लोकसभा चुनाव 2024 के बीच कर्नाटक के जेडीएस (जनता दल सेक्युलर) नेता प्रज्वल रेवन्ना का मामला चर्चा में बना हुआ है। रेवन्ना पर सैकड़ों महिलाओं के साथ यौन शोषण करने का आरोप लगा है। वह हासन सीट पर जेडीएस उम्मीदवार हैं और यहां मतदान हो चुका है। हालांकि, अन्य सीटों पर जेडीएस को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। राज्य की 14 लोकसभा सीटों पर सात मई को मतदान होगा और यहां रेवन्ना का मुद्दा बड़ा असर डाल सकता है।
कर्नाटक में जेडी(एस) भारतीय जनता पार्टी की अगुआई वाले एनडीए गठबंधन का हिस्सा है। ऐसे में विपक्षी दल इस मुद्दे पर सत्ताधारी पार्टी पर भी निशाना साध रहे हैं। एनडीए गठबंधन को अन्य राज्यों में भी इस वजह से नुकसान हो सकता है। हालांकि, यह पहला मामला नहीं है, जब किसी 'सेक्स स्कैंडल' का असर राजनीति में पड़ा है। 1978 में बीजेपी नेता मेनका गांधी की पत्रिका ने एक ऐसे ही मामले का खुलासा कर बाबू जगजीवनराम की राजनीति खत्म कर दी थी। ऐसा नहीं होता तो वह देश के पहले दलित प्रधानमंत्री बन सकते थे।
बेटे ने तोड़ा पिता के पीएम बनने का सपना
1977 में जनता पार्टी सत्ता में आई तो मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह और जगजीवन राम प्रधानमंत्री बनने के दावेदार थे। मोरारजी देसाई पीएम की कुर्सी पर बैठे। जगजीवन राम रक्षा मंत्री और चौधरी चरण सिंह गृहमंत्री बने। हालांकि, जगजीवन राम और चौधरी चरण सिंह के लिए भी पीएम बनने के रास्ते खुले हुए थे। 1987 में चौधरी चरण सिंह का सपना पूरा भी हुआ, लेकिन बेटे के 'सेक्स स्कैंडल' ने जगजीवन राम का सपना तोड़ दिया।
मेनका गांधी ने किया खुलासा
1978 में सूर्या नाम की पत्रिका ने बाबू जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम के 'सेक्स स्कैंडल' का खुलासा किया। इस पत्रिका की संपादक मेनका गांधी थीं। पत्रिका में सुरेश की कई अश्लील तस्वीरें भी छापी गई थीं। कहा जाता है कि ये तस्वीरें पहले इंदिरा गांधी के पास पहुंची थीं और उनसे कहा गया कि वह ब्लैकमेल करके बाबू जगजीवन राम को अपने पाले में ला सकती हैं। हालांकि, इंदिरा ने ऐसा करने से मना कर दिया, लेकिन वहीं मौजूद मेनका ने तस्वीरों को अपनी पत्रिका में छाप दिया। इन तस्वीरों में जो महिला सुरेश के साथ थी वह उनकी कथित गर्लफ्रेंड थी और अश्लील तस्वीरें सामने आने के बाद दोनों ने शादी भी कर ली थी। हालांकि, इन सब के बीच जगजीवन राम प्रधानमंत्री पद की रेस से पूरी तरह बाहर हो गए।
अजमेर के स्कैंडल ने बदली राजनीति
1992 में अजमेर की सोफिया स्कूल से जुड़ा एक 'सेक्स स्कैंडल' सामने आया था, जिसमें 17-20 साल की 100 से ज्यादा लड़कियों का यौन शोषण होने की बात सामने आई थी। मामले के मुख्य आरोपी फारुख चिश्ती ने पहले एक लड़की फंसाया था। उसके साथ अश्लील तस्वीरें खींची और ब्लैकमेल कर फॉर्म हाउस में उसका यौन शोषण करता रहा। उस लड़की पर दबाव बनाया और दूसरी लड़कियों को भी फॉर्म लाने के लिए कहा। इसके बाद एक-एक कर 100 से ज्यादा लड़कियां इसकी शिकार हुईं और इनमें आईपीएस, आईएस की बेटियां भी शामिल थीं। शोषण करने वालों में नेता भी शामिल थे, जिनके कांग्रेस से जुड़े होने की बात कही जाती है। इस मामले में अधिकतर आरोपी एक समुदाय से थे। इस वजह से मामले ने सांप्रदायिक रंग भी लिया और 1996 में हुए चुनाव में कांग्रेस की हार में इस मामले का भी योगदान था।
बृजभूषण पर लगे आरोपों ने बढ़ाई बीजेपी की मुश्किलें
भारतीय महिला पहलवानों ने जनवरी 2023 में कुश्ती संघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे। इस मामले में लगभग एक साल तक कई टुकड़ों में देश के शीर्ष पहलवानों ने आंदोलन भी किया। इसके बाद बृजभूषण सिंह को कुश्ती से दूर होना पड़ा और इसका असर उनकी राजनीति पर भी पड़ा। गोंडा में दबदबा रखने वाले बृजभूषण की जगह उनके बेटे को टिकट दिया गया है। इससे साफ है कि इलाके में पार्टी की पकड़ उतनी मजबूत नहीं रहेगी, जितनी बृजभूषण को टिकट मिलने पर होती, लेकिन उन्हें टिकट दिया जाता तो विपक्ष राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बना सकता है और बीजेपी इस चुनाव में विवादित चेहरों से दूरी बनाए हुए है। वहीं, बृजभूषण के मामले की वजह से पंजाब हरियाणा में भी भारतीय जनता पार्टी के प्रति नाराजगी बढ़ी है। इसका असर चुनाव में दिखना तय है। अब दक्षिण भारत से उठने वाला रेवन्ना का मुद्दा सत्ताधारी पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है।
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