Monday, April 15, 2024
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Dilwa Railway Station: इस रेलवे स्टेशन का एक प्लेफॉर्म बिहार में तो दूसरा झारखंड में, दोनों राज्यों के नाम का लगा है बोर्ड

भारतीय रेलवे का इतिहास काफी पुराना है। भारतीय रेलवे की शुरूआत ब्रिटिश काल में हुई थी। रेलवे से जुड़ी इस जानकारी के बारे में बहुत कम लोगों को पता है कि देश में एक ऐसा रेलवे स्टेशन भी है जो दो राज्यों की सीमाओं को जोड़ता है।

Swayam Prakash Edited by: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Updated on: June 03, 2022 21:59 IST
The interesting story of Dilwa Railway Station- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO The interesting story of Dilwa Railway Station

Highlights

  • भारतीय रेलवे का एक ऐतिहासिक स्टेशन
  • स्टेशन पर लिखा है दोनों राज्यों का नाम
  • आपातकाल में आड़े आती है सीमा समस्या

Dilwa Railway Station: एक ऐसा स्टेशन जो विभाजन के बाद भी दो राज्यों की सीमाओं को जोड़ता है। भारतीय रेलवे के इस ऐतिहासिक स्टेशन का प्लेफॉर्म एक राज्य में है तो लूप लाइन दूसरे राज्य में पड़ती है। इतना ही नहीं स्टेशन पर दोनों राज्यों के बोर्ड भी लगे हुए हैं। 

विभाजन के बाद भी दो राज्यों को जोड़ता स्टेशन 

भारतीय रेलवे का इतिहास काफी पुराना है। भारतीय रेलवे की शुरूआत ब्रिटिश काल में हुई थी। रेलवे से जुड़ी इस जानकारी के बारे में बहुत कम लोगों को पता है कि देश में एक ऐसा रेलवे स्टेशन भी है जो दो राज्यों की सीमाओं को जोड़ता है। ये रेलवे स्टेशन बिहार और झारखंड दोनों राज्यों को विभाजन के बाद आज भी जोड़ता है, जबकि साल 2000 में बिहार से झारखंड अलग हो गया था लेकिन इस स्टेशन पर दोनों राज्यों का नाम लिखा हुआ है।

एक राज्य में मेन लाइन और दूसरे में लूप लाइन

दरअसल, कोडरमा के दिलवा रेलवे स्टेशन में मेन लाइन झारखंड में है तो वहीं प्लेफॉर्म और लूप लाइन बिहार में आती है। हावड़ा दिल्ली मेन लाइन का ये है कोडरमा का दिलवा रेलवे स्टेशन। दिलवा स्टेशन से गुजरने वाली मेन लाइन झारखंड में है तो लूप लाइन बिहार में है। जबकि दोनों राज्यों को अलग हुए अब 22 साल हो गए जब इन दोनों राज्यों की सीमाएं निर्धारित की गई थीं लेकिन यह दिलवा स्टेशन और इस स्टेशन के कर्मी राज्यों की सीमाओं को नहीं मानते।

...तब न बिहार था और न ही झारखंड 

गौरतलब है कि साल 1960 में ब्रिटिश काल में कोडरमा से गुजरने वाली हावड़ा दिल्ली मेन लाइन के कोडरमा-गया रेलखंड का निर्माण किया गया था। उस समय न ही बिहार था और न ही झारखंड राज्य का गठन हुआ था। तब ये पूरा क्षेत्र मगध कहलाता था। आज भी जब दिलवा स्टेशन से सटे एक टनल से होकर ट्रेन गुजरती है और यहां से गुजरने वाले रेलयात्री स्टेशन पर लगे बिहार और झारखंड का यह बोर्ड देखते हैं तो उन्हें कई मायने में यह पूरा इलाका ऐतिहासिक होने का प्रमाण मिलता है।

आपातकाल में आड़े आती है सीमा समस्या

हालांकि ऐतिहासिक होने के इतर कई बार बिहार और झारखंड को जोड़े रखने वाले इस स्टेशन पर घटना दुर्घटना के वक्त परेशानी भी होती है। आरपीएफ और जीआरपी के बीच दोनों राज्यों की सीमा विवाद से कई बार समस्याएं बढ़ जाती है।

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