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कर्नाटक: दसवीं में अव्वल लेकिन एक FIR तक ठीक से नहीं पढ़ पाया, जज ने कोर्ट के चपरासी की मार्कशीट की जांच के दिए आदेश

कर्नाटक के कोप्पल से एक शॉकिंग और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां निचले कोर्ट के जज ने एक चपरासी की मार्कशीट की जांच के आदेश दिए हैं।

Reported By : T Raghavan Edited By : Akash Mishra Published : May 22, 2024 13:08 IST, Updated : May 22, 2024 13:10 IST
कर्नाटक के कोप्पल में जज ने कोर्ट के चपरासी की मार्कशीट की जांच के आदेश दिए- India TV Hindi
कर्नाटक के कोप्पल में जज ने कोर्ट के चपरासी की मार्कशीट की जांच के आदेश दिए

कर्नाटक के कोप्पल से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां एक निचली अदालत के जज ने पुलिस से कोर्ट में चपरासी का काम कर रहे प्रभु लक्ष्मीकांत लोकारे की शैक्षणिक डिग्री की जांच करने का निर्देश दिया है। पुलिस ने प्रभु के खिलाफ FIR दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस में दर्ज की गई शिकायत के मुताबिक प्रभु लक्ष्मीकांत ने दसवीं क्लास में 625 में से 622 अंक हैं। 99.5 फीसदी अंक लाने की वजह से मेरिट के आधार पर प्रभु को इस साल यादगीर कोर्ट में चपरासी की नौकरी मिली थी। 

पहले कोप्पल कोर्ट में क्लीनर का काम करता था प्रभु

प्रभु मूलतः रायचूर जिले के सिंधनूर का रहने वाला है और सातवीं कक्षा तक पढ़ा है। चपरासी की नौकरी करने से पहले प्रभु कोप्पल कोर्ट में क्लीनर का काम करता था। कोर्ट के एक जज को इस बात की जानकारी थी कि प्रभु ने सातवीं क्लास तक ही पढ़ा है। दसवीं में लाए गए अंकों की बदौलत मेरिट के आधार पर इस साल अप्रैल में प्रभु को यादगीर की निचली अदालत के चपरासी की नौकरी मिल गई। 

कैसे खुली पोल 

इस पर  जज साहब को भी ताज्जुब हुआ, पिछले महीने जब प्रभु को एक FIR को पढ़ने को कहा गया तो उसकी पोल खुल गई। प्रभु कन्नडा में लिखी गई FIR को ठीक से पढ़ तक नहीं पाया, साथ ही कन्नडा, अंग्रेजी और हिंदी में कुछ लिख भी नहीं पाया। जज ने जब पड़ताल करवाई तो पता चला कि प्रभु ने दसवीं क्लास की परीक्षा में 625 में से 622 अंक हासिल किए हैं और इसी की बदौलत उसे क्लीनर से चपरासी की नौकरी दी गई। जज को इस मार्क शीट पर शक हुआ, जिसके बाद पुलिस को जांच के निर्देश दिए गए। 

'ऐसे लोगों के कारण मेहनती लोगों को नहीं मिल पाता मौका'

इंस्पेक्टर जयप्रकाश की शिकायत पर दर्ज की गई FIR में कहा गया है कि सातवीं तक पढ़े प्रभु ने किसी भी स्कूल में दाखिला नहीं लिया और  सीधे दसवीं क्लास की परीक्षा दे दी, जिसमें उसे 625 में से 622 अंक मिले। हालांकि उसे कन्नडा, इंग्लिश और हिंदी ढंग से पढ़नी और लिखनी नहीं आती है, जिससे उसकी शैक्षणिक योग्यता पर संदेह खड़ा हुआ है। जज ने अपनी प्राइवेट शिकायत में लिखा है कि ऐसे लोगों की वजह से मेहनत करने वालों को अवसर नहीं मिल पाता, जज के सुझाव के आधार पर पुलिस ने प्रभु की आंसर शीट की राइटिंग का मिलान करने का भी फैसला किया है। 

प्रभु ने अपनी सफाई में क्या कहा

हालांकि प्रभु ने अपनी सफाई में कहा कि उसने एक प्राइवेट कैंडिडेट के तौर पर सीधे दसवीं का एग्जाम दिया। मार्कशीट के मुताबिक उसने दिल्ली एज्युकेशन बोर्ड से ये परीक्षा दी है, अब पुलिस इस संस्थान की असलियत की भी जांच कर रही है। 

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