नई दिल्ली: 150 साल पुराने कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु को कर्नाटक के लिए 177 टीएमसी पानी छोड़ने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पानी राष्ट्रीय संपत्ति है, नदी पर कोई राज्य अपना दावा नहीं कर सकता। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़ की पीठ ने पिछले वर्ष 20 सितम्बर को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की तरफ से दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। तीनों राज्यों ने कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) की तरफ से 2007 में जल बंटवारे पर दिए गए फैसले को चुनौती दी थी।
दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर 2007 में सीडब्ल्यूडीटी ने कोवरी बेसिन में जल की उपलब्धता को देखते हुए एकमत से निर्णय दिया था। फैसले में तमिलनाडु को 419 टीएमसीफुट (हजार मिलियन क्यूबिक फुट) पानी आवंटित किया गया, कर्नाटक को 270 टीएमसीफुट, केरल को 30 टीएमसीफुट और पुडुचेरी को सात टीएमसीफुट पानी आवंटित किया गया था। शीर्ष अदालत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इसके फैसले के बाद ही कोई पक्ष कावेरी से जुड़े मामले पर गौर कर सकता है।
बेंगलुरू में सुरक्षा कड़ी
वहीं इस मामले में फैसले को देखते हुए एहतियातन कर्नाटक से तमिलनाडु जाने वाली और तमिलनाडु से कर्नाटक आने वाली बस सेवाओं को रोक दिया गया है। कर्नाटक-तमिलनाडु के बॉर्डर के अलावा कावेरी बेसिन इलाकों और बांध पर सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। बेंगलुरू में भी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। बेंगलुरू के पुलिस आयुक्त टी सुनील कुमार ने संवाददाताओं से कहा कि 15 हजार पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा। इसके अलावा कर्नाटक राज्य रिजर्व पुलिस के कर्मी और अन्य सुरक्षा बलों को भी तैनात किया जाएगा।
आयुक्त ने कहा, ‘‘विशेष ध्यान संवेदनशील इलाकों पर दिया जाएगा जहां विगत में दंगे हो चुके हैं।’’ कर्नाटक दावा करता रहा है कि कृष्णराज सागर बांध में सिर्फ उतना पानी है जो केवल बेंगलुरू की आवश्यकता को पूरी करता है ।