Friday, December 13, 2024
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दिल्ली शराब घोटाला केस: सिसोदिया और ईडी से कोर्ट ने पूछे कई सवाल, ED ने दिया ये जवाब

दिल्ली शराब घोटाला मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत एक बार फिर से बढ़ा दी गई है। इस मामले में शनिवार को कोर्ट ने ईडी और आरोपी दोनों से सवाल पूछा।

Reported By : Abhay Parashar Edited By : Kajal Kumari Published : Apr 06, 2024 14:02 IST, Updated : Apr 06, 2024 14:49 IST
manish sisodia- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO मनीष सिसोदिया की हिरासत बढ़ी

दिल्ली शराब घोटाला मामले में जेल में बंद पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत एक बार फिर से बढ़ा दी गई है। उनकी जमानत मामले में अब कोर्ट की सुनवाई 18 अप्रैल को होगी। शुक्रवार को उन्होंने जनता के नाम चिट्ठी लिखी थी जिसमें उन्होंने लिखा था कि जल्द बाहर आऊंगा। शनिवार को कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान ईडी ने बचाव पक्ष आरोप लगाते हुए कहा कि आरोपियों की अर्जियां ये दर्शाती है कि आरोपियों की ओर से पूरी कोशिश की गई है कि मुकदमा शुरू न हो सके।

दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी के दौरान 207 सीआरपीसी अनुपालन में देरी को लेकर ईडी और आरोपी मनीष सिसोदिया के बीच बहस हुई। इस दौरान जज ने दस्तावेजों के निरीक्षण में हो रही देरी को लेकर दोनों से सवाल पूछे। कोर्ट ने ईडी से जवाब मांगा है कि प्रत्येक आरोपी ने अब तक दस्तावेजों के निरीक्षण में कितना समय लिया है।

ईडी ने कोर्ट को दिया ये जवाब

ईडी की तरफ से वकील जोएब हुसैन ने कहा कि सिसोदिया का मुख्य तर्क मुकदमे में देरी पर है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ये जमानत का आधार है। लेकिन आरोपी की तरफ से इस मामले में मेरिट और अपराध की गंभीरता पर ज़्यादा बात नहीं की गई है। ईडी ने कहा कि मैं भी मुकदमे मे हुई देरी के सवाल पर जवाब देना चाहूंगा। ऐसा नहीं है कि अगर मुकदमे मे सुनवाई आगे नहीं बढ़ी है तो जमानत याचिका स्वीकार कर ली जानी चाहिए। इस पूरे मामले को मेरिट के आधार पर देखना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि सम्पूर्ण तथ्य पर विचार किया जाना चाहिए।

ईडी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि ट्रायल कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के फैसले में की गई टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना सिसोदिया की जमानत अर्जी पर विचार करेगी। अब फालतू आवेदन दायर किए जा रहे है, ये आवेदन समय बर्बाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लगातार कोई न कोई आरोपी इस तरह के आवेदन दायर करता रहता है, जो दिखाता है कि मुकदमा शुरू न हो। जानबूझकर देरी की जा रही है। 

ईडी का कहना है कि मुकदमा धीमी गति से चला है या नहीं चला है इसके लिए अभियोजन पक्ष जिम्मेदार नही है। अभियोजन पक्ष की ओर से कोई देरी नहीं हुई है। सुनवाई मे 31 आरोपियों की ओर से 95 अर्जियां लगाई गई  है। अगर किसी भी तरह की देरी हुई है, तो यह आरोपी की वजह से हुई है, अभियोजन पक्ष के कहने पर नहीं। इस मुद्दे पर भी कोर्ट को ध्यान देना होगा। अगर मैं यह साबित करूं कि मुकदमे मे देरी कुछ आरोपी की वजह से और कुछ सह-आरोपियों की वजह से हुई है, तो उस पर भी विचार करना होगा। लेकिन इसके बावजूद इस मामले में  PMLA की धारा 45 का वजूद कायम है। जमानत की सुनवाई मे इसको भी देखना होगा।

 

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