Thursday, April 25, 2024
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वाशिंगटन में हुए उपद्रव से हम सभी को सबक लेना चाहिए

दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र के लोकतंत्र के मंदिर में बुधवार को हुड़दंगियों की हिंसक भीड़ ने जमकर उत्पात मचाया और तोड़फोड़ की। अमेरिका के इतिहास में पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति के समर्थकों ने संसद पर कब्जा करने की कोशिश की। 

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 08, 2021 18:56 IST
Lessons we must learn from the turmoil in Washington- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र के लोकतंत्र के मंदिर में बुधवार को हुड़दंगियों की हिंसक भीड़ ने जमकर उत्पात मचाया और तोड़फोड़ की।

दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र के लोकतंत्र के मंदिर में बुधवार को हुड़दंगियों की हिंसक भीड़ ने जमकर उत्पात मचाया और तोड़फोड़ की। अमेरिका के इतिहास में पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति के समर्थकों ने संसद पर कब्जा करने की कोशिश की। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने हजारों समर्थकों को उकसाया और फिर उनके जिन्दाबाद के नारे लगाने वालों ने पूरी दुनिया के सामने अमेरिका के लोकतन्त्र को रौंद दिया।चार घंटे तक ट्रंप के उन्मादी सपोर्टर्स ने अमेरिका के लोकतन्त्र को बंधक बनाए रखा।

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ट्रंप के उकसावे के बाद उनके हजारों समर्थक संसद भवन में दाखिल हो गए। सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प में चार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जिस वक्त यह घटना हुई उस वक्त अमेरिकी कांग्रेस ट्रंप के उत्तराधिकारी जो बाइडेन की जीत को सत्यापित और प्रमाणित करने की तैयारी कर रही थी। व्हाइट हाउस के बाहर अपने 70 मिनट के भाषण में ट्रंप ने चुनाव परिणमों को 'धोखाधड़ी' बताया और अपने समर्थकों से कहा कि वे नेशनल मॉल से तुरंत संसद भवन पहुंचे । ट्रंप ने अपने समर्थकों से कहा कि वे “ जीत की इस चोरी को रोकें।“

चुनाव नतीजों को  'लोकतंत्र पर गंभीर हमला' बताते हुए ट्रंप ने अपने समर्थकों को संसद भवन कूच करने के लिए कहा। इसके बाद वे व्हाइट हाउस लौट आए और अपने ही वाइस प्रेसिडेंट माइक पेंस को ट्विटर पर फटकार लगाई। इसके बाद ट्रंप अपने ओवल ऑफिस में बैठकर भीड़ की हिंसा को टीवी पर लाइव देखते रहे।

ट्रंप के भड़काऊ भाषण के बाद उग्र भीड़ संसद परिसर के अन्दर दाखिल हो गई। इस भीड़ में कई लोगों के हाथ में हथियार थे। कुछ लोग खुलेआम संसद परिसर में हथियार लहराते नजर आए। ट्रंप समर्थकों की तादाद इतनी ज्यादा थी कि सुरक्षाकर्मी कम पड़ गए। भीड़ ने अमेरिकी संसद की सुरक्षा में तैनात गार्डस को ही पीटना शुरू कर दिया। पुलिसवालों के लिए उपद्रवियों को रोकना काफी मुश्किल था। भीड़ ने संसद भवन की बालकनी पर ट्रंप का झंडा लगा दिया। संसद की गैलरी से होते हुए दंगाई उस हॉल की तरफ बढ़ गए जहां संसद  सदस्य बैठे थे। हुड़दंगियों ने अमेरिकी कांग्रेस की वोट सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को रुकवा दिया। हाउस के अंदर मौजूद सांसद घुटनों के बल बैठ कर अपनी कुर्सियों के नीचे छुप गए। भीड़ ने सीनेटरों, पत्रकारों  को हाउस से भागने के लिए मजबूर कर दिया। उपराष्ट्रपति माइक पेंस और अन्य सीनेटरों को सुरक्षा अधिकारियों ने सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया। सीनेटरों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के बाद सुरक्षाकर्मियों ने इलेक्टोरल कॉलेज सर्टिफिकेट्स वाले अहम बक्से को अपने कब्जे में ले लिया।

हिंसक भीड़ सीनेट चेंबर में दाखिल हो गई। यहां भीड़ ने जमकर उत्पात मचाया। कोई डेस्क पर जा बैठा तो कोई मार्बल की डायस पर बैठ गया जिस पर कुछ देर पहले उपराष्ट्रपति माइक पेंस बैठे थे। भीड़ पर काबू पाने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस छोडी। सुरक्षाकर्मियों ने सीनेटर्स और पत्रकारों को गैस मास्क दिए ताकि वे आंसू गैस से बच सकें। हुड़दंगियों ने स्पीकर नैन्सी पेलोसी के चैंबर में भी जमतक उत्पात मचाया। एक हुड़दंगी तो नैन्सी पेलोसी की कुर्सी पर जा बैठा और उसने अपने पैर टेबल पर फैला दिये। अमेरिकी लोकतंत्र के 232 साल के इतिहास में कभी भी संसद के अंदर इतना उग्र प्रदर्शन नहीं हुआ था। हिंसा थमने  के बाद पार्लियामेंट बिल्डिंग से दो शक्तिशाली पाइप बम बरामद हुए। इनमें से एक बम डेमोक्रेटिक नेशनल कमिटी और दूसरा बम रिपब्लिकन नेशनल कमेटी के चेंबर के बाहर रखा गया था। इसके अलावा पुलिस ने कुछ फायरआर्म्स भी बरामद किए।

दुनिया भर में लाखों लोग टीवी पर इन दृश्यों को देख रहे थे। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश में लोकतंत्र खतरे में है। ट्रंप के सपोर्टर्स की भीड़ हाउस चेंबर के गेट पर पहुंच गई तो गार्ड्स को गोली चलानी पड़ी। उग्र भीड़ में शामिल एक ट्रंप समर्थक महिला को गोली लगी। इस महिला को गंभीर हालत में हॉस्पिटल पहुंचाया गया जहां उसकी मौत हो गई। हिंसा भड़कने के बाद डीसी नेशनल गार्ड के लगभग 1,100 सैनिकों और वर्जीनिया के 650 सैनिकों को तैनात किया गया था।

पूरी दुनिया में अमेरिका की बदनामी के बाद अमेरिका के कई पूर्व राष्ट्रपतियों ने इस घटना की निन्दा की।  पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने ट्रंप को विद्रोह के लिए जिम्मेदार बताया। बराक ओबामा ने कहा, ट्रंप के कारनामे को अमेरिका के लोकतान्त्रिक इतिहास में राष्ट्रीय शर्म के रूप में याद रखेगा। ओबामा ने कहा कि जो हुआ वो अचानक नहीं हुआ, जो हुआ वो हैरान करने वाला नहीं है क्योंकि ट्रंप इसी दिन के लिए दो महीने से माहौल बना रहे थे। हालात ये हो गए कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी लोगों ने ट्रंप को लोकतन्त्र का हत्यारा मान लिया। ट्विटर, फैसबुक और इंस्टग्राम ने ट्रंप के अकाउंट लॉक कर दिए। इतना सब होने के बाद ट्रंप सामने आए। लोगों को उम्मीद थी कि ट्रंप गलती मानंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ट्रंप ने एक बयान जारी करके का रि वह 20 जनवरी को शान्तिपूर्ण तरीके से नए राष्ट्रपति को सत्ता सौंप देंगे। ट्रंप ने अपने सपोर्टर्स से कहा कि वे अपने घरों को लौट जाएं। ट्रंप ने एक बार फिर कहा कि वो चुनाव हारे नहीं है, उन्हें हराया गया है लेकिन फिर भी वो सत्ता जो बाइडेनव को सौंप देंगे।

अमेरिकी लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब अमेरिकी पार्लियामेंट में गोली चलानी पड़ी हो। ट्रंप 20 जनवरी को जो बिडेन को शांतिपूर्वक सत्ता सौपने पर सहमत तो हो गए हैं, लेकिन अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में 15 दिन के लिए पब्लिक इमर्जेंसी लगा दी गई है।

दुनिया भर के नेताओं ने बुधवार को हुई इस हिंसा की निंदा की। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इसे 'अपमानजनक' बताया तो जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा, “मुझे यह देखकर दुख होता है। ट्रंप को नवंबर के बाद से अपनी हार मान लेना चाहिए था।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, “मैं वाशिंगटन  डीसी में दंगों और हिंसा की ख़बरों को देखकर परेशान हूं। शक्ति का क्रमबद्ध और शांतिपूर्ण हस्तांतरण होना चाहिए। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में तोड़फोड़ की अनुमति नहीं दी जा सकती।”

ट्रंप के उत्तराधिकारी जो बाइडेन ने कहा, “मैं एक बात साफ करना चाहता हूं, संसद में जिस तरह अफरातफरी की तस्वीरें दिख रही हैं वो अमेरिका की सही इमेज नहीं है। ये हमारे उस अमेरिका को नहीं दर्शाता है जो हम हैं। हम जो भी देख रहे हैं वो चरमपंथियों की एक छोटी सी संख्या है जो कानून को खत्म करना चाहते हैं। ये विरोध नहीं है, ये विद्रोह है...ये अराजकता है। ये एक तरह का देशद्रोह है और इसे तुरंत खत्म होना चाहिए।“

आज अमेरिका के लोग रो रहे हैं कि 4 साल पहले उन्होंने कैसे आदमी को प्रेसीडेंट बना दिया था। ट्रंप की अपनी पार्टी के लोग कह रहे हैं ये कैसा प्रेसीडेंट है जो वाइट हाउस छोड़ने को तैयार नहीं है। ये कैसा कैंडीडेट है जो चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद भी हार मानने को तैयार नहीं है।

हमारे देश में भी ऐसे लोग हैं जो मोदी से चुनाव हारे तो ईवीएम को दोष देने लगे। हमारे देश में भी ऐसे लोग हैं जो मोदी के दो-दो बार भारी बहुमत से जीतने के बाद भी उन्हें प्रधानमंत्री स्वीकार करने को तैयार नहीं। चुनाव मोदी जीते हैं, प्रधानमंत्री मोदी हैं लेकिन हमारे यहां जनता द्वारा सत्ता से हटाए गए लोग आज भी सरकार चलाना चाहते हैं, नीतियां बनाना चाहते हैं। ये हमारे देश के लोकतंत्र की मजबूती है कि ऐसे लोग बार-बार एक्सपोज़ हुए, ज्यादा कुछ कर नहीं पाए। पर अमेरिका में इस तरह की मानसिकता रखने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को शर्मसार कर दिया।

जो अमेरिका पूरी दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाता था अब दूसरे मुल्क उसे समझा रहे हैं कि लोकतंत्र को कैसे संभालना है। एक बात और, अमेरिका दुनिया का सबसे समृद्ध, सबसे संपन्न और सबसे पैसे वाला देश है। वहां पार्लियामेंट में घुसने वाले, तोड़ फोड़ करने वाले लोग कोई गरीब और पिछड़े लोग नहीं थे। वो पढ़े लिखे, पैसे वाले लोग थे जो ऑटोमैटिक वेपंस लेकर आए थे। इसलिए अब कोई ये ना कहे कि गरीब लोग भूखे लोग हिंसा करते हैं, तोडफोड़ करते हैं।

हमारे देश में तो जनता ने गरीब चायवाले को प्रधानमंत्री बनाया और जो वर्षों सत्ता में रहे, जो संपन्न हैं, समर्थ हैं, उनको लोगों ने कुर्सी से हटाया। आज भी ऐसे लोग हार मानने को तैयार नहीं हैं। वो भी ट्रंप की तरह लोगों को भडकाने और उकसाने के काम में लगे हैं।

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