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इस चीनी ऑटो कंपनी को मोदी सरकार ने दिया बड़ा झटका, अब 8,200 करोड़ की योजना अधर में लटकी

सूत्रों के मुताबिक, सरकार के स्तर पर इस प्रस्ताव के तमाम पहलुओं पर गौर करने के बाद इसे मंजूरी नहीं देने का फैसला किया।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Jul 24, 2023 16:34 IST, Updated : Jul 24, 2023 16:34 IST
EV manufacturing Plant - India TV Paisa
Photo:FILE इलेक्ट्रिक वाहन

मोदी सरकार ने चीन की इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) विनिर्माता बीवाईडी और उसकी भारतीय भागीदार मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) के एक अरब डॉलर के निवेश से इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) संयंत्र लगाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। एमईआईएल और बीवाईडी के एक संयुक्त उद्यम ने सरकार को तेलंगाना में इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन संयंत्र लगाने का प्रस्ताव दिया था। इस पर एक अरब डॉलर (लगभग 8,200 करोड़ रुपये) का निवेश किया जाना था। जानकारों का कहना है कि चीन से बिगड़ते रिश्ते के कारण भी सरकार ने चीनी कंपनियों पर सख्ती बढ़ाई है। 

तमाम पहलुओं पर गौर करने के बाद मंजूरी नहीं दी गई 

सूत्रों ने बताया कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को यह प्रस्ताव भेजा गया था। इस प्रस्ताव को जरूरी पड़ताल एवं मंजूरियों के लिए भारी उद्योग मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के पास भी भेजा गया था। सूत्रों के मुताबिक, सरकार के स्तर पर इस प्रस्ताव के तमाम पहलुओं पर गौर करने के बाद इसे मंजूरी नहीं देने का फैसला किया गया है। इस बारे में प्रतिक्रिया के लिए बीवाईडी को भेजे गए ईमेल का फिलहाल कोई जवाब नहीं आया है। उसकी साझेदार एमईआईएल ने भी इस घटनाक्रम के बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बीवाईडी फिलहाल एमईआईएल की ओलेक्ट्रा में प्रौद्योगिकी साझेदार के तौर पर जुड़ी हुई है। 

पड़ोसी देशों के निवेश प्रस्तावों पर होती है सघन जांच 

निवेश प्रस्ताव में विदेशी कंपनी के साझेदार होने से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों के तहत इसकी पड़ताल करनी जरूरी होती है। प्रावधानों के मुताबिक, भारत से जमीनी सीमा से सटे देशों से आने वाले किसी भी निवेश प्रस्ताव की सघन समीक्षा की जाती है और उसे कई मंत्रालयों की मंजूरी लेनी होती है। सरकार ने भारत से जमीन से जुड़े हुए पड़ोसी देशों से आने वाले किसी भी निवेश प्रस्ताव पर पूर्व-अनुमति को अनिवार्य कर दिया है। यह नियम चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यामां और अफगानिस्तान के लिए लागू है। भारत को अप्रैल, 2000 से लेकर मार्च, 2023 के बीच चीन से कुल 2.5 अरब डॉलर का एफडीआई मिला है।

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