Monday, April 29, 2024
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World Health Day 2022: ये हैं दुनिया की 5 खतरनाक बीमारियां, जानिए इनके बचाव के तरीके

World Health Day 2022: WHO के मुताबिक ये हैं दुनिया की 5 सबसे घातक बीमारियां जिनकी चपेट में आकर हर साल सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है।

India TV Health Desk Written by: India TV Health Desk
Updated on: April 07, 2022 7:00 IST
World Health Day 2022- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK World Health Day 2022

Highlights

  • 1948 में, WHO ने प्रथम विश्व स्वास्थ्य सभा का आयोजन किया।
  • हर साल के 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस को मनाया जाता है।

World Health Day 2022: आज वर्ल्ड हेल्थ डे और आज के दिन आपको बताते हैं कैसे आप अपने आपको स्वस्थ और खुश रख सकते हैं। बेहतर स्वास्थ्य के प्रति दुनियाभर के लोगों को जागरूक करने के मकसद से WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) की तरफ से वर्ल्ड हेल्थ डे मनाया जाता है। आपको बता दें कि1 948 में, WHO ने प्रथम विश्व स्वास्थ्य सभा का आयोजन किया। 1950 से सभा ने प्रत्येक साल के 7 अप्रैल को  विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।  सेहत के प्रति जागरूक होने के लिए जरूरी है कि हम उन बीमारियों के बारे में जानें जिससे दुनियाभर में सबसे ज्यादा लोग प्रभावित हो रहे हैं। WHO के मुताबिक ये हैं दुनिया की 5 सबसे घातक बीमारियां जिसकी चपेट में आकर हर साल सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है। 

कोरोनरी आर्टरी डिजीज (दिल की बीमारी) 

इस वक्त दुनिया की सबसे घातक बीमारी कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) है जिसकी वजह से साल 2015 में दुनियाभर में 88 लाख लोगों की मौत हुई थी। दुनियाभर के 15.5 प्रतिशत लोगों की मौत के पीछे यह बीमारी जिम्मेदार है। साल 2000 में जहां इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 60 लाख थी वहीं 2015 में यह बढ़कर 88 लाख हो गई। CAD उस परिस्थिति को कहते हैं जब हृदय तक खून पहुंचाने वाली रक्त नलिकाएं संकुचित हो जाती हैं जिस वजह से चेस्ट पेन और हार्ट फेल जैसी समस्याएं हो सकती हैं। 
CAD से जुड़े रिस्क फैक्टर्स 

बचाव के तरीके 
नियमित व्यायाम, संतुलित वजन, बैलेंस्ड डाइट का सेवन, फल और सब्जियां ज्यादा खाएं, स्मोकिंग करने से बचें, संतुलित मात्रा में शराब का सेवन 

ब्रेन स्ट्रोक 
सबसे घातक बीमारियों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर है स्ट्रोक जिसकी वजह से साल 2015 में 62 लाख लोगों की मौत हुई थी और दुनियाभर में हुई मौतों में 11.1 प्रतिशत मौतें इसी बीमारी की वजह से हुई। स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की कोई धमनी या तो ब्लॉक हो जाती है या फिर लीक होने लगती है। ऐसे में ब्रेन सेल्स को ऑक्सिजन नहीं मिलता और महज कुछ मिनटों में मरीज ब्रेन डेड हो जाता है। स्ट्रोक के दौरान मरीज अचानक संवेदनशून्य हो जाता है, उसे देखने और चलने में दिक्कत होने लगती है। 

रिस्क फैक्टर्स
हाई बीपी, स्ट्रोक की फैमिली हिस्ट्री, धूम्रपान (साथ में गर्भनिरोधक गोलियां ले रहीं हों तो खतरा ज्यादा), महिलाओं में खतरा ज्यादा 

बचाव के तरीके 
लाइफस्टाइल में करें बदलाव, बीपी को रखें कंट्रोल में, नियमित रूप से एक्सरसाइज करें, हेल्दी डाइट का सेवन करें। 

लोअर रेस्पिरेट्री इंफेक्शन (श्वास संबंधी संक्रमण) 
श्वास संबंधी इंफेक्शन की वजह से साल 2015 में 32 लाख लोगों की मौत हो गई थी और दुनियाभर में हुई कुल मौतों में इस बीमारी से होने वाली मौत का प्रतिशत 5.7 है। हालांकि साल 200 से तुलना करें तो इस बीमारी में कमी आयी है। साल 2000 में जहां रेस्पिरेट्री इंफेक्शन से 34 लाख लोगों की मौत हुई थी वहीं 2015 में यह संख्या घटकर 32 लाख हो गई। लोअर रेस्पिरेट्री इंफेक्शन हमारे शरीर के वायु-मार्ग और फेफड़ों को प्रभावित करता है जिसकी वजह से फ्लू, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और टीबी तक हो सकता है। 

रिस्क फैक्टर्स 
फ्लू, हवा की खराब क्वालिटी, धूम्रपान, कमजोर इम्यून सिस्टम, अस्थमा, एचआईवी 

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बचाव के तरीके 
हर साल फ्लू वैक्सीन लें, नियमित रूप से हाथों को साबुन-पानी से धोएं (खासकर खाने से पहले), अगर इंफेक्शन हो जाए तो घर पर रहकर आराम करें। 

क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज (COPD) 
यह फेफड़ों से जुड़ी लॉन्ग टर्म बीमारी है जिसमें सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और इम्फीसेमा COPD के 2 प्रकार हैं। साल 2004 में दुनियाभर में 6 करोड़ 41 लाख लोग COPD बीमारी के साथ रह रहे थे जबकि 2015 में करीब 31 लाख लोगों की इस बीमारी की वजह से मौत हो गई। 2015 में दुनियाभर में 5.6 प्रतिशत लोगों की मौत इस बीमारी की वजह से हुई थी। 

रिस्क फैक्टर्स 
एक्टिव और पैसिव दोनों तरह की स्मोकिंग, केमिकल के धुएं की वजह से फेफड़ों में जलन, फैमिली हिस्ट्री, बचपन में श्वास संबंधी इंफेक्शन रहा हो तो। 

बचाव के तरीके 
COPD को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता, सिर्फ दवाओं से कम कर सकते हैं, एक्टिव और पैसिव स्मोकिंग से बचें, अगर फेफड़ों में तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। 

रेस्पिरेट्री कैंसर 
रेस्पिरेट्री यानी श्वास संबंधी कैंसर में श्वास नली, कंठ, ब्रॉन्कोस और फेफड़ों का कैंसर शामिल है के होने की 2 मुख्य वजह है। पहला- धूम्रपान या दूसरों के धूम्रपान की वजह से निकलने वाले धुएं में सांस लेना और दूसरा- वातावरण में मौजूद जहरीले कण। साल 2015 की एक स्टडी के मुताबिक श्वास संबंधी कैंसर की वजह से दुनियाभर में 40 लाख लोगों की हर साल मौत होती है। विकासशील देशों में तो पॉल्यूशन और स्मोकिंग की वजह से इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है। 

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रिस्क फैक्टर्स 
वैसे तो श्वास संबंधी कैंसर किसी को भी हो सकता है लेकिन धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करने वालों में खतरा अधिक होता है, फैमिली हिस्ट्री और वातावरण के कारण भी इसमें शामिल हैं। 

बचाव के तरीके 
फेफड़ों के कैंसर से बचने के लिए धूल-धुआं और तंबाकू से बचें।  

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