Thursday, April 25, 2024
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UP: पंचायत चुनाव ड्यूटी करने वाले 1621 कर्मियों की मौत का दावा, शिक्षा मंत्री ने किया इनकार

उत्तर प्रदेश के शिक्षक संगठनों ने राज्य में हाल में हुए पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, शिक्षामित्रों तथा अन्य विभागीय कर्मियों की मृत्यु का दावा करते हुए सभी के परिजन को एक-एक करोड़ रुपए मुआवजा राशि और आश्रितों को सरकारी नौकरी की मांग की है।

Bhasha Written by: Bhasha
Published on: May 18, 2021 18:47 IST
UP: पंचायत चुनाव ड्यूटी करने वाले 1621 कर्मियों की मौत का दावा, शिक्षा मंत्री ने किया इनकार- India TV Hindi
Image Source : PTI UP: पंचायत चुनाव ड्यूटी करने वाले 1621 कर्मियों की मौत का दावा, शिक्षा मंत्री ने किया इनकार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के शिक्षक संगठनों ने राज्य में हाल में हुए पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, शिक्षामित्रों तथा अन्य विभागीय कर्मियों की मृत्यु का दावा करते हुए सभी के परिजन को एक-एक करोड़ रुपए मुआवजा राशि और आश्रितों को सरकारी नौकरी की मांग की है। हालांकि, प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने इस दावे को गलत ठहराते हुए कहा है कि स्थापित मानकों के हिसाब से देखें तो चुनाव ड्यूटी के दौरान सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत हुई है। 

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने 16 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर कहा कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में पंचायत चुनावों ड्यूटी करने वाले 1,621 शिक्षकों, अनुदेशकों, शिक्षा मित्रों और कर्मचारियों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हुई है। उन्होंने बताया कि पत्र के साथ एक सूची भी संलग्न की गई है जिसके मुताबिक आजमगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 68 शिक्षकों-कर्मचारियों की मृत्यु हुई है। प्रदेश के 23 ऐसे जिले हैं, जहां 25 से अधिक शिक्षकों-कर्मचारियों की संक्रमण से मौत हुई है। 

उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप इन सभी मृत शिक्षकों/शिक्षामित्रों तथा अन्य कर्मचारियों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपए मुआवजा दिया जाए। इस बीच, उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बताया कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने वाले कम से कम 200 शिक्षामित्रों की कोविड-19 से मृत्यु हुई है। इसके अलावा 107 अनुदेशकों और 100 से ज्यादा रसोइयों की भी इस संक्रमण के कारण मौत हुई है। 

उन्होंने कहा कि सरकार अगर कायदे से पड़ताल कराए तो यह संख्या काफी ज्यादा हो सकती है। राज्य के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी ने बताया कि निर्धारित मानकों के आधार पर जिलों से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे केवल तीन शिक्षक ही थे जिनकी चुनाव ड्यूटी के दौरान मृत्यु हुई है। 

उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव कर्मियों की ड्यूटी के दौरान मौत के मामले में उनके परिजन को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति से संबंधित चुनाव आयोग की स्पष्ट नियमावली है। इसके मुताबिक अगर किसी कर्मी की चुनाव ड्यूटी के लिए रवाना होने के बाद से अपनी इस जिम्मेदारी के मुकम्मल होने के बीच मृत्यु होती है तभी उसे चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई मृत्यु माना जाता है।" 

मंत्री ने कहा, "हो सकता है कि और भी मौतें हुई हों। कोविड-19 से हजारों लोग मारे गए हैं जिनमें शिक्षक भी शामिल हैं। हमें उनकी मृत्यु पर दुख है।" उन्होंने कहा, "शिक्षक संघ ने जो सूची दी है उनमें शामिल सभी लोगों की मौत को चुनाव ड्यूटी के दौरान हुई मौत नहीं माना जा सकता क्योंकि हमारे पास इसके लिए कोई निर्धारित पैमाना नहीं है। इसके अलावा हमारे पास इसका कोई ऑडिट भी नहीं है। कोई यह कैसे बता सकता है कि वे कब संक्रमित हुए।" 

प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार पंचायत चुनाव ड्यूटी करने या उसके कुछ ही दिनों बाद मरने वाले शिक्षकों तथा अन्य कर्मियों को मुआवजा देने में दांवपेच कर रही है। उन्होंने इल्जाम लगाया कि सरकार के शासनादेश की भाषा इस तरह लिखी गई है जिससे बहुत बड़ी संख्या में पात्र परिजन इस मुआवजे से महरूम रह जाएंगे। 

शर्मा ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि कोविड-19 के लक्षण 24 घंटे में ही नजर नहीं आते बल्कि उनके सामने आने में कुछ दिनों का समय लगता है लेकिन सरकार ने अपने शासनादेश में कहा है कि पंचायत चुनाव ड्यूटी करने के 24 घंटे के अंदर जिन कर्मचारियों की मृत्यु होगी उनके परिजन को ही मुआवजा दिया जाएगा। यह सरासर अन्याय है और सरकार को संवेदनशील तरीके से सोच कर निर्णय लेना चाहिए।

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