Friday, April 26, 2024
Advertisement

Rajat Sharma’s Blog: कहने को अस्पताल, न दवा, न डॉक्टर, ये है PMCH का हाल

तेजस्वी यादव ने कहा कि ड्यूटी में लापरवाही बरतने के लिए अधिकारियों और डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

Rajat Sharma Written By: Rajat Sharma
Published on: September 08, 2022 17:41 IST
Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on PMCH, Rajat Sharma Blog on Tejashwi Yadav- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने, जो कि स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, राज्य के सबसे बड़े अस्पताल, पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल का मंगलवार की रात को अचानक मुआयना किया। अस्पताल में मरीज़ों की बदहाली को देखकर वह दंग रह गए।

अस्पताल के कॉरिडोर में लाशें पड़ी थी, मरीज जमीन पर पड़े कराह रहे थे, कुछ को सलाइन वॉटर चढ़ रहा था जिसकी बोतलों को रस्सी के जरिए वहां जल रहे बल्ब से बांधा गया था। अस्पताल में दवाओं के नाम पर सिर्फ बुखार की गोली और पेनकिलर टैबलेट मिल रहा था। सबसे बड़ी बात, रात के वक्त अस्पताल से डॉक्टर ही गायब थे। फॉर्मेसी का इंचार्ज भी ड्यूटी पर नहीं था। सब कुछ राम भरोसे था।

जिन मरीजों को ICU में ऐडमिट करने की जरूरत थी, वे स्ट्रेचर पर पड़े कराह रहे थे। डॉक्टर तो दूर, नर्स ने भी उन्हें नहीं देखा। मरीजों के परिवार वाले जान बचाने की गुहार लगा रहे थे, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं था।

यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 17 साल लंबे ‘सुशासन’ का जीता-जागता नमूना है। अपने मुआयने के बाद बुधवार को तेजस्वी यादव ने सिविल सर्जनों के साथ बैठक कर अस्पतालों की दशा सुधारने का वादा किया। उन्होंने कहा, 'हालात जरूर सुधरेंगे।' लेकिन हमारे संवाददाता नीतीश चंद्र, जो बुधवार की सुबह PMCH पहुंचे थे, को अस्पताल की मौजूदा हालत में कोई बदलाव नजर नहीं आया।

बुधवार की रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने दिखाया कि कैसे सूबे के सबसे बड़े अस्पताल को नर्सों और ट्रेनी डॉक्टरों के भरोसे छोड़ दिया गया था, और सभी सीनियर डॉक्टर ड्यूटी से गायब थे। तेजस्वी यादव ने गार्डिनर रोड हॉस्पिटल और गर्दनीबाग के सरकारी अस्पताल का भी दौरा किया, लेकिन तब तक औचक निरीक्षण की बात फैल चुकी थी इसलिए बाकी के दोनों अस्पतालों में डॉक्टर ड्यूटी पर मौजूद मिले।

तेजस्वी यादव सबसे पहले PMCH के जनरल वॉर्ड में पहुंचे। वहां मरीज को देखने के लिए कोई डॉक्टर ही नहीं था। परिवार वाले ही अपने मरीज की देखभाल कर रहे थे। मरीजों के तीमारदारों ने जैसे ही तेजस्वी को देखा तो शिकायतों का अंबार लग गया। बेड टूटे-फूटे थे, बेडशीट और तकिया गायब थे, मरीज गद्दों पर लेटे हुए थे और उनकी सैलाइन वॉटर की बोतल को परिजन लेकर खड़े हुए थे क्योंकि स्टैंड नहीं था। वॉर्ड में जबरदस्त भीड और उससे भी ज्याद गंदगी थी। तेजस्वी के लिए भी सांस लेना मुश्किल हो गया, पेशाब की और दवाओं की बदबू आ रही थी। परिजनों ने मंत्री को गंदे वॉशरूम दिखाए जो इस्तेमाल के लायक ही नहीं थे। तेजस्वी वॉशरूम देखने गए, लेकिन अंदर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।

ज़्यादातर मरीजों के परिजनों ने बताया कि वे इतने गरीब हैं कि बाहर से दवाएं नहीं खरीद सकते लेकिन अस्पताल की फॉर्मेसी में डॉक्टरों की लिखी कोई दवा नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि डॉक्टर, नर्स और मरीज उनकी बात ही नहीं सुनते। तेजस्वी फिर फार्मेसी गए, लेकिन वहां का मैनेजर गायब था। पता लगा कि रात में मैनेजर नहीं होता, कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे दो लोगों के भरोसे फॉर्मेसी चलती है। जब तेजस्वी ने दवाओं की लिस्ट के बारे में पूछा तो पता चला कि लिस्ट ही नहीं है। तेजस्वी के बहुत जोर डालने पर एक कर्मचारी ने बताया कि फॉर्मेसी में सिर्फ 46 तरह की दवाएं हैं। उसने बताया कि दवाओं की लिस्ट सुबह इंचार्ज साहब के आने के बाद मिलेगी।

आमतौर पर अस्पताल की फार्मेसी में मरीजों को मुफ्त में देने के लिए लगभग 600 तरह की दवाएं उपलब्ध होनी चाहिए थीं।

पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में 1,675 बेड हैं, और राज्य सरकार ने इनकी संख्या बढ़ाकर 5,462 बेड तक करने का लक्ष्य रखा है। PMCH के लिए पिछले साल 5,500 करोड़ रुपये का बजट रखा था। इस हॉस्पिटल में औसतन 4 हजार मरीज रोज आते हैं।

तेजस्वी डॉक्टरों के चैंबर में गए। उन्हें एक भी सीनियर डॉक्टर मौजूद नहीं मिला। वहां केवल दो जूनियर डॉक्टर थे, जो पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल के छात्र थे। जूनियर डॉक्टरों ने बताया कि उनके सीनियर रात 11 बजे खाना खाने गए थे। तेजस्वी को दूसरे वॉर्ड में भी ऐसे ही हालात मिले, जहां सिर्फ नर्सें ही मौजूद थीं।

PMCH में कुल मिलाकर 36 वॉर्ड हैं। डॉक्टरों और प्रोफेसरों की कुल 586 पोस्ट हैं, लेकिन फिलहाल यहां 331 डॉक्टर हैं, और 255 पद खाली हैं।

तेजस्वी यादव ने जब अस्पताल अधीक्षक से मिलना चाहा, तो पता चला कि वह है नहीं। तेजस्वी ने उनसे फोन पर बात की और तुरंत अस्पताल आने को कहा। इसके बाद वह PMCH के कंट्रोल रूम में पहुंच गए, जहां मरीजों का रजिस्ट्रेशन होता है। उन्होंने वहां डॉक्टरों के रोस्टर और ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों के नाम की लिस्ट के बारे में पूछा, लेकिन वहां कुछ नहीं था। न मरीजों की लिस्ट थी, न ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों की और न ही कोई रोस्टर था। उन्होंने बताया गया कि कंट्रोल रूम संभालने के लिए कोई डॉक्टर ही मौजूद नहीं है। वहां जो शख्स बैठा था वह मेल नर्स था। जब तेजस्वी ने उससे पूछा कि कंट्रोल रूम में मेल नर्स का क्या काम, तो जवाब मिला, ‘हमारी यहीं ड्यूटी लगी है।’

तेजस्वी जब हॉस्पिटल से निकल रहे थे, उसी वक्त उनकी नजर एक बंद कमरे पर पड़ी। जब उन्होंने पूछा कि यह किसका कमरा है तो बहुत पूछने पर बताया गया कि डॉक्टरों का रूम है। तेजस्वी ने कमरे को खुलवाया तो जो दिखा वह हैरान करने वाला था। कमरे में डॉक्टर साहब बाकायदा मच्छरदानी लगाकर बैड पर सोए हुए थे। हंगामा सुनकर मच्छरदानी में सो रहा शख्स उठा और उसने तेजस्वी से कहा, ‘मैं डॉक्टर अनीस हूं।’

PMCH से निकलते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि ड्यूटी में लापरवाही बरतने के लिए अधिकारियों और डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। PMCH के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर इंद्रशेखर ठाकुर ने भी कहा कि लापरवाही करने वालों पर ऐक्शन लिया जाएगा।

ये महज आश्वासन साबित हुए। मैंने बुधवार सुबह इंडिया टीवी के रिपोर्टर नीतीश चंद्रा को PMCH भेजा। उन्हें सुरक्षा गार्डों ने कैमरे के साथ अस्पताल में जाने से रोक दिया। नीतीश ने उन लोगों से बात की जो अस्पताल से डॉक्टर को दिखाकर बाहर निकल रहे थे। उन लोगों ने बताया कि कुछ नहीं सुधरा है, कोई फर्क नहीं पड़ा है, न तो दवा मिल रही है और न डॉक्टर मिल रहे हैं।

बुधवार को PMCH से फिर बुरी खबर आई। अस्पताल के चाइल्ड वॉर्ड में एक बच्चे की मौत के बाद डॉक्टरों और मरीजों के रिश्तेदारों के बीच मारपीट हो गई। बच्चे के परिवार वालों का आरोप था कि डॉक्टरों ने लापरवाही की और वक्त पर बच्चे को इलाज नहीं मिला। जब बच्चे के परिवार के लोग रोने चिल्लाने लगे तो दूसरे मरीज भी इकट्ठा हो गए। पहले तो डॉक्टरों के साथ उनकी नोकझोंक हुई, लेकिन फिर मारपीट की नौबत आ गई। शाम तक जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए।

अच्छा हुआ कि तेजस्वी यादव ने अचानक ही अस्पताल पहुंचकर सुशासन बाबू के काम का नजारा अपनी आंखों से देख लिया, उसे महसूस किया। क्या बिहार में कोई गरीब बीमार हो जाए तो उसे इलाज का अधिकार नहीं है? और बात सिर्फ इलाज की नहीं है, बिहार में तो आम आदमी को अपनी सुरक्षा का अधिकार भी नहीं है।

पटना में बुधवार को बीच सड़क पर दो लोगों की हत्या हो गई, सीवान में एक पुलिसवाले को मार डाला गया, और एक खनन इंस्पेक्टर ने धमकी मिलने के बाद अपने लिए सुरक्षा की मांग की। हत्या और रंगदारी की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि उन्होंने पुलिस और प्रशासन से डरना छोड़ दिया है। ज्यादातर लोग कहते हैं कि बिहार में न हॉस्पिटल की बेहाली कोई नई बात है और न हत्या और रंगदारी कोई नई चीज है।

लेकिन सवाल यह है कि नीतीश कुमार पिछले 17 साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं, उन्हें सुशासन बाबू का खिताब किसने दिया? सवाल तो यह है कि अगर बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं का, कानून व्यवस्था का इतना बुरा हाल है तो उसके जिम्मेदार नीतीश कुमार नहीं तो और कौन है?

अगर नीतीश कुमार को लगता है कि बिहार की हालत तभी सुधरेगी जब शरद पवार, राहुल गांधी, अखिलेश यादव, डी. राजा और सीताराम येचुरी एक साथ आ जाएंगे, तो उन्हें सबको एक मंच पर जरूर लाना चाहिए। शायद नीतीश कुमार बिहार की बेबस जनता के कल्याण के लिए ऐसे ही किसी चमत्कार के उम्मीद में पिछले 3 दिन से दिल्ली में हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 07 सितंबर, 2022 का पूरा एपिसोड

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement