Saturday, April 20, 2024
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सुबह के समय ही क्यों करना चाहिए अंतिम संस्कार? जानें, आचार्य विक्रमादित्य के अनुसार इसका कारण

अंतिम संस्कार के संबंध में शास्त्रों में कई बातें बताई गई हैं। कुछ लोगों के मन में भ्रांति है रहती है कि अंतिम संस्कार कब करना चाहिए? इस बारे में बता रहे हैं आचार्य विक्रमादित्य।

Poonam Yadav Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published on: December 30, 2022 17:02 IST
Acharya Vikramaditya- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM Acharya Vikramaditya

जीवन के बाद मृत्यु दुनिया का सबसे अटल सत्य है। एक न एक दिन हर व्यक्ति को अपना ये नश्वर शरीर छोड़कर यहाँ से प्रस्थान करना होता है। मृत्यु के बाद क्रियाकर्म की तमाम रस्में निभाई जाती है और पार्थिव शरीर को जल्द से जल्द पंचतत्व में विलीन किया जाता है। आचार्य विक्रमादित्य बता रहे हैं कि आखिर सुबह के समय में ही पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार क्यों करना चाहिए। 

 
आचार्य विक्रमादित्य कहते हैं, ''संस्कार के संबंध में शास्त्रों में कई बातें बताई गई हैं। कुछ लोगों के मन में भ्रांति है रहती है कि अंतिम संस्कार कब करना चाहिए? कितनी देर में किया जाना चाहिए? भारतीय संस्कृति में देशकाल परिस्थिति के अनुसार कई प्रकार के अंतिम संस्कार होते हैं। जिन्हें कराने के अलग-अलग नियम है। किनके लिए किस प्रकार के राइट की जानी चाहिए। अंत्येष्टि कैसे की जाती है, उसके लिए अनेक ग्रंथों में पूर्ण रूप से व्याख्यान उपस्थित है।''
 
आचार्य विक्रमादित्य आगे कहते हैं, ''सबसे पहले तो शास्त्र ये कहता है दिवंगत आत्म की अंत्येष्टि हमें सुबह के समय जल्दी से जल्दी पंचतत्व में विलीन कर देनी चाहिए। यदि परिस्थति अनुकूल हैं, वहां पूरा परिवार एकत्रित है, जिसके द्वारा संस्कार किया जाना चाहिए। तब जल्दी से जल्दी दिवंगत आत्मा का अंतिम संस्कार कर देना चाहिए। लेकिन अगर परिस्थिन अनुकूल नहीं है, जैसे - घर का कोई पुत्र या ज़रूरी इंसान अगर वहां मौजूद नहीं है तब शरीर को विभिन्न औषधियों के माध्यम से अंत्येष्टि करने से रोका जा सकता है।'' 

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''अंतिम दाह-संस्कार देशकाल परिस्थिति क्षेत्र के हिसाब से अपने कर्म के हिसाब से और विशेष तौर पर अपने कल्चर के हिसाब से करना चाहिए। आपका जाती किस प्रकार से है? आपका धर्म कौन सा है? आप किस वर्ण के हैं? आप जहाँ जिस देश में हैं। उसके अनुसार अंत्येष्टि करनी चाहिए। अंत्येष्टि के बाद हमारे  यहां विभिन्न व्यक्तियों के लिए अलग अलग नियम हैं। जो व्यक्ति संसारी है, उसके लिए संसार के हिसाबे से नियम हैं। जो लोग विरक्त हैं, उनके लिए विरक्ति के हिसाब से नियम हैं। जो लोग सन्यासी हैं उनके लिए सन्यास के हिसाब से नियम हैं।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। INDIA TV इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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