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लेह हिंसा पर लद्दाख के DGP का सामने आया बयान, सुरक्षाबलों की ओर से गोलीबारी करने की वजह भी बताई

लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसा को लेकर लद्दाख के DGP का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि CRPF जवानों को बेरहमी से पीटा गया और उन पर भी हमला हुआ। आत्मरक्षा में गोलीबारी की गई।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published : Sep 27, 2025 02:10 pm IST, Updated : Sep 27, 2025 02:11 pm IST
Ladakh DGP- India TV Hindi
Image Source : ANI लद्दाख DGP डॉ. एसडी सिंह जामवाल

लेह: 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा को लेकर लद्दाख के डीजीपी डॉ. एसडी सिंह जामवाल का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा, "सीआरपीएफ जवानों को बेरहमी से पीटा गया, एक जवान अभी भी रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट के साथ अस्पताल में है। 4 महिला पुलिसकर्मी उसी इमारत में थीं जब उसमें आग लगा दी गई। एक और भी बड़ी भीड़ यहां आई और इस इमारत पर हमला किया।"

क्या थी गोली चलाने की वजह?

उन्होंने कहा, "आत्मरक्षा में (सुरक्षा बलों द्वारा) गोलीबारी की गई और 4 दुर्भाग्यपूर्ण मौतें हुईं। पहले दिन 32 लोग गंभीर रूप से घायल हुए और उसके बाद कई और घायल हुए। मुझ पर भी हमला हुआ लेकिन मैं सौभाग्य से मामूली चोटों के साथ बच गया। गंभीर रूप से घायल कर्मियों में से 17 सीआरपीएफ के और 15 लद्दाख पुलिस के थे। बाद में यह संख्या बढ़कर 70-80 हो गई। 70-80 नागरिक भी घायल हुए। 6-7 लोग अभी भी लद्दाख के अस्पताल में हैं।"

सोनम वांगचुक को लेकर कही ये बात

डीजीपी ने कहा, "यह सिर्फ एक घटना है, मुझे लगता है कि लद्दाख फिर से पुनर्जीवित होगा और वहां लोगों के लिए वही संस्कृति और आतिथ्य होगा।" उन्होंने कहा, "लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से ही छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे की राजनीतिक मांग उठ रही है। लेह एपेक्स बॉडी और केडीए ने सरकार के साथ लंबी चर्चा की है। यह एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन इस प्रक्रिया को विफल करने के प्रयास भी किए जा रहे थे। एक तथाकथित पर्यावरण कार्यकर्ता और अपनी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाने वाले ऐसे ही अन्य समूहों ने इस मंच को हाईजैक करने का प्रयास किया। इसमें पहला नाम सोनम वांगचुक का है। जिन्होंने पहले भी इस तरह की कोशिश की।"

डीजीपी ने कहा, "25-26 सितंबर को दिल्ली में प्रारंभिक वार्ता की योजना पहले ही बन चुकी थी लेकिन इससे पहले एक अनशन शुरू किया गया। इसे एक ऐसा मंच बनाया गया जहां शांति और कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने वाले तत्वों को आमंत्रित किया गया। हैरानी की बात यह है कि 24 सितंबर को एक बड़ा समूह इकट्ठा हुआ और उसमें बड़ी संख्या में असामाजिक तत्व शामिल हो गए। 5000-6000 लोगों के एक समूह ने मार्च किया और सरकारी इमारतों और पार्टी कार्यालयों को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने पथराव किया और सुरक्षा बलों पर हमला किया।"

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