न्यूयार्क: प्रतिष्ठित ब्राउन विश्वविद्यालय में कीर्तन गाने का यहां के भारतीय छात्रों के एक वर्ग ने विरोध किया। मीडिया की खबर के अनुसार, योग का विरोध करने वालों की तरह इस बार ये छात्र धार्मिक कट्टरपंथी नहीं बल्कि ब्राउन विश्वविद्यालय में वामपंथी रुझान वाले थे। उन्होंने गैर भारतीय श्वेत महिला के कीर्तन करने का विरोध किया। उनका कहना कि जो जन्म से हिंदू है, उसे ही धार्मिक स्तोत्र गाना चाहिए।
कीर्तन करने वाली श्वेत महिला ने हिंदू नाम अपनाया
कीर्तन कर रही कैरी ग्रॉसमैन नाम की महिला ने हिंदू नाम दयाशीला अपना लिया है। विरोध करने वालों ने गुरुवार को उनके गायन में बाधा डाला और दावा किया कि एक श्वेत महिला के रूप में वह कीर्तन गाकर हिंदुत्व के सिद्धांत को अपने लाभ के लिए गलत ढंग से अपना रही हैं। विरोध करने वालों ने वामपंथियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले 'श्वेत विशेषाधिकार' जैसे शब्दों का प्रयोग करते हुए इसे एक श्वेत द्वारा 'सांस्कृतिक उपयोग' करार दिया।
कीर्तन सुनने वालों ने किया प्रदर्शनकारियों का विरोध
इस कीर्तन को सुन रहे कई लोगों ने जब प्रदर्शनकारियों का विरोध किया तो वे कार्यक्रम छोड़कर बाहर जाकर धरने पर बैठ गए। ब्राउन डेली हेराल्ड की खबर के अनुसार, कई लोग जो कीर्तन सुन रहे थे, वे बाहर धरने पर बैठे लोगों के पास पहुंच गए और उन्हें वहां से चले जाने को कहा। अमेरिका स्थित यूनिवर्सल सोसाइटी ऑफ हिंदुइज्म के अध्यक्ष राजन जेड ने ब्राउन विश्वविद्यालय में हुए इस विरोध प्रदर्शन को अनुचित और दुखद बताया है। जेड ने कहा कि कीर्तन करने का अर्थ दिल से जुड़ना और उस ईश्वर से जुड़ना है, जो दिल के अंदर निवास करता है।