Friday, April 19, 2024
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Shardiya Navratri 2020: नवरात्रि का चौथा दिन, जानिए मां कुष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र और भोग

शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। अपनी मंद हंसी से ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: October 19, 2020 22:15 IST
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शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। अपनी मंद हंसी से ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है। संस्कृत भाषा में कुष्मांडा कुम्हड़े को कहा जाता है और कुम्हड़े की बलि इन्हें बहुत प्रिय है। माता का वाहन सिंह है।

मां कुष्मांडा की आठ भुजाएं होने के कारण इन्हें अष्टभुजा वाली भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र तथा गदा नजर आता है तो आठवें हाथ में जप की माला है। आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना कीविध।

मंत्र है -

'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नम:।'

आज आपको इस मंत्र का एक माला, यानी 108 बार जाप जरूर करना चाहिए। इससे आपको उचित फल प्राप्त होंगे। इसके अलावा आपको बता दूं कि नवरात्र में हर दिन ही देवी मां को कुछ न कुछ भेंट करने का विधान है। चतुर्थी यानी आज के दिन देवी को मधुपर्क, यानी शहद, मस्तक पर तिलक लगाने के लिए चांदी का एक टुकड़ा और आंख में लगाने का अंजन, यानि काजल दिया जाता है।  ऐसा करने से देवी मां अपने भक्तों से प्रसन्न रहती हैं।

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मां कुष्मांडा को लगाएं ये भोग

माता को इस दिन मालपुआ का प्रसाद चढ़ाने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही आज के दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन व वस्त्र भेट करने से धन की वृद्धि होती है।

ऐसे करें मां कुष्मांडा की पूजा

दुर्गा पूजा के चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करना चाहिए। फिर मन को अनहत चक्र में स्थापित करने हेतु मां का आशीर्वाद लेना चाहिए। सबसे पहले सभी कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करें फिर मां कूष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लेकर मां को प्रणाम कर इस मंत्र का ध्यान करें।

सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।

फिर मां कूष्मांडा के इस मंत्र का जाप करें।
या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां की पूजा के बाद महादेव और परमपिता ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद मां लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा करें।

ध्यान
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

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स्तोत्र पाठ
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम्॥

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