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भारत ने UN में देश के "पंचायती राज" को बताया प्रत्यक्ष लोकतंत्र का उत्कृष्ट उदाहरण, कंबोज ने कहा महिलाओं ने लाई क्रांति

भारत ने देश की पंचायती राज व्यवस्था को संयुक्त राष्ट्र में दुनिया के प्रत्यक्ष लोकतंत्र के उत्कृष्ट उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया। यूएन में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर महिलाओं ने क्रांति ला दी है। भारत जैसा पंचायती राज लोकतंत्र दुनिया में कहीं नहीं है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : May 05, 2024 11:31 IST, Updated : May 05, 2024 11:31 IST
संयुक्त राष्ट्र।- India TV Hindi
Image Source : AP संयुक्त राष्ट्र।

संयुक्त राष्ट्रः संयुक्त राष्ट्र में भारत की पंचायती राज व्यवस्था को प्रत्यक्ष लोकतंत्र के उत्कृष्ट उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया गया। यूएन में भारत की स्थायी राजदूत रुचिरा कंबोज ने देश के पंचायती राज को प्रत्यक्ष लोकतंत्र का ‘‘उत्कृष्ट उदाहरण’’ बताते कहा कि पारंपरिक बाधाओं को लांघने वाली महिला नेताओं ने अपने समुदायों में क्रांति ला दी है। कंबोज ने शुक्रवार को यहां कहा कि भारत को ग्रामीण प्रशासन की एक अनूठी प्रणाली पर गर्व है, जिसे पंचायती राज के नाम से जाना जाता है। यह जमीनी स्तर पर विकेंद्रीकृत शक्ति का प्रतीक है।

उन्होंने कहा, "दुनिया में अन्य जगहों पर पाई जाने वाली नगरपालिका शासन प्रणाली के विपरीत, पंचायती राज प्रत्यक्ष लोकतंत्र का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो ग्राम सभा या समुदाय के सभी वयस्क सदस्यों की सभा के माध्यम से पंचायत के सभी निवासियों की सक्रिय भागीदारी की सुविधा प्रदान करता है।" कंबोज एक कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन, पंचायती राज मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने आयोजित किया था।

यूएन के कार्यक्रम में कई भारतीय महिलाओं ने लिया हिस्सा

इस कार्यक्रम में राजस्थान से पंचायत महिला नेता नीरू यादव, आंध्र प्रदेश से कुनुकु हेमा कुमारी और त्रिपुरा से सुप्रिया दास दत्ता ने महिला सशक्तीकरण, शिक्षा और जलवायु परिवर्तन की दिशा में अपने प्रयासों पर प्रकाश डाला और अपने अनुभव साझा किए। कंबोज ने कहा कि ऐसा नहीं है कि महिला पंचायत नेताओं की प्रेरक कहानियों में चुनौतियां नहीं थीं। उन्होंने कहा, ‘‘इन महिलाओं ने लगातार पितृसत्ता के स्थापित मानदंडों और रूढ़ियों का सामना किया और उन्हें समाप्त किया। लगातार प्रणालीगत पहलों और अटूट दृढ़ संकल्प से वे यथास्थिति को चुनौती दे रही हैं और लैंगिक समानता को आगे बढ़ा रही हैं। (भाषा) 

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