Thursday, March 28, 2024
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निर्बल कभी शांति की पहल नहीं कर सकता: लद्दाख में सैनिकों से पीएम मोदी

पूर्वी लद्दाख में भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के कुछ ही दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अचानक लेह पहुंचे।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 03, 2020 15:59 IST
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Image Source : INDIA TV पूर्वी लद्दाख में भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के कुछ ही दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अचानक लेह पहुंचे।

लेह: पूर्वी लद्दाख में भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के कुछ ही दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अचानक लेह पहुंचे। लेह में उन्होंने थलसेना, वायुसेना और आईटीबीपी के जवानों से बातचीत की। लद्दाख की बर्फीली वादियों में जवानों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं गलवान घाटी में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सैनिकों को एक बार फिर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं। इसके बाद पीएम ने कहा कि कभी भी निर्बल शख्स शांति नहीं ला सकता। उन्होंने कहा कि वीरता ही शांति की पूर्व शर्त है।

‘दुनिया ने हमारे वीरों का पराक्रम देखा है’

जवानों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘शांति निर्बल कभी नहीं ला सकता है, कमजोर शांति की पहल नहीं कर सकता। वीरता ही शांति की पूर्व शर्त होती है। भारत आज जल, थल, नभ और अंतरिक्ष तक अगर अपनी ताकत बढ़ा रहा है तो उसके पीछे का लक्ष्य मानव कल्याण ही है। भारत आज आधुनिक अस्त्र-शस्त्र का निर्माण कर रहा है और दुनिया की आधुनिक से आधुनिक तकनीक अगर सेना के लिए लायी जा रही है तो उसके पीछे भी यही धारणा है। विश्व युद्ध हो या शांति की बात, जब भी जरूरत पड़ी है, विश्व ने हमारे वीरों का पराक्रम देखा है और विश्व शांति के प्रयासों को मससूस किया है।’

पढ़ें- लेह से लौटने के बाद दिल्ली में हाई लेवल मीटिंग करेंगे पीएम मोदी, रक्षा मंत्री तथा विदेश मंत्री और NSA रहेंगे मौजूद: सूत्र

‘हमने मानवता की रक्षा के लिए जीवन खपाया’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख में जवानों को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमने (भारतीयों ने) हमेशा मानवता की रक्षा के लिए काम किया है, जीवन खपाया है। आप सभी भारत के इसी लक्ष्य और परंपरा तथा संस्कृति को स्थापित करने वाले लीडर हो। महान संत तिरुवलुवर जी ने सैंकड़ों वर्ष पूर्व कहा था, शौर्य सम्मान, मर्यादा पूर्ण व्यवहार की परंपरा और विश्वसनीयता ये 4 गुण किसी भी देश की सेना का प्रतिविंब होते हैं। भारत की सेनाएं हमेशा से इसी मार्ग पर चली हैं।’

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