Saturday, May 04, 2024
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Karnataka में बीजेपी से कहां हो गई गलती, कांग्रेस ने कैसे बाजी मारी; 8 प्वाइंट्स में समझें

अब जब कांग्रेस की जीत की तस्वीर साफ हो गई है तो ये जानना जरूरी है कि कर्नाटक में कांग्रेस की जीत और बीजेपी की हार के क्या फैक्टर रहे हैं।

Swayam Prakash Written By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: May 13, 2023 13:42 IST
कर्नाटक के वर्तममान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई- India TV Hindi
Image Source : ANI कर्नाटक के वर्तममान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई

कर्नाटक में कांग्रेस का जादू चल गया है। राज्य में पार्टी की जीत अब लगभग तय हो गई है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने मतगणना के रुझानों के अनुसार 113 के जादुई आंकड़े की ओर पार कर लिआ है और राज्य में अपने दम पर सरकार बनाती दिख रही है। कांग्रेस के लिए ये जीत इसलिए भी बड़ी है क्योंकि उसने दक्षिण में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एकमात्र गढ़ कर्नाटक में सेंध लगा दी है। लेकिन अब जब कांग्रेस की जीत की तस्वीर साफ हो गई है तो ये जानना जरूरी है कि कर्नाटक में कांग्रेस की जीत और बीजेपी की हार के क्या फैक्टर रहे हैं-

बीजेपी से यहां हो गई गलती

  1. कर्नाटक में बीजेपी को बीएस येदियुरप्पा को हटाना बीजेपी को महंगा पड़ा है। हालांकि एक दलील ये भी है कि येदियुरप्पा के पद से हटने के कारण कुछ भी कारण हों, लेकिन पार्टी विधायक और नव नियुक्त मंत्रियों ने केंद्रीय नेतृत्व से सरकार के कामकाज में मुख्यमंत्री के बेटे बीवाई विजेंद्र की दखलंदाज़ी को लेकर शिकायत की थी। बीएस येदियुरप्पा को लेकर सरकार और विधायकों में भले ही असंतोष हो लेकिन बीएस येदियुरप्पा जनता के बीच मजबूत नेता हैं। येदियुरप्पा को पहले हटाया गया, फिर स्टार कैंपेनर बनाया गया लेकिन येदियुरप्पा सीएम कैंडिडेट नहीं थे। 
  2. एक वजह ये भी मानी जा रही है कि कर्नाटक चुनाव में मुस्लिम वोट बीजेपी के खिलाोफ PFI और बजरंग बली के मुद्दे पर एकजुट हो गया। मुस्लिम वोट PFI और बजरंग बली के मुद्दे पर एकजुट हुआ और एकमुश्त मुस्लिम वोट कांग्रेस को मिला।
  3. वहीं एक फैक्टर ये भी माना जा रहा है कि बसवराज बोम्मई का कद सिद्धरामैया की तुलना में कम दिखा, जिसका नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ा। इसके अलावा कर्नाटक चुनाव में एंटी इमकम्बैंसी यानी सत्ता विरोधी लहर भी हावी रही। जनता बदलाव चाहती थी, इसका बीजेपी को सीधे नुकसान हुआ। 
  4. कर्नाटक का पूरा चुनाव राज्य सरकार के परफॉर्मेंस पर हुआ है। स्टेट गवर्नमेंट पर विपक्ष भष्टाचार के मुद्दे को लेकर आक्रामक रही और बीजेपी भी विपक्ष के भ्रष्टाचार के आरोपों की कोई सटीक काट नहीं ढूंड पाई। भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस का पेसीएम (PAYCM) कैंपेन भी खूब असरदार दिखा।

कांग्रेस ने ऐसे मारी बाजी

  1. सबसे पहली बात तो ये है कि 2024 के चुनाव से पहले एक बड़ा राज्य कांग्रेस की झोली में आया है। इसके अलावा मल्लिकार्जुन खरगे को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने का फायदा भी पार्टी को मिला है। कर्नाटक उनका गृह राज्य है जो अब कांग्रेस के पास आ गया। इस जीत के साथ ही मोदी विरोधी मोर्चा में भी कांग्रेस का प्रभाव वापस बढ़ेगा।
  2. कर्नाटक चुनाव में सिद्धरामैया और डीके शिवकुमार सीएम प्रोबेबल की तरह सामने आए, जिसका फायदा भी कांग्रेस को मिला है। इसके अलावा कांग्रेस जेडीएस के मुस्लिम वोट बैंक में भी सेंध लगाने में कामयाब रही है। कर्नाटक जीत के साथ कांग्रेस के लिए साउथ के लिए जो रोड ब्लॉक था, वो अब खुल गया है।
  3. इस चुनाव में कांग्रेस का सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट रहे हैं रीजनल लीडर और लोकल मुद्दे। कांग्रेस ने चुनाव में क्षेत्रीय नेताओं को आगे रखा और जमीनी मुद्दों को अपने एजेंडे में रखा, जो वोटों में परिवर्तित हुआ। कांग्रेस को बड़े मार्जिन से जीत मिली है, लिहाजा कांग्रेस को अब राज्य का नया मुख्यमंत्री चुनना काफी आसान रहेगा।
  4. राहुल गांधी से ज़्यादा प्रियंका गांधी ने प्रचार किया। प्रियंका ने 35 रैलियां और रोड शो किए। दक्षिण के राज्यों में कांग्रेस ने प्रियंका को उतारकर नया प्रयोग किया और उनको इंदिरा गांधी से जोड़कर प्रेजेंट किया, इसका फायदा मिला।

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