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VIDEO: भारत आए शिवाजी महाराज के बाघ नख की क्या है कहानी? क्यों चीरा था ‘धोखेबाज’ अफजल खान का पेट?

महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि छत्रपति शिवाजी द्वारा इस्तेमाल किया गया बाघ के पंजे के आकार का हथियार ‘वाघ नख’ बुधवार को लंदन के एक संग्रहालय से मुंबई लाया गया है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Jul 18, 2024 14:37 IST, Updated : Jul 18, 2024 14:44 IST
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Image Source : INDIA TV छत्रपति शिवाजी महाराज का बाघ नख वापस आ गया है।

मुंबई: छत्रपति शिवाजी महाराज का बाघ नख ब्रिटेन की राजधानी लंदन से भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई पहुंच चुका है। पिछले साल महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने बाघ नख को वापस लाने के लिए कोशिशें शुरू की थीं। आखिरकार 17 जुलाई की सुबह बाघ नख लंदन से मुंबई एयरपोर्ट पहुंच गया। बता दें कि 1659 के युद्ध में छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसी बाघ नख के एक प्रहार से अफजल का काम तमाम किया था और अपनी रक्षा की थी। मराठा साम्राज्य के भविष्य को इस घटना ने एक अलग ही दिशा में मोड़ दिया था।

शिवाजी महाराज के बाघ नख के लिए ‘बुलेट प्रूफ’ कवर

महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने बुधवार को कहा था कि छत्रपति शिवाजी द्वारा इस्तेमाल किया गया बाघ के पंजे के आकार का हथियार ‘वाघ नख’ बुधवार को लंदन के एक संग्रहालय से मुंबई लाया गया है। इस वाघ नख को अब पश्चिम महाराष्ट्र के सतारा ले जाया जाएगा, जहां 19 जुलाई से इसका प्रदर्शन किया जाएगा। राज्य के आबकारी मंत्री शंभुराज देसाई ने मंगलवार को कहा था कि वाघ नख का सतारा में भव्य स्वागत किया जाएगा। उन्होंने पत्रकारों को बताया था कि लंदन के एक संग्रहालय से लाए जाने वाले इस हथियार में ‘बुलेट प्रूफ’ कवर होगा।

आखिर शिवाजी ने क्यों चीरा था अफजल खान का पेट?

इतिहासकारों के अनुसार, 1659 में शिवाजी महाराज ने बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को बाघ नख से एक ही झटके में चीर दिया था। तब बीजापुर सल्तनत के प्रमुख आदिल शाह और शिवाजी के बीच युद्ध चल रहा था। अफजल खान ने छल से शिवाजी को मारने की योजना बनाई थी और उन्हें मिलने के लिए बुलाया था। शिवाजी ने अफजल खान के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया था। जब शामियाने में मुलाकात के दौरान उसने शिवाजी की पीठ में खंजर भोंकने की कोशिश की, तो पहले से ही सतर्क शिवाजी ने बाघ नख से एक ही बार में अफजल का पेट चीर दिया था। तब से शिवाजी का बाघ नख शौर्य का प्रतीक बना हुआ है।Tiger Claw, Bagh Nakh, Tiger Claw Weapon, Bagh Nakh Weapon

Image Source : INDIA TV
बाघ नख को लाने के लिए महाराष्ट्र सरकार काफी पहले से कोशिश कर रही थी।

महाराष्ट्र में 350 वर्षो बाद बाघ नखों की सियासत

छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1659 में आदिलशाही सल्तनत के सेनापति अफजल खान को जिस बाघ नख से मारा, महाराष्ट्र सरकार ने अपनी कोशिशों से उसे वापिस ला दिया है। यह बाघ नख ब्रिटेन के एक म्यूजियम में रखा हुआ था।  राज्य सरकार ने जी20 की बैठकों में इसका जिक्र किया था और ब्रिटेन सरकार ने इसे देने की हामी भरी थी। यह बाघ नख अब भारत आ रहे हैं। हालांकि इसे लेकर सियासत भी शुरू हो गई है और शिवसेना (UBT) के नेताओं ने इस बाघ नख के शिवाजी का बाघ नख होने पर सवाल उठाए हैं।

इतिहासकार ने इस मसले पर क्या कहा?

महाराष्ट्र के कोल्हापुर से इतिहास के जानकार इन्द्रजीत सावंत ने कहा है कि जो बाघ नख महाराष्ट्र सरकार लंदन से ला रही है वह असली नहीं है क्योंकि साल 1919 तक महाराष्ट्र में सातारा में शिवाजी महाराज के बाघ नख उनके वंशजों के महल में मौजूद थे। हालांकि 1919 के बाद से बाघ नखों का कोई पता नहीं था। जो बाघ नख महाराष्ट्र सरकार लाई है इसे एक अंग्रेज अधिकारी को भेंट में दिया गया था और बाद में इसे उन्होंने लंदन म्यूजियम को सौंप दिया था। इस तरह देखा जाए तो दोनों ही पक्षों के अपने-अपने दावे और अपनी-अपनी दलीलें हैं।

शिवाजी ने ही किया था सबसे पहले इस्तेमाल?

कहते हैं कि बाघ नख नाम के इस हथियार का इस्तेमाल सबसे पहले छत्रपति शिवाजी महाराज ने ही किया था। बाघ नख एक तरह का हथियार है, जो आत्मरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे इस तरह डिजाइन किया जाता है जिससे यह पूरी मुट्ठी में फिट हो सके। यह स्टील और दूसरी धातुओं से से तैयार किया जाता है। इसे चार नुकीली छड़ें होती हैं जो किसी बाघ के पंजे जैसी घातक और नुकीली होती है और इसके दोनों तरफ दो रिंग होती हैं। इसे हाथ की पहली और चौथी उंगली में पहनकर ठीक तरह से मुट्ठी में फिट किया जाता है। यह इतना घातक होता है कि एक ही वार में किसी को भी मौत के घाट उतार सकता है।

अंग्रेज अधिकारी को दिया गया था बाघ नख?

कहते हैं कि शिवाजी महाराज का बाघ नख मराठा साम्राज्य की राजधानी सतारा में था, लेकिन मराठा पेशवा ने 1818 में इसे ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स ग्रांट डफ को दे दिया था। बताया जाता है कि 1824 में डफ जब वापस इंग्लैंड गए तो वह बाघ नख को भी ले गए। बाद में सालों में उन्होंने इसे म्यूजियम को दे दिया।

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