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पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में फंसा DDA, जुर्माना लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली रिज क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में डीडीए के अधिकारियों को अवमानना का दोषी ठहराया है। कोर्ट ने 3 अधिकारियों पर जुर्माना लगाया है और पुनर्वनीकरण के निर्देश दिए हैं।

Reported By : Kumar Sonu Edited By : Vineet Kumar Singh Published : May 28, 2025 01:45 pm IST, Updated : May 28, 2025 01:45 pm IST
Supreme Court DDA verdict, Delhi Ridge illegal tree cutting- India TV Hindi
Image Source : PTI FILE सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए अधिकारियों पर जुर्माना लगाया है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रिज क्षेत्र में बिना अनुमति पेड़ काटने के मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी कि DDA के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने डीडीए को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराते हुए 3 अधिकारियों पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। हालांकि, कोर्ट ने DDA के तत्कालीन वाइस चेयरमैन, जो अब इस पद पर नहीं हैं, के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई बंद कर दी है। बता दें कि यह मामला दिल्ली के रिज क्षेत्र में 1,100 से ज्यादा पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित है, जो सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (CAPFIMS) अस्पताल तक पहुंचने वाली सड़क को चौड़ा करने के लिए की गई थी।

कोर्ट में आवेदन डालने से पहले ही काट लिए थे पेड़

सुप्रीम कोर्ट ने 1996 के अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि रिज क्षेत्र में पेड़ काटने के लिए कोर्ट की पूर्व अनुमति जरूरी है। इसके बावजूद, DDA ने फरवरी 2024 में पेड़ काटे और इस तथ्य को छिपाया कि उसने 4 मार्च, 2024 को कोर्ट में अनुमति के लिए आवेदन करने से पहले ही पेड़ काट दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि DDA का यह कृत्य न केवल 1996 के आदेश का उल्लंघन है, बल्कि जानबूझकर तथ्यों को छिपाना और कोर्ट को गुमराह करना आपराधिक अवमानना के दायरे में आता है।

'इस तरह के कृत्यों को हल्के में नहीं लिया जा सकता'

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने इसे 'प्रशासनिक अतिरेक और सत्ता के दुरुपयोग' का मामला करार दिया। कोर्ट ने कहा, 'राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह के कृत्यों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला गंभीर मामला है।' कोर्ट ने DDA की आंतरिक जांच में दोषी पाए गए 3 अधिकारियों, मनोज कुमार यादव, पवन कुमार और आयुष सरस्वत पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। साथ ही, कोर्ट ने कहा कि इन अधिकारियों के खिलाफ चल रही विभागीय जांच जारी रहेगी। DDA के तत्कालीन वाइस चेयरमैन सुभासिश पांडा को इस आधार पर राहत दी गई कि वे उस समय छुट्टी पर थे और अब इस पद पर नहीं हैं।

पर्यावरणीय सुधार के लिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुधारात्मक कदम उठाने के लिए कई निर्देश जारी किए:

  1. कमेटी का गठन: कोर्ट ने 3 सदस्यों की एक विशेषज्ञ कमेटी गठित की है, जो रिज क्षेत्र में पुनर्वनीकरण (एफोरेस्टेशन) की योजना बनाएगी और सड़क के दोनों ओर घने पेड़ लगाने की संभावनाएं तलाशेगी। यह कमेटी समय-समय पर अपनी स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी।  
  2. सड़क निर्माण: DDA को निर्देश दिया गया है कि वह कनेक्टिंग सड़क का निर्माण कार्य पूरा करे, लेकिन पर्यावरणीय नियमों का पालन करते हुए।  
  3. लाभार्थियों से वसूली: कोर्ट ने कहा कि सड़क चौड़ीकरण से लाभान्वित होने वाले संपन्न लोगों की पहचान की जाए और उनसे निर्माण लागत के हिसाब से एकमुश्त राशि वसूली जाए।  

लेफ्टिनेंट गवर्नर की भूमिका पर सवाल

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने DDA से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या पेड़ कटाई का आदेश दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वी.के. सक्सेना, जो DDA के चेयरमैन भी हैं, के निर्देश पर हुआ था। हालांकि, डीडीए ने दावा किया कि LG का दौरा CAPFIMS अस्पताल से संबंधित था और उनके सचिवालय में इस दौरे का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि DDA 'उच्च अधिकारियों को बचाने' की कोशिश कर रहा है।

DDA अधिकारियों को इसलिए नहीं दी कड़ी सजा

हालांकि कोर्ट ने डीडीए के कार्य को गलत ठहराया, लेकिन यह भी माना कि सड़क चौड़ीकरण का उद्देश्य CAPFIMS अस्पताल तक आपातकालीन वाहनों की पहुंच आसान बनाना था, जो एक 'सार्वजनिक हित' का कार्य है। इस कारण कोर्ट ने अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से परहेज किया, लेकिन पर्यावरणीय क्षति की भरपाई के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और DDA को पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करने की सलाह दी है।

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