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PM Modi govt 8 years: पीएम मोदी की पहल 'Make in India' ने बदली देश की दिशा, युवाओं में भी बढ़ा बिजनेस का क्रेज

मेक इन इंडिया कार्यक्रम एक ऐसी पहल है जो भारत को आयात (Import) करने की जगह निर्यात (Export) करने वाला देश बना रही है। ये देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए प्रभावी कदम है।

Written By: Rituraj Tripathi @riturajfbd
Published : May 25, 2022 19:54 IST, Updated : Dec 16, 2022 7:17 IST
Make in India- India TV Hindi
Image Source : PM MODI/FILE PHOTO Make in India

Highlights

  • 25 सितंबर साल 2014 को मेक इन इंडिया कार्यक्रम की हुई थी शुरुआत
  • बजट में साल 2019-20 में 651.58 करोड़ रुपए आवंटित हुए
  • 2020-21 में 1281.97 करोड़ रुपए आवंटित हुए

पीएम मोदी ने 25 सितंबर साल 2014 को मेक इन इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इस अभियान में अर्थव्यवस्था के 25 अहम क्षेत्रों को शामिल किया गया था, जिसका मकसद ये था कि भारत ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बने। मेक इन इंडिया के लिए बजट में साल 2019-20 में 651.58 करोड़ रुपए आवंटित हुए थे, वहीं 2020-21 में 1281.97 करोड़ रुपए आवंटित हुए। 

क्या है मेक इन इंडिया कार्यक्रम

मेक इन इंडिया कार्यक्रम (Make in India) एक ऐसी पहल है जो भारत को आयात (Import) करने की जगह निर्यात (Export) करने वाला देश बना रही है। ये देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए प्रभावी कदम है। इसका मुख्य फोकस 'निर्माण क्षेत्र' पर है और इसका लक्ष्य उद्यमशीलता (Entrepreneurship) को बढ़ावा देना है।

इस कार्यक्रम के तहत इनवेस्टमेंट के लिए सही माहौल बनाना, मॉर्डन और बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना, विदेशी इंवेस्टमेंट के लिए नए क्षेत्रों को खोलना और सरकार-उद्योग के बीच एक साझेदारी क्रिएट करना है।

कितना सफल रहा है मेक इन इंडिया

मोदी सरकार के मेक इन इंडिया प्रोग्राम (Make in India) से देश की अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती मिली है। एक तरफ विदेशी निवेश को बढ़ावा मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ युवा मेक इन इंडिया के तहत व्यापार में अपना हाथ आजमा रहे हैं। इससे जिन प्रोडक्ट्स के लिए हम बाहरी ताकतों पर निर्भर थे, अब अपने ही देश में उत्पादन के रास्ते खोज रहे हैं। 

मेक इन इंडिया का सीधा लक्ष्य है कि उत्पादों को भारत में ही बनाया जाए। इससे रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा और विदेशी निवेश भी हासिल होगा। क्योंकि जब हम अपने उत्पादों को विदेश में बेचेंगे तो हमें विदेशी आय मिलेगी और उससे देश की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी। 

इस कार्यक्रम के तहत ईज ऑफ डुइंग बिजनेस को भी बढ़ावा मिला है। कई पुराने नियमों में बदलाव किया गया है और नए नियमों को इतना सरल बनाया गया है, जिससे आम आदमी उनको समझ सके।

 

 

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