Sunday, April 28, 2024
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डगमग होने वाली है चीनी जासूसी की शातिर चाल, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की श्रीलंका यात्रा से ड्रैगन बेहाल

भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 2 से 3 सितंबर तक श्रीलंका की दो दिवसीय यात्रा पर रहेंगे। इस दौरान वह भारत-श्रीलंका के संबंधों को मजबूती देने को लेकर द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। साथ ही श्रीलंका में चीन की दखलंदाजी को खत्म करने और उसकी बदनीयती पर अंकुश लगाने को लेकर भी चर्चा होगी। राजनाथ सिंह की इस यात्रा से चीन परेशान है।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: September 01, 2023 17:15 IST
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (फाइल)- India TV Hindi
Image Source : AP राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (फाइल)

श्रीलंका के बंदरगाहों पर अपने जासूसी और युद्धक पोतों को भेजकर भारत की जासूसी करने वाले चीन की चाल अब विफल होने वाली है। श्रीलंका को कर्ज के एहसान तले दबाकर चीन ने सिर्फ इस देश की सुरक्षा में सेंध लगाई, बल्कि इस बहाने भारती सुरक्षा क्षेत्र में भी जासूसी का प्रयास किया। भारत की कड़ी आपत्तियों के बाद श्रीलंका जब चीन का खेल समझ गया तो उसके दायरे को सीमित कर दिया। अब श्रीलंका अपने असली मित्र भारत के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा है। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की 2-3 सितंबर को होने वाली दो दिवसीय श्रीलंका यात्रा पर जा रहे हैं। इससे चीन बौखला गया है। 

दोनों देशों के बीच मित्रता का मजबूत बंधन बनाने में महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सिंह श्रीलंका की यात्रा के दौरान पड़ोसी देश के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणावर्द्धने से बातचीत करेंगे। विक्रमसिंघे श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय का कामकाज भी देख रहे हैं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन बैठकों में दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों के संपूर्ण आयाम की समीक्षा की जाएगी। बयान के अनुसार राजनाथ सिंह मध्य श्रीलंका में स्थित नुवरा एलिया और पूर्वी हिस्से में स्थित त्रिंकोमाली का दौरा भी करेंगे। मंत्रालय के अनुसार, ‘‘राजनाथ सिंह की यात्रा में श्रीलंका के साथ मौजूदा दोस्ताना संबंधों को विस्तार देने की भारत की सतत प्रतिबद्धता को दोहराया जाएगा।’’

श्रीलंका पर दबाव बढ़ाना चाह रहा था चीन

श्रीलंका पर प्रभाव बढ़ाने की चीन की कोशिशों को लेकर चिंताओं के बीच भारत द्वीपीय देश के साथ समग्र रणनीतिक संबंधों का विस्तार कर रहा है। पिछले साल अगस्त में हम्बनटोटा बंदरगाह पर चीनी मिसाइल और उपग्रह निगरानी जहाज ‘युआन वांग’ को खड़ा किये जाने के बाद भारत और श्रीलंका के बीच कूटनीतिक तनाव पैदा हो गया था। एक और चीनी युद्धपोत पिछले महीने कोलंबो बंदरगाह पर पहुंचा था। वहीं, भारत ने पिछले साल अगस्त में श्रीलंका को एक डॉर्नियर समुद्री निगरानी विमान सौंपा था। श्रीलंका की तत्काल सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय नौसेना के बेड़े से विमान दिया गया था।

भारत स्वदेश निर्मित अपतटीय गश्ती वाहन (ओपीवी) देने समेत श्रीलंका के रक्षा बलों के अनेक क्षमता निर्माण उपायों का समर्थन कर रहा है। श्रीलंकाई राष्ट्रपति विक्रमसिंघे जुलाई में भारत यात्रा पर आये थे और इस दौरान दोनों पक्षों ने अपने रक्षा और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने का संकल्प व्यक्त किया था। श्रीलंका में पिछले साल गंभीर आर्थिक संकट पैदा होने के बाद से यह किसी श्रीलंकाई नेता की पहली भारत यात्रा थी।   (भाषा)

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