Sunday, May 05, 2024
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Maha Shivratri 2022: कब है महाशिवरात्रि? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू धर्म में इस महाशिवरात्रि का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन भगवान शिव की पूजा से व्यक्ति को विशेष फलों की प्राप्ति होती है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: February 16, 2022 16:38 IST
Maha Shivratri 2022- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK.COM Maha Shivratri 2022

Highlights

  • महाशिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा करने का विधान
  • जानिए महाशिवरात्रि की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि

फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का व्रत किया जाता है। हिंदू धर्म में इस महाशिवरात्रि का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन भगवान शिव की पूजा से व्यक्ति को विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च 2022, गुरुवार को मनाया जाएगा।  

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि महाशिवरात्रि दिन से ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। वहीं ईशान संहिता में बताया गया है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दश्याम आदिदेवो महानिशि। शिवलिंग तयोद्भूत: कोटि सूर्य समप्रभ:॥ फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महानिशीथकाल में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग रूप में प्रकट हुए थे।

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वहीं कई मान्यताओं में माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ है। गरुड़ पुराण, स्कन्द पुराण, पद्मपुराण और अग्निपुराण आदि में शिवरात्रि का वर्णन मिलता है। कहते हैं शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बिल्व पत्तियों से शिव जी की पूजा करता है और रात के समय जागकर भगवान के मंत्रों का जाप करता है, उसे भगवान शिव आनन्द और मोक्ष प्रदान करते हैं।

महाशिवरात्रि  का शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी।

पहला प्रहर का मुहूर्त- 1 मार्च शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक 
दूसरे प्रहर का मुहूर्त- 1 मार्च रात्रि 9 बजकर 27 मिनट से 12 बजकर  33 मिनट तक 
तीसरे प्रहर का मुहूर्त- 1 मार्च रात्रि 12 बजकर 33 मिनट से सुबह 3  बजकर 39 मिनट तक 
चौथे प्रहर का मुहूर्त- 2 मार्च सुबह 3 बजकर 39 मिनट से 6 बजकर 45 मिनट तक 
पारण समय- 2 मार्च को सुबह  6 बजकर 45 मिनट के बाद 

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महाशिवरात्रि की पूजा विधि

महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। इसके बाद ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए। साथ ही शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति देनी चाहिए। इस तरह होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें। सामान्यतया लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं। व्यक्ति यह व्रत करके, ब्राह्मणों को खाना खिलाकर और दीपदान करके स्वर्ग को प्राप्त कर सकता है।

शिवरात्रि की पूजा विधि के विषय में भी अलग-अलग मत हैं-
सनातन धर्म के अनुसार शिवलिंग स्नान के लिये रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में मधु, यानी शहद से स्नान करना चाहिए। चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी हैं-

प्रथम प्रहर में- ‘ह्रीं ईशानाय नमः’
दूसरे प्रहर में- ‘ह्रीं अघोराय नमः’
तीसरे प्रहर में- ‘ह्रीं वामदेवाय नमः’
चौथे प्रहर में- ‘ह्रीं सद्योजाताय नमः’।। मंत्र का जाप करना चाहिए।

वहीं वर्ष क्रिया कौमुदी के पृष्ठ 513 में आया है कि दूसरे, तीसरे और चौथे प्रहर में व्रती को पूजा, अर्घ्य, जप और कथा सुननी चाहिए, स्तोत्र पाठ करना चाहिए। साथ ही प्रातःकाल अर्घ्यजल के साथ क्षमा मांगनी चाहिए, लेकिन व्यक्तिगत रूप से मेरा विश्वास क्षमा मांगने में नहीं है क्योंकि क्षमा तो दूसरों से मांगी जाती है। मैंने तो खुद को शिव जी को अर्पित कर दिया है-

अहं निर्विकल्पो निराकाररूपः
विभुर्व्याप्य सर्वत्र सर्वेनिद्रियाणाम्।
सदा मे समत्वं न मुक्तिर्न बन्धः
चिदानंदरूपः शिवोऽहं शिवोऽहम्।।

अर्थात् “मैं समस्त संदेहों से परे, बिना किसी आकार वाला, सर्वगत, सर्वव्यापक, सभी इन्द्रियों को व्याप्त करके स्थित हूं, मैं सदैव समता में स्थित हूं, न मुझमें मुक्ति है और न बंधन, मैं चैतन्य रूप हूं, आनंद हूं, शिव हूं, शिव हूं”।।

 

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