Saturday, May 04, 2024
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Butter Chicken Row: कर्मचारी ने कुछ मेहमानों को नहीं परोसा था बटर चिकन, विवाद पर HC ने की टिप्पणी, राजभवन को दिया ये आदेश

Butter Chicken Row: याचिकाकर्ता जयचंद उस समय राजभवन में बतौर हाउसकीपर काम कर रहा था। उस पर आरोप लगा था कि एक सभा में उसने कुछ मेहमानों को एक खास डिश नहीं परोसी।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: October 13, 2022 6:28 IST
Butter Chicken Row- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE Butter Chicken Row

Highlights

  • कर्मचारी के बचाव में आया पंजाब-हरियाणा HC
  • बटर चिकन विवाद पर राजभवन को दिया आदेश
  • कर्मचारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं करने को कहा

Butter Chicken Row: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट हरियाणा राजभवन के एक कर्मचारी के बचाव में आया है। दरअसल, कर्मचारी 2010 में कुछ मेहमानों को बटर चिकन नहीं परोस पाने के कारण विवाद में फंस गया था। अब हाई कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों से उस कर्मचारी के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने को कहा है। उस वक्त राजभवन में हाउसकीपर के रूप में सेवा दे रहे याचिकाकर्ता जयचंद पर एक सभा में कुछ मेहमानों को एक खास डिश नहीं परोसने का आरोप लगाया गया था, जबकि बाकी लोगों को वही डिश परोसी गई थी। उन पर एक सहकर्मी के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया गया था। 

'याचिकाकर्ता एक हाउसकीपर के रूप में सेवा कर रहा था' 

न्यायमूर्ति अरुण मोंगा ने अपने 07 सितंबर के आदेश में कहा, "आरोपों की प्रकृति और गंभीरता ऐसी प्रतीत नहीं होती है कि याचिकाकर्ता को इतनी कठोर और गैर-अनुपातिक सजा दी जानी चाहिए, जैसा विचार किया गया है।" अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता एक हाउसकीपर के रूप में सेवा कर रहा था और उसकी सेवाएं केवल हाउसकीपिंग के लिए थी। 

'रिकॉर्ड में नहीं कि बटलर का काम भी पूरा करना चाहिए' 

अदालत ने कहा, "यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है कि एक हाउसकीपर को बटलर का काम भी पूरा करना चाहिए। आरोप यह है कि उन्होंने मेहमानों के दोनों समूहों को एक ही तरह के भोजन नहीं परोसे, जिससे गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित करने वाले मेजबानों को शर्मिंदगी झेलनी पड़ी, इसके लिए केवल याचिकाकर्ता को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि वह केवल एक हाउसकीपर है।" 

'जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता कि उसने सेवा नहीं की'

न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, "मेनू की सामग्री और उसके संदर्भ में सेवा एक अंशदायी प्रक्रिया है, जिसमें दो से अधिक लोग शामिल होते हैं और याचिकाकर्ता को किसी भी गलत कदम के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता कि उसने सेवा नहीं की।"

राज्यपाल के तत्कालीन सचिव की सिफारिशों का संज्ञान

सुनवाई के दौरान अदालत ने 08 सितंबर, 2016 को याचिकाकर्ता के बारे में हरियाणा के राज्यपाल के तत्कालीन सचिव की सिफारिशों का भी संज्ञान लिया। इसने जिक्र किया कि शुरू में, उसके व्यवहार के बारे में कुछ छोटी-मोटी शिकायतें थीं, जिसके लिए उसे व्यक्तिगत रूप से अपने आचरण और व्यवहार में सुधार करने की सलाह दी गई थी। 

'आचरण के खिलाफ कोई गंभीर शिकायत नहीं की गई'

तत्कालीन सचिव ने नोट में लिखा था, "अब पिछले कई महीनों से मुझे उसके व्यवहार और आचरण के खिलाफ कोई गंभीर शिकायत नहीं की गई है या कुछ भी मेरी जानकारी में नहीं आया है। इसलिए मुझे इस स्तर पर उन्हें (हाउसकीपर को) कोई बड़ी सजा देने का कोई औचित्य नहीं दिखता।" अदालत ने दलीलों को सुनने के बाद कहा कि कारण बताओ नोटिस पर याचिकाकर्ता के जवाब पर प्रतिवादियों की ओर से स्वस्थ दृष्टिकोण अपनाए जाने की उम्मीद के साथ मामले का निपटारा किया जाता है। 

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