आरक्षण को लेकर हार्दिक ने इस आंदोलन कि शुरुआत तब की जब वो खुद इसका शिकार बना। उसके पड़ोसी लड़के को कम नंबर के बावजूद सरकारी नौकरी मिल गई और वो मुंह देखता रहा। हार्दिक ने जब युवाओं की बात को मंच पर उठाना शुरू किया तो उसे मंझे हुए नेताओं ने भी तवज्जो नहीं दी।
तब हार्दिक ने बीते जुलाई में पाटीदार अनामत आंदोलन की नींव डाली। उन्होंने पटेल समुदाय के युवाओं के साथ आरक्षण के नाम पर हो रहे भेदभाव के खिलाफ बिगुल बजाते हुए पटेलों को ओबीसी का दर्जा दिए जाने की मांग की। स्कूल-कॉलेजों में दाखिले से लेकर नौकरियों में आरक्षण की इस मांग के पीछे गुजरात का पूरा पाटीदार समुदाय हार्दिक के पीछे खड़ा हो गया है।
इस आंदोलन को शक्ल देने और पटेलों के आरक्षण की मांग को मजबूत करने में पटेल समुदाय के रिटायर्ड अफसरों का भी अहम रोल रहा है।
उन्होंने साल 2011 में सेवादल से अलग होकर वीरमगाम में एसपीजी यानी सरदार पटेल सेवादल शुरू किया था। हार्दिक के पिता भाजपा पार्टी से जुड़े हुए हैं।