Saturday, April 20, 2024
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आतंकी कनेक्शन की वजह से गई जेल सुपरिटेंडेंट और स्कूल प्रिंसिपल की नौकरी

जांच में दोनों कर्मचारियों के आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध स्थापित पाए गए हैं, जिसके बाद सरकार ने उन्हें बर्खास्त करने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत कार्रवाई की।

Devendra Parashar Reported by: Devendra Parashar @DParashar17
Updated on: November 02, 2021 23:56 IST
आतंकी कनेक्शन की वजह से गई जेल सुपरिटेंडेंट और स्कूल प्रिंसिपल की नौकरी- India TV Hindi
Image Source : PTI आतंकी कनेक्शन की वजह से गई जेल सुपरिटेंडेंट और स्कूल प्रिंसिपल की नौकरी

श्रीनगर: सरकार ने जम्मू-कश्मीर जेल विभाग के जेल उपाधीक्षक फिरोज अहमद लोन और बिजबेहरा के सरकारी स्कूल GHSS के प्रिंसिपल जाविद अहमद शाह को बर्खास्त कर दिया है। दोनों पर आतंकवादी संगठनों के साथ सक्रिय रूप से काम करने का आरोप है। इन्हीं आरोपों के चलते दोनों पर कार्रवाई की गई है। जांच में दोनों कर्मचारियों के आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध स्थापित पाए गए हैं, जिसके बाद सरकार ने उन्हें बर्खास्त करने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत कार्रवाई की। सूत्रों से यह जानकारी मिली है।

सूत्रों ने बताया कि 'जांच में पता चला कि 2012 में उमर अब्दुल्ला के कार्यकाल में नियुक्त हुए डीएसपी लोन ने आतंकी कमांडरों के साथ मिलकर युवाओं को पाकिस्तान/पीओके में अवैध रूप से भेजने के लिए आपराधिक साजिश रची, ताकि उन्हें हथियार प्रशिक्षण दिया जा सके और बाद में उन्हें हिजबुल मुजाहिदीन के सक्रिय आतंकवादियों के रूप में वापस कश्मीर लाया जा सके और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया जा सके।'

पता चला है कि डीएसपी लोन मारे जा चुके हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी रियाज नाइकू के लिए काम करता था। जांच से पता चला है कि रियाज नाइकू ने दो युवकों- ब्राव बंदिना के रहने वाले दानिश गुलाम रसूल और डोगरीपोरा (अवंतीपोरा) के रहने वाले सोहेल अहमद भट को भर्ती किया था और अपने गिरफ्तार सहयोगी आतंकवादी इशाक पल्ला से मिलने के लिए कहा था। दानिश गुलाम रसूल और सोहेल अहमद भट श्रीनगर की सेंट्रल जेल पहुंचे।

हालांकि, यहां जेल स्टाफ द्वारा पूछे गए सवालों को यह दोनों सही जवाब नहीं दे पाए, जिसके बाद जेल स्टाफ ने दानिश और सोहेल को अंदर जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया और वह से चले जाने को कहा। इसकी जानकारी जब इशाक पल्ला को लगी तो उसने जेल उपाधीक्षक फिरोज लोन से संपर्क किया, जिन्होंने इशाक पल्ला से परामर्श करने के बाद अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और दानिश और सोहेल दोनों के संबंध में पास जारी कराने में सहायता की।

वहीं, जाविद अहमद शाह पहली बार 1989 में लेक्चरर के रूप में नियुक्त हुए थे, बाद में वह राजकीय बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिजबेहरा, अनंतनाग के प्रधानाचार्य बने। वह एक कट्टर आतंकवादी समर्थक और हुर्रियत तथा जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) के प्रबल समर्थक रहे हैं। उन्होंने 2016 में आतंकवादी बुरहान वानी आंदोलन के दौरान बिजबेहरा में काम कर रहे हुर्रियत कैडर और जेईआई के सलाहकार की भूमिका निभाई थी।

सरकारी संस्थान के प्रधानाचार्य के रूप में उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हुर्रियत हड़ताल कैलेंडर का अक्षरश: पालन न केवल उस सरकारी स्कूल में किया जाए, जिसका वह नेतृत्व कर रहा था बल्कि इसके सहायक संस्थानों में भी किया जाए।

जाविद ने अपने आधिकारिक पद का खुले तौर पर दुरुपयोग करते हुए अपनी संस्था की छात्राओं को इस्लाम के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए शारीरिक शिक्षा और पाठ्यक्रम में अध्ययन तथा भाग लेने की अनुमति नहीं दी।

वह आतंकवादियों का समर्थन करता रहा है और छात्राओं को विकृत तरीके से इस्लामी अध्ययन करने के लिए प्रेरित करता रहा है, जिसका एकमात्र उद्देश्य छात्राओं को कट्टरपंथी बनाना और उसके जेईआई समर्थक मंसूबों को पूरा करना था।

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