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Explainer: पुराने मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट को मिलेगी नई लाइफ, जानें क्या है Repairability Index के फायदे?

भारत सरकार देश में तेजी से बढ़ रहे इलेक्ट्रॉनिक्स वेस्ट के निपटारे के लिए जल्द ही रिपेयरिबिलिटी इंडेक्स लागू करने वाली है। इस पॉलिसी के लागू होने के बाद मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस को नई लाइफ मिल सकती है।

Written By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Published : Sep 04, 2024 14:46 IST, Updated : Sep 04, 2024 14:46 IST
Repairability Index- India TV Hindi
Image Source : FILE Repairability Index

भारत में मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट के लिए रिपेयरिबिलिटी इंडेक्स (Repairability Index) लागू किया जा सकता है। सरकार देश में तेजी से बढ़ रहे इलेक्ट्रॉनिक्स वेस्ट (e-waste) की समस्या को देखते हुए यह फैसला किया है। पिछले दिनों कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री (उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय) मैन्यूफेक्चर्रस को रिपेयरेबल आइटम बनाने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना पर काम कर रही है।

सरकार चाहती है कि मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम बनाने वाली कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स को रिपेयरेबल बनाए ताकि पुराने होने पर कंज्यूमर उसे न फेंके। मंत्रालय इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स के कंडीशन को देखते हुए रेटिंग सिस्टम लाने पर विचार कर रही है। पुराने हो चुके प्रोडक्ट्स के की फीचर्स को रेटिंग दी जाएगी, ताकि ग्राहक अपने पुराने मोबाइल या इलेक्ट्रॉनिक्स  प्रोडक्ट को फेंकने की बजाय रिपेयर करा सके।

भारत का यह रिपेयरिबिलिटी इंडेक्स भी फ्रांस या अन्य यूरोपीय देशों के रिपेयरिबिलिटी इंडेक्स की तरह ही होगा। इसमें प्रोडक्ट से जुड़े तकनीकी डॉक्यूमेंट्स, ईज ऑफ डिसेंबली, स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता और कीमत की जानकारी होगी। भारत इस समय चीन और अमेरिका से बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स वेस्ट उत्पादन करने वाला देश है। 

Right to repair

Image Source : FILE
Right to repair

Repairability Index ऐसे होगी तैयार

इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स के लिए रिपेयरिबिलिटी इंडेक्स को 5 पैरामीटर के आधार पर रेटिंग दी जाती है। सबसे पहले प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी के तकनीकी डॉक्यूमेंटेशन की क्वालिटी को देखा जाता है, जिसमें प्रोडक्ट से संबंधित सभी जानकारी प्रेषित होनी चाहिए। तकनीकी डॉक्यूमेंट में सर्किट बोर्ड सिमेटिक्स, कंपोनेंट की जानकारी, डायग्नोस्टिक जानकारी आदि शामिल हैं।

इसके अलावा प्रोडक्ट के डिसेंबली और रिअसेंबली प्रक्रिया कितनी सरल या जटिल है, इसके आधार पर भी रेटिंग दी जाएगी। प्रोडक्ट में लगे स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता, कीमत और प्रोडक्ट के लाइफस्पैन आदि के आधार पर यह रिपेयरिबिलिटी इंडेक्स तैयार किया जाएगा।

भारत सरकार पहले ही राइट-टू-रिपेयर पॉलिसी लागू कर चुकी है, जिसमें 63 कंपनियों का साथ मिला है, जिनमें से 23 मोबाइल बनाने वाली कंपनियां हैं। फ्रांस में रिपेयरिबिलिटी इंडेक्स 5 पैरामीटर पर काम करता है, जबकि यूरोपीय यूनियन में इसमें कई और पैरामीटर्स जोड़े गए हैं।

Repairability Index के क्या हैं फायदे?

  • रिपेयरिबिलिटी इंडेक्स का सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण को मिलने वाला है। तेजी से बढ़ रहे इलेक्ट्रॉनिक्स वेस्ट (e-waste) के उत्पादन पर लगाम लगाया जा सकेगा।
  • रिपेयरेबल प्रोडक्ट्स होने की वजह से इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम का कोई भी पार्ट खराब होने पर उसे फेंका नहीं जाएगा। उसे दोबारा ठीक कराकर इस्तेमाल किया जा सकेगा।
  • Apple, Samsung, Microsoft जैसी कंपनियां राइट-टू-रिपेयर पर जोर देती है। इससे प्रोडक्ट की लाइफ स्पैन बढ़ जाती है।
  • रिपेयरिबिलिटी इंडेक्ट की वजह से मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स का यूजर एक्सपीरियंस बेहतर होगा।

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