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'हर परियोजना का विरोध होगा, तो देश कैसे तरक्की करेगा', सुप्रीप कोर्ट ने NGO को लगाई फटकार, जानिए पूरा मामला

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने यहां तक कह दिया कि टेंडर हासिल करने में नाकाम रहने वाली कंपनी ने एनजीओ को फंडिंग भी की है। इसलिए मुकदमेबाजी करके परियोजना के काम में बाधा डालना काम है।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Published : Apr 01, 2025 10:21 pm IST, Updated : Apr 01, 2025 11:52 pm IST
सुप्रीम कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के जयकवाड़ी बांध में एक नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना का विरोध करने के लिए एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) को मंगलवार को फटकार लगाई। कोर्ट ने पूछा कि हर परियोजना का विरोध किया जाएगा, तो देश कैसे तरक्की करेगा। जयकवाड़ी बांध क्षेत्र को एक आरक्षित पक्षी अभयारण्य और एक पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र के रूप में नामित किया गया है। 

कोर्ट ने NGO की प्रामाणिकता पर उठाए सवाल

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने एनजीओ ‘कहार समाज पंच समिति’ की प्रामाणिकता पर भी सवाल उठाए और पूछा, 'आपको किसने खड़ा किया है और वित्त पोषित किया है? पर्यावरण संरक्षण में आपका पिछला अनुभव क्या है?' 

पीठ ने NGO की याचिका को किया था खारिज

पीठ ने एनजीओ की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के नौ सितंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी गई थी। उसने कहा कि एनजीटी ने एनजीओ की याचिका का सही आकलन किया और उसे अधिकरण के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला। 

तो देश कैसे करेगा तरक्की- SC

पीठ ने कहा, 'आप एक भी परियोजना को काम करने नहीं दे रहे हैं। अगर हर परियोजना का विरोध किया जाएगा, तो देश कैसे तरक्की करेगा? यहां तक ​​कि सौर ऊर्जा परियोजना के साथ भी आपको समस्या है।' एनजीओ की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि जयकवाड़ी बांध क्षेत्र पारिस्थितिकी के लिहाज से संवेदनशील इलाका है और इस परियोजना से वहां की जैव विविधता प्रभावित होगी।

मुकदमेबाजी कर परियोजना को बाधित करने की कोशिश

इस पर पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि टेंडर हासिल करने में नाकाम रहने वाली कंपनी ने एनजीओ को वित्त पोषित किया है। अब वह 'तुच्छ मुकदमेबाजी' में लिप्त होकर परियोजना को बाधित करने की कोशिश कर रही है। 

NGT ने मंत्रालय से जवाब मांगकर सही किया- SC

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से जवाब मांगकर सही किया, जिसने स्थिति स्पष्ट की और केंद्र की 12 जुलाई 2017 की अधिसूचना पेश की, जिसमें कहा गया है कि नवीकरणीय ऊर्जा एवं ईंधन का उत्पादन उन गतिविधियों में शामिल है, जिन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है। 

NGT की पीठ भी याचिका को कर चुकी है खारिज

एनजीटी की पश्चिमी जोन पीठ ने पिछले साल 9 दिसंबर को एनजीओ की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता (NGO) किसी भी ऐसे कानून का उदाहरण पेश करने में नाकाम रहा, जो पारिस्थितिकी के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों में इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाता है। एनजीटी ने इस बात का संज्ञान लिया था कि टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड (पूर्व में टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड), जो राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) के स्वामित्व में थी, और महाराष्ट्र सरकार के विद्युत मंत्रालय ने राज्य के संभाजीनगर जिले के पैठण तालुका के जयकवाड़ी गांव में गोदावरी नदी पर स्थित जयकवाड़ी बांध पर 'तैरता हुआ सौर ऊर्जा संयंत्र' स्थापित करने का विचार देते हुए एक निविदा जारी की है। 

एनजीओ ने टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड को बांध पर 'तैरता हुआ सौर ऊर्जा संयंत्र' स्थापित करने की योजना को रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। उसने दलील दी थी कि 'तैरता हुआ सौर ऊर्जा संयंत्र' बांध के पानी में मौजूद जलीय जीवों के लिए हानिकारक होगा और क्षेत्र में जैव विविधता को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। (भाषा के इनपुट के साथ)

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