Saturday, April 20, 2024
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One Year After 370: 370 हटने के बाद बोले थे अरुण जेटली- पीएम मोदी और अमित शाह ने असंभव काम कर दिखाया

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति को 5 अगस्त को एक साल पूरा हो जाएगा। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जम्मू कश्मीर पर लिए गए इस ऐतिहासिक फैसले से काफी खुश थे और उन्होंने अपनी खुशी भी जाहिर की थी।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 05, 2020 1:27 IST
One Year After 370: What Arun Jaitley had said on the abrogation of article 370- India TV Hindi
Image Source : PTI One Year After 370: What Arun Jaitley had said on the abrogation of article 370

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति को 5 अगस्त को एक साल पूरा हो जाएगा। पूर्व केंद्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जम्‍मू कश्‍मीर पर लिए गए इस ऐतिहासिक फैसले से काफी खुश थे और उन्‍होंने अपनी खुशी भी जाहिर की थी।

जेटली ने आर्टिकल 370 को ऐतिहासिक भूल करार देते हुए कहा था कि आज उस गलती को सुधारने का ऐतिहासिक दिन है। उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा, 'एक ऐतिहासिक भूल की क्षतिपूर्ति आज की गई है। आर्टिकल 35A को पिछले दरवाजे के जरिए जबरन संविधान के आर्टिकल 368 में शामिल किया गया था। इसे जाना ही था।'

उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा था, 'जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा अलगाववाद के अहसास को बढ़ानेवाला था। कोई भी तेजी से बढ़ता हुआ देश इस तरह के अलगाववाद का समर्थन नहीं कर सकता है और इसे लागू किए रहने के पक्ष में नहीं रह सकता।'

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जेटली ने अपने ब्‍लॉग में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को लेकर इतिहास में हुए असफल प्रयासों का भी जिक्र किया था। उन्होंने लिखा, '1989-90 के दौरान जम्मू-कश्मीर नियंत्रण से बाहर हो गया था। अलगाववाद के साथ आतंकवाद भी तेजी से फैलने लगा। कश्मीरियत के अभिन्न हिस्से के रूप में मौजूद कश्मीरी पंडितों को उसी तरह की त्रासदी का सामना करना पड़ा जैसा नाजियों ने झेला था। नस्लीयता के शिकार कश्मीरी पंडितों को अपनी जगह छोड़कर जाना पड़ा।' 

जेटली के मुताबिक जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के चक्कर में इतिहास में जो गलतियां हुईं उससे राजनीतिक और आर्थिक नुकसान हुआ। आज, फिर से इतिहास लिखा गया है। इससे साबित होता है कि कश्मीर को लेकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जो दृष्टिकोण थी वह सही थी। वहीं, पंडितजी का जो सपना था वह असफल हो गया।'

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