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फेल हुई ट्रंप की टैरिफ चाल तो भारतीय छात्रों पर ऐसे निकाली खुन्‍नस, US यूनिवर्सिटीज को जारी किया 10 Points Memo

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने अब कुछ ऐसा किया है जिसके भारतीय छात्रों प्रभावित होंगे। अमेरिकी सरकार ने विश्वविद्यालयों को एक मेमो भेजा है। इस विश्वविद्यालयों से कुछ शर्तें पूरी करने को कहा गया है।

Edited By: Amit Mishra @AmitMishra64927
Published : Oct 06, 2025 12:29 pm IST, Updated : Oct 06, 2025 12:29 pm IST
US Universities Students and Donald Trump- India TV Hindi
Image Source : AP US Universities Students and Donald Trump

Donald Trump 10 Points Memo: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने 10 बिंदुओं का एक मेमो जारी किया है। इसमें अमेरिकी यूनिवर्सिटीज की पॉलिसी को बदलने की बात कही गई है। मेमों में कहा गया है कि अगर यूनिवर्सिटीज को सरकारी फंडिंग चाहिए, तो फिर उन्हें सरकार के बनाए गए नियमों को मानना होगा। सरकार ने साफ किया है कि अगर कोई भी यूनिवर्सिटी नियमों को नहीं मानती है, तो फिर उसे सरकारी फंडिंग नहीं मिलेगी साथ ही अमेरिकी न्याय विभाग निगरानी भी रखेगा। चलिए ऐसे में यह समझते हैं कि ट्रंप प्रशासन के मेमो का भारतीयों पर क्या असर पड़ेगा और जारी किए गए 10 प्वाइंट्स में क्या कहा गया है। 

भारतीय छात्रों के सामने होंगी समस्याएं

ट्रंप प्रशासन की ओर से जारी मेमो में विश्वविद्यालयों को विदेशी छात्रों के नामांकन को कम करने की बात कही गई है। इसने भारतीय छात्रों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। नए फरमान से भारतीय छात्रों को यूनिवर्सिटीज में  प्रवेश मिलने में दिक्कत हो सकती है। यूनिवर्सिटीज 15 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय छात्रों को प्रवेश दे सकती हैं। लेकिन, प्रति देश 5 प्रतिशत की सीमा का साफ मतलब है कि कई भारतीय छात्र, खासकर वो जो किफायती यूनिवर्सिटीज को टारगेट कर रहे हैं, उन्हें प्रवेश नहीं मिल पाएगा। छात्रों को महंगे विकल्पों पर विचार करना होगा लेकिन यहां भी चीजें आसान नहीं होंगी। वीजा संबंधी चिंताएं तो पहले ही बनी हुई हैं। वर्तमान में अमेरिका में 1.2 मिलियन अंतर्राष्ट्रीय छात्र हैं, जिनमें से आधे से अधिक चीन और भारत के हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नए नियम से भारतीय छात्रों की संख्या में भारी कमी हो सकती है।

मेमो के 10 प्वाइंट्स

ये तो हुई ट्रंप प्रशासन के मेमो से भारतीय छात्रों पर पड़ने वाला प्रभाव की बात, चलिए अब एक नजर मेमों के 10 प्वाइंट्स पर भी डाल लेते हैं।

  • विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित करना: यूनिवर्सिटीज को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके यहां अंडरग्रेजुएट कोर्स की पढ़ाई कर रहे विदेशी छात्रों की संख्या 15 प्रतिशत से ज्यादा ना हो। इसका मकसद विदेशी छात्रों पर से निर्भरता कम करना है, जो ज्यादा ट्यूशन फीस भी भरते हैं। 
  • हर देश के छात्रों की संख्या सीमित करना: मेमो में कहा गया है कि किसी देश के छात्र किसी एक यूनिवर्सिटी में 5 फीसदी से ज्यादा नहीं होने चाहिए। 
  • हायरिंग मेरिट के आधार पर हो: यूनिवर्सिटीज को एडमिशन और स्टाफ की हायरिंग के दौरान नस्ल या जेंडर के आधार पर फैसला लेना बंद करना होगा। मेमो में कहा गया है कि बिना अफर्मेटिव एक्शन का इस्तेमाल किए, सभी तरह की हायरिंग मेरिट के आधार पर होनी चाहिए।
  • ट्यूशन फीस को 5 साल के लिए फ्रीज करना: मेमो में कहा गया है कि यूनिवर्सिटीज को 5 साल तक ट्यूशन फीस को फ्रीज करके रखना होगा। इससे कॉलेजों का बजट भी बिगड़ सकता है।
  • SAT या इसके जैसी परीक्षा हो अनिवार्य: कॉलेजों के लिए स्टैंडर्डाइज्ड टेस्ट को अनिवार्य बनाया जाना है। एडमिशन के लिए SAT या इसके जैसी परीक्षा को अनिवार्य करना। इसके आने के बाद सिर्फ टेस्ट स्कोर के आधार पर ही एडमिशन होंगे।
  • कठोर ग्रेडिंग प्रक्रिया: मेमो में संस्थानों से अधिक कठोर ग्रेडिंग प्रक्रिया को लागू करने की बात कही गई है।
  • हर तरह की विचारधारा को मिले जगह: मेमो में निर्देश दिया गया है कि यूनिवर्सिटीज को ऐसा माहौल तैयार करना होगा, जहां विविधता भरी राजनीति और विचारधाराओं को बढ़ने का मौका मिले। कुल मिलाकर हर तरह की विचारधारा के लिए जगह हो।
  • रूढ़िवादी विचारों वाले कोर्स खत्म करें: यूनिवर्सिटीज को उन कोर्सेज और यूनिट को खत्म करने को कहा गया है, जिसमें रूढ़िवादी विचारों के खिलाफ हिंसा या सजा की बात की गई है। इसका मकसद अभिव्यक्ति की आजादी सुनिश्चित करना है।
  • छात्र की हो पहचान: यूनिवर्सिटीज से कहा गया है कि वो एडमिशन से पहले हर उस छात्र की पहचान करें, जो अमेरिकी और पश्चिमी मूल्यों का समर्थन करते हैं। ऐसे छात्रों को ही एडमिशन मिले। अमेरिका से दुश्मनी रखने वाले छात्रों को बाहर किया जाए।
  • फेडरल एजेंसी के साथ साझा हो विदेशी छात्रों की जानकारी: विदेशी छात्रों की सारी जानकारी सरकारी फेडरल एजेंसी के साथ साझा करना भी जरूरी है। डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड और डिपार्टमेंट और स्टेट दोनों के साथ सभी तरह की जानकारी शेयर की जाए।

भारत को क्या करना होगा?

ट्रंप प्रशासन के मेमो से भारतीय छात्रों पर असर तो पड़ेगा लेकिन अब ऐसे में भारत को क्या करना चाहिए। तो इसका जवाब यह है कि भारत के लिए मायने यह रखता है कि उसे अब अमेरिकी शिक्षा बाजार पर अपनी निर्भरता कम करनी होगी और देश के भीतर ही अपने उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने पर जोर देना होगा। इससे प्रतिभा के पलायन को रोका जा सकेगा और छात्रों के लिए घरेलू विकल्प भी मजबूत होंगे।

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