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फ्रांस में बड़ी सियासी हलचल, प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने अपने पद से दिया इस्तीफा

फ्रांस के प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से कहा गया है कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने लेकोर्नू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Oct 06, 2025 02:23 pm IST, Updated : Oct 06, 2025 02:39 pm IST
French Prime Minister Sebastien Lecornu- India TV Hindi
Image Source : AP French Prime Minister Sebastien Lecornu

French PM Sebastien Lecornu Resigns: फ्रांस में बड़ी सियासी हलचल हुई है। प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय ने सेबेस्टियन के इस्तीफे की पुष्टि की है। लेकोर्नू ने एक दिन पहले ही अपने मंत्रिमंडल की घोषणा की थी और वह एक महीने से भी कम समय तक पद पर रहे। फ्रांसीसी राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने लेकोर्नू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। लेकोर्नु अपने पूर्ववर्ती फ्रांस्वा बायरू की जगह एक साल में फ्रांस के चौथे प्रधानमंत्री बने थे।

राजनीतिक हलकों में हुई लेकोर्नु की आलोचना

लेकोर्नु द्वारा मंत्रियों के चयन की राजनीतिक हलकों में आलोचना की गई थी, विशेष रूप से पूर्व वित्त मंत्री ब्रूनो ले मायेर को रक्षा मंत्रालय में वापस लाने के उनके निर्णय की। अन्य प्रमुख पद पिछले मंत्रिमंडल से काफी हद तक अपरिवर्तित रहे, रूढ़िवादी ब्रूनो रिताइलो आंतरिक मंत्री बने रहे, जो पुलिस और आंतरिक सुरक्षा के प्रभारी थे, जीन-नोएल बारोत विदेश मंत्री जबकि गेराल्ड डर्मैनिन को न्याय मंत्रालय का प्रभार दिया गया था।

विरोधियों ने मैक्रों को घेरा

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के विरोधियों ने तुरंत इस चौंकाने वाले इस्तीफे का फायदा उठाने की कोशिश की है और दक्षिणपंथी नेशनल रैली ने उनसे या तो नए चुनाव कराने या इस्तीफा देने का आह्वान किया है। वहीं, वामपंथी पार्टी फ्रांस अनबोड ने भी मैक्रों के इस्तीफे की मांग की है।

फ्रांस में बढ़ी है सियासी हलचल

फ्रांस की राजनीति में पिछले काफी समय से हलचल देखने को मिल रही है। खासकर तब से जब मैक्रों ने पिछले साल अचानक चुनाव का ऐलान किया था, जिससे विधायिका में भारी विभाजन पैदा हुआ था। दक्षिणपंथी और वामपंथी सांसदों के पास राष्ट्रीय सभा में 320 से अधिक सीटें हैं, जबकि मध्यमार्गी और सहयोगी रूढ़िवादियों के पास 210 सीटें हैं।

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