बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घड़ी जैसे-जैसे करीब आ रही है, वैसे-वैसे सियासी दलों की रणनीतियां तेज हो रही हैं। चुनाव आयोग द्वारा अक्टूबर के पहले हफ्ते में तारीखों की घोषणा की उम्मीद है, जिसमें वोटिंग दो चरणों में हो सकती है। एनडीए (BJP-JDU गठबंधन) और महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-वाम दलों) के बीच कांटे की टक्कर में जातिगत समीकरण, बेरोजगारी, महिला सशक्तिकरण और विकास के दावे मुख्य हथियार बनेंगे।
वोटरों को लुभाने वाले वादे
क्या एनडीए की 125 यूनिट मुफ्त बिजली जैसी घोषणाएं वोटरों को लुभा पाएंगी? नीतीश कुमार के 20 सालों के शासन में बिहार ने कितनी छलांग लगाई? आइए, जानते हैं विधानसभा चुनाव में किन मुद्दों पर बिहार की सियासी बिसात बिछने वाली है।
युवाओं के बीच बेरोजगारी का मुद्दा
बिहार में बेरोजगारी और युवा असंतोष का मुद्दा इस बार हावी होता दिख रहा है। नीतीश कुमार के विरोध में युवा वोटर जाते हुए दिख रहे हैं। महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव युवाओं के मुद्दों को अपने चुनावी जनसभाओं में उठा रहे हैं, जबकि एनडीए दावा करता है कि नीतीश सरकार ने 1 करोड़ युवाओं को नौकरियां देने का लक्ष्य रखा है। राहुल गांधी की 'वोट चोरी' और पेपर लीक के आरोपों ने भी युवाओं को उकसाया है।
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का मुद्दा
एनडीए की 'मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना' महिलाओं को उद्यमिता के लिए लोन और प्रशिक्षण देगी। नीतीश ने चुनाव को देखते हुए कई वादे किए हैं, जैसे महिलाओं को मासिक भत्ता देना शामिल हैं। महागठबंधन की 'महिला सम्मान योजना' तत्काल नकद सहायता पर फोकस करती है। 50 प्रतिशत पंचायत आरक्षण से नीतीश को महिलाओं का मजबूत समर्थन मिला है।
जातिगत समीकरण और दलित-ईबीसी वोट बैंक
दलित और अति पिछड़ा वर्ग वोट बैंक पर दोनों गठबंधन की नजर बनी हुई है। एनडीए ने दलितों के लिए आरक्षण बढ़ाने का वादा किया है, जबकि महागठबंधन 'अति पिछड़ा न्याय संकल्प' लेकर आया है। प्राशांत किशोर की जन सुराज पार्टी त्रिकोणीय मुकाबले में जाति आधारित एजेंडे पर जोर दे रही है।
कानून-व्यवस्था और अपराध का मुद्दा
नीतीश कुमार के राज में एनडीए 'विकास' का दावा करता है, लेकिन बिहार में अपहरण और हिंसा के आंकड़े बढ़े हैं। महागठबंधन इसे बढ़ता क्राइम बता रहा है। नीतीश सरकार में दिन दहाड़े मर्डर और लूटपाट की घटनाएं भी चुनावी मुद्दा बनने की ओर है।
बिहार में SIR विवाद
विपक्ष का आरोप है कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) से 3.5 लाख वोटर कटे, जो एनडीए को फायदा पहुंचाएगा। एसआईआर का मुद्दा कांग्रेस और आरजेडी समेत बिहार कई विपक्षी पार्टियों ने उठाया है।

125 यूनिट मुफ्त बिजली का मुद्दा
जुलाई 2025 में नीतीश कुमार ने घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली का ऐलान किया, जो 1 अगस्त से लागू हो गया है। इससे 1.67 करोड़ परिवारों को फायदा होगा। एनडीए इसे 'ऐतिहासिक कदम' बता रहा है, जो गरीबों को राहत दे रही है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा, 'यह कम बिजली इस्तेमाल करने वालों के लिए स्वर्णिम दिन है।' साथ ही सोलर प्लांट्स के लिए सब्सिडी और 10,000 मेगावाट सोलर एनर्जी का लक्ष्य रखा गया है। विपक्ष ने इसे 'चोरी का कॉपी' करार दिया। तेजस्वी यादव ने नवंबर 2024 में 200 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा किया था। आरजेडी का तर्क है कि चुनाव से ठीक पहले का ऐलान वोट खरीदने की कोशिश है।
सीट शेयरिंग पर चलेगी लंबी चर्चा
एनडीए की सीट-शेयरिंग में बीजेपी-जेडीयू 121:122 फॉर्मूला पर चर्चा करने की उम्मीद है, जबकि महागठबंधन में आरजेडी 100+ सीटें चाहता है। प्रियंका गांधी और राहुल की रैलियां विपक्ष को गति दे रही हैं। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जैसे केंद्रीय नेता एनडीए को मजबूत कर रहे हैं।
जाति, विकास और वादों के बीच होगी जंग
कुल मिलाकर बिहार में चुनाव जाति, विकास और वादों की जंग होगी। क्या नीतीश की 'सुशासन बाबू' इमेज बचेगी, या तेजस्वी की युवा अपील जीतेगी? चुनाव बाद ही नतीजों में ये सब साफ हो जाएगा कि आखिर बिहार में अबकी बार किसकी सरकार बनेगी।