Saturday, April 27, 2024
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रिजर्व बैंक और सरकार के बीच बैठक आज, कुछ अहम मुद्दों पर बन सकती है सहमति

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल भी इस्तीफे का कुछ वर्गों का दबाव होने बावजूद इस्तीफा देने के बजाय बैठक में केंद्रीय बैंक की नीतियों का मजबूती से पक्ष रख सकते हैं।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Updated on: November 19, 2018 10:38 IST
urjit patel and pm modi- India TV Hindi
urjit patel and pm modi

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक और सरकार के बीच जारी खींचतान के बीच मुंबई में बैठक शुरू हो गई है। सूत्रों का कहना है कि सोमवार को रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की होने वाली बैठक में दोनों पक्ष कुछ मुद्दों पर आपसी सहमति पर पहुंचने के पक्ष में हैं। बैठक में वित्त मंत्रालय के नामित निदेशक और कुछ स्वतंत्र निदेशक गवर्नर उर्जित पटेल और उनकी टीम पर एमएसएमई को कर्ज से लेकर केन्द्रीय बैंक के पास उपलब्ध कोष को लेकर अपनी बात रख सकते हैं।

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल भी इस्तीफे का कुछ वर्गों का दबाव होने बावजूद इस्तीफा देने के बजाय बैठक में केंद्रीय बैंक की नीतियों का मजबूती से पक्ष रख सकते हैं। बैठक में वह एनपीए को लेकर केन्द्रीय बैंक की कड़ी नीतियों का बचाव कर सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) के प्रावधानों को लेकर गवर्नर पटेल के साथ में चार डिप्टी गवर्नर संयुक्त पक्ष रखेंगे और इन्हें कुछ स्वतंत्र निदेशकों का समर्थन मिलने का भी अनुमान है। वित्त मंत्रालय द्वारा नामित सदस्यों समेत कुछ स्वतंत्र निदेशक पटेल पर निशाना साध सकते हैं।

सूत्रों के अनुसार, निदेशक मंडल की बैठक पूर्व निर्धारित होती है तथा बैठक का एजेंडा भी काफी पहले तय कर लिया जाता है। हालांकि, अध्यक्ष की अनुमति से निदेशक मंडल के सदस्य तय एजेंडे से इतर अन्य मुद्दे भी उठा सकते हैं। रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल में 18 सदस्य हैं। हालांकि, इसमें सदस्यों की संख्या 21 तक रखने का प्रावधान है।

सदस्यों में रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और चार अन्य डिप्टी गवर्नर पूर्णकालिक आधिकारिक निदेशक हैं। इनके अलावा अन्य शेष 13 सदस्य सरकार द्वारा नामित हैं। सरकार द्वारा नामित सदस्यों में वित्त मंत्रालय के दो अधिकारी आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार शामिल हैं।

सूत्रों ने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक बैंकों में त्वरित सुधारात्मक उपायों (पीसीए) की रूपरेखा तथा एमएसएमई क्षेत्र को ऋण देने के प्रावधानों में ढील को लेकर आपसी सहमति से किसी समाधान पर पहुंचने के पक्ष में हैं। सूत्रों के अनुसार, यदि इस बैठक में सहमति नहीं भी बन पाई तो अगले कुछ सप्ताह में त्वरित सुधारात्मक कदम पर सहमति बन जाएगी। इसके तहत कुछ बैंक चालू वित्त वर्ष के अंत तक इस रूपरेखा ढांचे के दायरे से बाहर आ सकते हैं। फिलहाल 21 सार्वजनिक बैंकों में से 11 बैंक पीसीए के दायरे में हैं। जिससे उन पर नए कर्ज देने को लेकर कड़ी शर्तें लागू हैं।

इन बैंकों में इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ऑरिएंटल बैंक आफ कॉमर्स, देना बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं।

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