 2020 तक के लिए उसे दी गई अवधि के जून 2020 तक के विस्तार की उम्मीद कर रहा है। आर्थिक मामलों के मंत्री हम्माद अजहर ने मंगलार को मीडिया से कहा कि इस्लामाबाद ने एफएटीएफ के संयुक्त समूह के समक्ष अपने अनुपालन रिपोर्ट को सौंप दिया है।

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एफएटीएफ पर पाकिस्तान के टीम लीडर अजहर ने कहा, "इस पर उनकी तरफ से प्रतिक्रिया आएगी और तब आमने-सामने मुलाकात होगी।" पाकिस्तान के अधिकारी यह उम्मीद कर रहे हैं कि एफएटीएफ उसे जून 2020 तक एक अन्य मोहलत अवधि दे सकता है क्योंकि मौजूदा फरवरी की समयसीमा पाकिस्तान के लिए सभी 27 कार्य योजनाओं का पालन करवाने के लिए काफी कम है।

अक्टूबर में हुई बैठक में, एफएटीएफ ने फरवरी 2020 तक इन कार्य योजनाओं का अनुपालन करवाने के लिए पाकिस्तान से कहा था और उसे ग्रे सूची में बरकरार रखा था। संगठन ने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि अगर उसने धनशोधन और आतंकी वित्तपोषण से संबंधित 27 बिंदुओं में से बचे 22 पर काम नहीं किया तो वह उसे काली सूची में डाल देगा।

एफएटीएफ की तरफ से पहली औपचारिक प्रतिक्रिया इस माह के अंत में आनी है। एक सूत्र ने द न्यूज डॉट कॉम डॉट पीके को कहा, "आमने-सामने की मुलाकात जनवरी 2020 में सिडनी में होने की संभावना है, जहां पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को अपनी अनुपालन रिपोर्ट के बचाव का मौका मिलेगा।"

एफएटीएफ की पूर्ण समीक्षा बैठक फरवरी 2020 में पेरिस में होगी, जोकि पाकिस्तान के बारे में निर्णय करेगी। पाकिस्तान इससे पहले चीन, तुर्की, मलेशिया, सऊदी अरब और मध्यपूर्व देशों के कूटनीतिक समर्थन की वजह से सफलतापूर्वक काली सूची में नहीं जाने में सफल रहा था।

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