Sunday, April 28, 2024
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया देश को संबोधित, कहा- गांधीजी ने देश की आत्मा को जगाया

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को संबोधित किया है। अपने संबोधन में उन्होंने देशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि गांधी जी ने देश की आत्मा को जगाया है।

Avinash Rai Written By: Avinash Rai
Updated on: August 14, 2023 22:45 IST
President Draupadi Murmu addressed the country, said- Gandhiji awakened the soul of the country- India TV Hindi
Image Source : ANI द्रौपदी मुर्मू

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश को संबोधित किया है। राष्ट्रपति मुर्मू ने देशवासियों को 77वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए गौरवशाली एवं शुभ अवसर है। उन्होंने कहा, 'मुझे यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि हवा में उत्सव का माहौल है। यह देखना हमारे लिए खुशी के साथ-साथ गर्व की बात है कि भारत में हर जगह, शहरों और गांवों में बच्चे, युवा और बुजुर्ग कैसे उत्साहित हैं और हमारी आजादी के इस त्योहार को मनाने की तैयारी कर रहे हैं। लोग बड़े उत्साह के साथ 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहे हैं।'

राष्ट्रपति ने कस्तूरबा गांधी को किया याद

राष्ट्रपति ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, मैं अपने साथी नागरिकों के साथ उन ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को कृतज्ञ श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं जिनके बलिदानों ने भारत को राष्ट्रों के समुदाय में अपना उचित स्थान फिर से हासिल करना संभव बना दिया है। उन्होंने कहा, 'मातंगिनी हाजरा और कनकलता बरुआ जैसी महान महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत-माता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। मां कस्तूरबा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ सत्याग्रह की कठिन राह पर कदम-कदम पर कदम बढ़ाया।'

नई शिक्षा नीति से आएगा बदलाव

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि 2020 की नई शिक्षा नीति से बदलाव आना शुरू हो गया है। यह आने वाले समय में देश में कई नए बदलाव लाएगी। उन्होंने कहा,"मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि हमारे देश में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आर्थिक सशक्तिकरण से परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत होती है। मैं सभी साथी नागरिकों से आग्रह करता हूं महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता देना। मैं चाहूंगा कि हमारी बहनें और बेटियां साहस के साथ चुनौतियों पर विजय प्राप्त करें और जीवन में आगे बढ़ें। महिलाओं का विकास हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों में से एक था।''

राष्ट्रपति ने जी-20 का किया जिक्र

राष्ट्रपति ने आगे संबोधित करते हुए कहा कि आज हम देख रहे हैं कि भारत ने न केवल विश्व मंच पर अपना उचित स्थान हासिल कर लिया है, बल्कि इसने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में भी अपना कद बढ़ाया है। भारत इसे बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा, 'दुनिया भर में विकासात्मक और मानवीय लक्ष्य में भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों का नेतृत्व भी संभाला है, खासकर जी-20 की अध्यक्षता। चूंकि जी-20 दुनिया की दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह वैश्विक चर्चा को आकार देने में मदद करने का एक अनूठा अवसर है।

हम सभी महान देश के नागरिक हैं

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 77वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, ‘‘जब हम स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाते हैं तो वास्तव में हम एक महान लोकतंत्र के नागरिक होने का उत्सव भी मनाते हैं। हममें से हर एक की अलग-अलग पहचान है। जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा हमारी अपने परिवार और कार्य क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे ऊपर है और वह है भारत का नागरिक होना। हम सभी समान रूप से इस महान देश के नागरिक हैं। हम सब को समान अवसर और अधिकार उपलब्ध हैं और हमारे कर्तव्य भी समान हैं।’’ 

स्वाधीनता संग्राम का अनोखा तरीका

मुर्मू ने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और प्राचीन काल में भी यहां जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक संस्थाएं विद्यमान थीं किन्तु लंबे समय तक चले औपनिवेशिक शासन ने उन लोकतांत्रिक संस्थाओं को मिटा दिया था। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को राष्ट्र ने एक नया सवेरा देखा जब देश ने विदेशी शासन से तो आजादी हासिल की, साथ ही अपनी नियति का निर्माण करने की भी स्वतंत्रता प्राप्त की। राष्ट्रपति ने कहा कि स्वाधीनता के बाद विदेशी शासकों द्वारा उपनिवेशों को छोड़ने का दौर शुरू हुआ और उपनिवेशवाद समाप्त होने लगा। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे लिए स्वाधीनता के लक्ष्य को प्राप्त करना तो महत्वपूर्ण था ही लेकिन उससे अधिक उल्लेखनीय है हमारे स्वाधीनता संग्राम का अनोखा तरीका।’’ 

स्वतंत्रता संग्रान सेनानियों का किया जिक्र

स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी तथा कई अन्य असाधारण और दूरदर्शी विभूतियों के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन अद्वितीय आदर्शों से अनुप्रमाणित था। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी तथा अन्य महानायकों ने भारत की आत्मा को फिर से जगाया और देश की महान सभ्यता के मूल्यों का जन-जन में संचार किया। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के ज्वलंत उदाहरण का अनुसरण करते हुए स्वाधीनता संग्राम की अधारशिला ‘सत्य और अहिंसा’ को पूरी दुनिया के अनेक राजनीतिक संघर्ष में सफलतापूर्वक अपनाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘ स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मैं भारत के नागरिकों के साथ एकजुट होकर सभी ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को कृतज्ञतापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। उनके असंख्या बलिदानों से भारत ने विश्व समुदाय में अपना स्वाभिमानपूर्ण स्थान फिर से प्राप्त किया।’’ 

महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता दें

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में लोकतंत्र के आयामों, महिला सशक्तीकरण, जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती, अंतरिक्ष कार्यक्रम, चंद्रयान-अभियान, भारतीय अर्थव्यवस्था सहित विभिन्न विषयों का उल्लेख किया। मुर्मू ने कहा कि आज की महिलाओं ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बना लिया है जिनमें कुछ दशकों पहले उनकी भागीदारी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि हमारे देश की महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आर्थिक सशक्तीकरण से परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत होती है।’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ मैं सभी देशवासियों से आग्रह करती हूं कि वे महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दें। मैं चाहूंगी कि हमारी बहनें और बेटियां साहस के साथ हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें। महिलाओं का विकास, स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों में शामिल है।’’ 

वीरांगनाओं को किया याद

उन्होंने कहा कि मातंगिनी हाजरा और कनकलता बरूआ जैसी वीरांगनाओं ने भारत माता के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिये। उन्होंने कहा कि मां कस्तूरबा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ कदम मिलाकर सत्याग्रह के मार्ग पर चलती रहीं। उन्होंने कहा कि सरोजिनी नायडू, अम्मू स्वामीनाथन, रमा देवी, अरुणा आसफ अली और सुचेता कृपलानी जैसी महिला विभूतियों ने अपने बाद की सभी पीढ़ियों की महिलाओं के लिए आत्म विश्वास के साथ देश तथा समाज की सेवा करने के प्रेरक आदर्श प्रस्तुत किए हैं। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ हमारे देश ने नए संकल्पों के साथ ‘अमृत काल’ में प्रवेश किया है तथा हम भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। आइए हम सभी अपने संवैधानिक मूल कर्तव्यों को निभाने का संकल्प लें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हम व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें ताकि हमारा देश निरंतर उन्नति करते हुए कर्मठता तथा उपलब्धियों की नई ऊंचाइयां हासिल करे।’’

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