Friday, April 19, 2024
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BLOG: कोरोना काल में ‘क्या करें...क्या ना करें’

भारत जैसे विकासशील देशों के लिए अब ‘जान भी और जहान भी’  ज़रुरी है, इसलिए सरकार ने लॉकडाउन खोल दिया है। ऐसी स्थिति में एक नागरिक के रूप में हम सबकी ज़िम्मेवारी बनती है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुझाए गये उन तमाम उपायों का पालन करें, जब तक कोरोना से ठीक होने का इलाज नहीं मिल जाता है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 04, 2020 23:20 IST
BLOG: कोरोना काल में ‘क्या करें...क्या ना करें’- India TV Hindi
Image Source : PTI BLOG: कोरोना काल में ‘क्या करें...क्या ना करें’

फ़िल्म रंगीला का एक गाना है ‘क्या करें क्या ना करें कैसी मुश्किल है, कोई तो बता दे इसका हल ओ मेरे भाई’ मुझे लगता है कि कोरोना संकट में पूरी दुनिया की यही स्थिति है। हर देश की निगाहें उस संस्था पर जाकर टिक जाती है जो कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार करने या उसके लक्षणों पर रिसर्च कर रही है, लेकिन पुख़्ता तौर पर अभी भी कोई कोरोना संकट का हल नहीं बता पाया है। ऐसे में दुनियाभर में असंमजस की स्थिति बनी हुई है कि संकट से निजात पाने के लिए क्या किया जाए, कौन सा क़दम उठाया जाए जिससे कोरोना संक्रमण की श्रृखंला टूटे।

हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉकडाउन 1.0 का ऐलान करते वक़्त भी इसी बात पर ज़ोर दिया था कि किसी भी तरह से हमें कोरोना के संक्रमण को तोड़ना है और इसके लिए सबसे ज़रूरी है सोशल डिस्टेंसिंग। तब देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 564 थी। इसके बाद लॉकडाउन 2.0, 3.0, 4.0 और अब हमारा देश अनलॉक 1.0 हो गया है। मतलब कुछ गतिविधियों को केन्द्र सरकार ने सशर्त खोल दिया है, कुछ गतिविधियों को आने वाले दिनों में धीरे-धीरे खोल दिया जाएगा और साथ ही राज्यों को अधिकार दे दिया है कि यदि राज्य सरकार चाहे तो कुछ गतिविधियों पर पाबन्दी लगा सकती है। 

चार लॉकडाउन के बाद वर्तमान में देश में कोरोना वायरस से मरीज़ों की संख्या एक लाख के पार है, एक लाख़ से ज़्यादा लोग स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं और छह हज़ार से ज़्यादा लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत हो चुकी है। मतलब कुल मिलाकर क़रीब 135 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में कोरोना वायरस के कुल मरीज़ों की संख्या 2,16,919 है। कोरोना वायरस से एक व्यक्ति का भी संक्रमित होना हमारे लिए चिन्ता की बात है। भारत में जब पहली बार लॉकडाउन का ऐलान किया था तब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की तारीफ़ की थी और कहा था कि केन्द्र सरकार ने बहुत सही समय पर लॉकडाउन का फ़ैसला किया है। और उसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन  ने दुनिया को समय-समय पर चेताया कि यदि लॉकडाउन खोलने में किसी ने भी जल्दबाज़ी की तो नतीजे बुरे होंगे। 

मतलब साफ़ है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन तब तक लॉकडाउन के पक्ष में है जबतक कोरोना वायरस के संक्रमण का ख़तरा समाप्त नहीं हो जाता है। अब सवाल है कि आख़िर कितने दिनों तक देश को लॉकडाउन रखा जा सकता है? शायद यह जवाबहीन सवाल है। वजह ये है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बारे में अबतक कोई पुख़्ता जानकारी नहीं मिल सकी है। रोज़ नये-नये लक्षण और नई-नई जानकारी सामने आ रही है। ऐसे में बहुत मुश्किल काम है यह ठीक-ठीक बता पाना कि कितने दिनों के लॉकडाउन  के बाद कोरोना का संक्रमण ख़त्म हो जाएगा। 

शायद इसी वजह से दुनियाभर के देशों में लॉकडाउन को धीरे-धीरे हटाकर आर्थिक गतिविधियों को शुरू किया जा रहा है, ताकि भुखमरी की स्थिति ना उत्पन्न हो जाए। भारत जैसे विकासशील देशों के लिए अब ‘जान भी और जहान भी’  ज़रुरी है, इसलिए सरकार ने लॉकडाउन खोल दिया है। ऐसी स्थिति में एक नागरिक के रूप में हम सबकी ज़िम्मेवारी बनती है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सुझाए गये उन तमाम उपायों का पालन करें, जब तक कोरोना से ठीक होने का इलाज नहीं मिल जाता है। घर से बाहर निकलते समय ग्लब्स और फ़ेस मास्क का इस्तेमाल करें, दो मीटर की दूरी बनाए रखें, कोशिश करें कि किसी भी भीड़ में शामिल ना हों चाहे कुछ ख़रीदना ही क्यूं ना हो। ऑफ़िस/ काम से लौटने के बाद कोशिश करें कि बच्चों और परिवार के बूढ़े लोगों के सम्पर्क में बिना ख़ुद को साफ़-सुथरा किए हुए ना आएं।

ब्लॉग लेखक इंडिया टीवी में कार्यरत हैं

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