Thursday, December 12, 2024
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Explainer: बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर क्यों लगी है आग? क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग? जानें सबकुछ

बांग्लादेश में इन दिनों आरक्षण के मुद्दे पर जारी छात्रों के प्रदर्शन ने सियासी दलों की एंट्री के बाद हिंसक रूप ले लिया है। आइए, जानते हैं कि भारत के पड़ोसी देश में यह आग लगी कैसे?

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Jul 18, 2024 9:52 IST, Updated : Jul 18, 2024 10:02 IST
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Image Source : APNEWS बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं।

ढाका: सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर बांग्लादेश के तमाम शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं। हालात किस कदर बेकाबू हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में मंगलवार को 3 विद्यार्थियों सहित कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा अन्य लोग घायल हो गए। अधिकारियों को मंगलवार को 4 प्रमुख शहरों में अर्धसैनिक बल बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के जवानों को बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा। इससे पूर्व सैकड़ों पुलिसकर्मी रात भर देश भर के सार्वजनिक विश्वविद्यालय परिसरों में तैनात रहे।

अगले आदेश तक देश में स्कूल-कॉलेज बंद

बता दें कि पुलिस और मीडिया ने राजधानी ढाका और उत्तरपूर्वी बंदरगाह शहर चट्टोग्राम में 2 और लोगों की मौत होने की सूचना दी है, जबकि इससे पहले राजधानी ढाका, चट्टोग्राम और उत्तर पश्चिमी रंगपुर में 4 लोग की मौत हुई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मृतकों में कम से कम तीन छात्र हैं। इन सबके बीच सरकार ने बढ़ती हिंसा के मद्देनजर अगले आदेश तक स्कूल और कॉलेजों को बंद करने का आदेश दिया है। शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी हाई स्कूल, कॉलेज, मदरसे और 'पॉलिटेक्निक' संस्थान अगले आदेश तक बंद रहेंगे।’

आंदोलन में सबसे आगे ढाका यूनिवर्सिटी के छात्र

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था सरकारी सेवाओं में मेधावी छात्रों के नामांकन को काफी हद तक रोक रही है। ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने फर्स्ट और सेकंड क्लास की सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए चल रहे विरोध प्रदर्शन में अग्रणी भूमिका निभाई है। छात्रों की मांग है कि मौजूदा आरक्षण प्रणाली में सुधार करते हुए प्रतिभा के आधार पर सीटें भरी जाएं। हालांकि देखा जाए तो छात्र जिस आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रहे हैं वह मौजूदा समय में है ही नहीं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों और पौत्र-पौत्रियों के लिए  30 फीसदी आरक्षण लागू करने के हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई हुई है।

सियासी दलों की एंट्री से बिगड़ गए हालात

शुरुआत में छात्रों का प्रदर्शन काफी शांतिपूर्ण था लेकिन बाद में इसमें विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी समेत कई विपक्षी दलों की भी एंट्री हो गई। बाद में विपक्ष के छात्र संगठनों और सत्ता पक्ष के छात्र संगठनों में हुई झड़पों के बाद प्रदर्शन हिंसक होते चले गए। कुछ प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे सोमवार को ढाका और उसके बाहरी इलाकों में 2 सरकारी यूनिवर्सिटियों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे, तभी उन पर सत्तारूढ़ पार्टी के छात्र कार्यकर्ताओं ने लाठी, पत्थर व चाकू आदि से हमला कर दिया। हालांकि सत्ता पक्ष ने भी विपक्ष पर छात्रों को भड़काने और प्रदर्शन की आड़ में अपने सियासी हित साधने के आरोप लगाए हैं।

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Image Source : REUTERS
बांग्लादेश में आरक्षण व्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर प्रदर्शन में कम से कम 6 लोगों की मौत हो चुकी है।

कैसी रही है बांग्लादेश की आरक्षण व्यवस्था?

बता दें कि बांग्लादेश में 30 फीसदी नौकरियां 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों और पौत्र-पौत्रियों के लिए, प्रशासनिक जिलों के लिए 10 प्रतिशत, महिलाओं के लिए 10 प्रतिशत, जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए 5 प्रतिशत और शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए 1 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित रही हैं। आरक्षण व्यवस्था के तहत महिलाओं, दिव्यांगों और जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए भी सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान है। इस रिजर्वेशन सिस्टम को 2018 में निलंबित कर दिया गया था, जिससे उस समय इसी तरह के विरोध प्रदर्शन रुक गए थे।

क्यों शुरू हुआ आरक्षण को लेकर ताजा बवाल?

बता दें कि पिछले महीने बांग्लादेश के हाई कोर्ट ने स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले नायकों के परिवार के सदस्यों के लिए 30 प्रतिशत कोटा बहाल करने का आदेश दिया। 2018 से बंद व्यवस्था के फिर से शुरू होने के बाद नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। प्रदर्शनकारी दिव्यांग लोगों और जातीय समूहों के लिए 6 प्रतिशत कोटे का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन वे स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के वंशजों को आरक्षण के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि आंदोलन के नायकों की तीसरी पीढ़ी को आरक्षण क्यों दिया जाए। उनका कहना है कि इस व्यवस्था से मेरिट वाले छात्रों को नुकसान होता है और इसे खत्म किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई हाई कोर्ट के आदेश पर रोक

बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर 4 हफ्ते के लिए रोक लगा दी थी और चीफ जस्टिस ने प्रदर्शनकारियों से कहा था कि वे विरोध-प्रदर्शन समाप्त कर अपनी कक्षाओं में वापस लौट जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह 4 हफ्ते के बाद इस मुद्दे पर फैसला करेगा। इसके बावजूद छात्रों के विरोध-प्रदर्शन का दौर जारी है। बता दें कि छात्रों ने गुरुवार को पूरे बांग्लादेश में इस मुद्दे पर बंद का आवाह्न किया है। आंदोलन के एक प्रमुख समन्वयक आसिफ महमूद ने कहा कि इस दौरान देश में अस्पताल और आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सभी प्रतिष्ठान बंद रहेंगे और केवल एम्बुलेंस सेवाओं को ही संचालित करने की अनुमति होगी। 

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Image Source : REUTERS
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने छात्रों से सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा रखने को कहा है।

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने राष्ट्र को किया संबोधित

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बुधवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में लोगों के मारे जाने पर गहरा खेद जताया और कहा कि इस मामले में एक न्यायिक जांच समिति गठित की जाएगी। हसीना ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि वे देश सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा बनाए रखें क्योंकि यह मुद्दा उसके पास लंबित है। उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि हमारे छात्रों को न्याय मिलेगा। वे निराश नहीं होंगे। मैं हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों की हर संभव सहायता करूंगी। मैं ऐलान करती हूं कि यह सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई की जाएगी कि हत्या, लूटपाट और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वालों को उचित सजा मिले। चाहे वे कोई भी हों।’ (भाषा)

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