Friday, March 29, 2024
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100 करोड़ वैक्सीन डोज के हीरो बने मनसुख मंडाविया, स्वास्थ्य मंत्री बने थे तो खराब अंग्रेजी के लिए हुए थे ट्रोल

जब मनसुख मंडाविया को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था तब उस समय कई लोगों ने सवाल उठाए थे कि एक डॉक्टर को स्वास्थ्य मंत्री पद से हटाकर ऐसे व्यक्ति को स्वास्थ्य मंत्री बनाया जा रहा है जिन्हें अंग्रेजी तक नहीं आती।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 21, 2021 13:39 IST
100 करोड़ वैक्सीन डोज के हीरो बने मनसुख मंडाविया, स्वास्थ्य मंत्री बने थे तो खराब अंग्रेजी के लिए हु- India TV Hindi
Image Source : PTI 100 करोड़ वैक्सीन डोज के हीरो बने मनसुख मंडाविया, स्वास्थ्य मंत्री बने थे तो खराब अंग्रेजी के लिए हुए थे ट्रोल

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारत ने ऐसी उपलब्धि प्राप्त की है जो दुनिया के किसी भी देश के लिए असंभव सा दिखने वाला काम है। भारत में 100 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगा दी गई है। देश की इस उपलब्धि की वजह से कोरोना के खिलाफ भारत अब ज्यादा सुरक्षित नजर आ रहा है। इस उपलब्धि का श्रेय अगर किसी एक व्यक्ति को जाना चाहिए तो वह व्यक्ति देश के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया हो सकते हैं। वही मनसुख मंडाविया जिनकी खराब अंग्रेजी को लेकर कई लोगों ने सोशल मीडिया पर उन्हें उस समय खूब ट्रोल किया था जब उन्होंने देश के स्वास्थ्य मंत्री का कार्यभार संभाला था। 

7 जुलाई को जब मोदी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था तो डॉ हर्षवर्धन को हटाकर मनसुख मंडाविया को देश का स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। उस समय कई लोगों ने सवाल उठाए थे कि एक डॉक्टर को स्वास्थ्य मंत्री पद से हटाकर ऐसे व्यक्ति को स्वास्थ्य मंत्री बनाया जा रहा है जिन्हें अंग्रेजी तक नहीं आती। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी मनसुख मंडाविया की क्षमता और समझ को अच्छी तरह जानते थे और पीएम ने ऐसे समय में देश का स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त किया जब पूरा देश और दुनिया कोरोना की वजह से त्राहिमाम कर रहे थे।  

8 जुलाई को जब मनसुख मंडाविया देश के स्वास्थ्य मंत्री का कार्यभार संभाला तो उस समय देशभर में लगभग 37 करोड़ लोगों को वैक्सीन मिल पायी थी और उसमें से लगभग 7 करोड़ लोग ही दोनों वैक्सीन डोज ले सके थे। लेकिन मनसुख मंडाविया ने वैक्सीन टीकाकरण की रणनीति को बदला और तेज गति से टीकाकरण के लिए नई रणनीति तैयार की। उनकी इस रणनीति का ही असर था कि 16 जुलाई को खत्म हफ्ते के बाद हर हफ्ते टीकाकरण में तेजी से ग्रोथ दिखने लगी। 

इसके बाद रोजाना वैक्सीन टीकाकरण के नए  रिकॉर्ड बनने लगे, 17 सितंबर को पीएम मोदी के जन्मदिन पर देशभर में एक दिन के अंदर 2.5 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई। दुनिया में किसी भी देश में एक दिन के अंदर इतनी ज्यादा वैक्सीन नहीं दी गई थी। मनसुख मंडाविया को देश का स्वास्थ्य मंत्री बने हुए साढ़े 3 महीने भी नहीं हुए हैं और उन्होंने 105 दिन के अपने कार्यकाल में वैक्सीन टीकाकरण को 37 करोड़ से 100 करोड़ तक पहुंचाया है। 

भारत सरकार समय समय पर कह रही थी कि दिसंबर अंत तक देश की लगभग 100 करोड़ जनसंख्या तक वैक्सीन की दोनों डोज पहुंच जाएगी, लेकिन दुनिया के कई देश तो भारत सरकार के इस कथन पर इसपर सवाल खड़ा कर ही रहे, साथ में कई विपक्षी दल भी कह रहे थे कि जिस गति से भारत में टीके लग रहे हैं उस गति से 2021 में 100 करोड़ लोगों का वैक्सीन टीकाकरण संभव नहीं हो सकेगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो यहां तक कह दिया था कि केंद्र सरकार जिस गति से वैक्सीन टीकाकरण कर रही है, अगर उसी गति से चलते रहे तो 2024 तक देश की पूरी जनसंख्या तक वैक्सीन पहुंचेगी। 

लेकिन विपक्ष के सवालों के बावजूद केंद्र सरकार अपनी वैक्सीन रणनीति पर काम करती रही, पहले वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने को लेकर जोर दिया गया, उसके बाद वैक्सीन के ट्रांस्पोर्ट और फिर टीकाकरण की रणनीति अपनाई गई। इसी रणनीति का असर है कि देश की अधिकतर जनसंख्या को कम से कम वैक्सीन की एक डोज मिल चुकी है और लगभग एक तिहाई जनसंख्या पूरी तरह वैक्सिनेट हो चुकी है। 

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