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प्रदूषण की सजा सिर्फ दिल्ली को क्यों? पुरानी डीजल कारों का रजिस्ट्रेशन यूपी पंजाब में होने से कैसे साफ होगी देश की हवा!

'वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट, 2020' बताती है कि दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 22 शहर शामिल हैं।

Written by: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated : December 17, 2021 18:14 IST
प्रदूषण की सजा सिर्फ...- India TV Paisa
Photo:PTI

प्रदूषण की सजा सिर्फ दिल्ली को क्यों? पुरानी डीजल कारों का रजिस्ट्रेशन यूपी पंजाब में होने से कैसे साफ होगी देश की हवा!

Highlights

  • 1 जनवरी 2022 को 10 साल पुराने सभी डीजल वाहनों का रजिस्ट्रेशन रद्द
  • NGT ने 2016 में दिल्ली-एनसीआर में डीजल गाड़ियों पर बड़ा आदेश दिया
  • दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 22 शहर

दिल्ली एनसीआर में दमघोटू प्रदूषण से लोगों को जल्द निजाद मिल सकती है। प्रदूषण का प्रमुख कारण मानी जा रही 10 साल से पुरानी कारों का रजिस्ट्रेशन 1 जनवरी के बाद रद्द हो जाएगा। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह कार स्क्रैप कर दी जाएगी। वाहन मालिक के पास दिल्ली से बाहर इस कार का रजिस्ट्रेशन फिर से करवाने का विकल्प होगा। इसके लिए दिल्ली परिवहन विभाग एनओसी जारी करेगा। 

इसका दूसरा पहलू यह है कि दिल्ली में प्रदू​षण से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन यदि वाहन वास्तव में प्रदूषण फैला रहा है तो यह उस शहर को भी प्रदूषित करेगा जहां उसका दोबारा से रजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा। गौरतलब है कि भारत में दिल्ली के अलावा दर्जनों छोटे शहर हैं जहां प्रदूषण की स्थिति पहले से ही बेहद खराब है। इस पर दिल्ली की प्रदूषित कार यदि दूसरे शहर में उपयोग में लाई जाएगी, तो यह देश का प्रदूषण से मु​क्त करने के लक्ष्य को कैसे सफल होने देगी। 

क्या है दिल्ली सरकार का ताजा आदेश

दिल्ली सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) के आदेश का पालन करते हुए 1 जनवरी 2022 को 10 साल की अवधि पूरी करने वाले सभी डीजल वाहनों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का फैसला किया है। जिन लोगों के डीजल वाहनों के रजिस्ट्रेशन रद्द होंगे, उन्हें सरकार की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी किया जाएगा। यानि कि आपके पास इस NOC को दिखाकर डीजल वाहनों को दूसरे शहरों में फिर से रजिस्टर्ड करवाने का विकल्प दिया जाएगा। वहीं जिन डीजल वाहनों ने 15 साल की अवधि पूरी कर ली है। उन्हें किसी भी सूरत में NOC नहीं मिलेगी। ऐसे में उन गाड़ियों को हर हालत में नष्ट ही करवाना होगा।

2016 में NGT आया था आदेश

बताते चलें कि NGT ने जुलाई 2016 में दिल्ली-एनसीआर में डीजल से जुड़ी गाड़ियों (Diesel Vehicles) पर बड़ा आदेश दिया था। NGT ने कहा था कि दिल्ली में 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से ज्यादा पुरानी पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन रद्द किए जाएं। साथ ही उनका सड़कों पर उतरना भी बंद किया जाए।

भारत के छोटे शहरों में बढ़ा प्रदूषण 

इस साल मार्च में आई स्विस संगठन 'आईक्यू एयर' कर 'वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट, 2020' बताती है कि दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 22 शहर शामिल हैं। लिस्ट में दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, बुलंदशहर, बिसरख जलालपुर, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, आगरा और मुजफ्फरनगर, राजस्थान के भिवाड़ी, हरियाणा में फरीदाबाद, जींद, हिसार, फतेहाबाद, बंधवाड़ी, गुरुग्राम, यमुनानगर, रोहतक और धारुहेड़ा और बिहार में मुजफ्फरपुर शामिल हैं। 

दिल्ली में महंगा हुआ कार हैंडल करना

सरकार के फैसले का असर दिल्ली के लोगों को ही होगा। साफ हवा चाहिए तो दिल्लीवालों को अपने पुराने वाहन छोड़ने ही होगे। इस आदेश से दिल्ली वाले 10 साल पुरानी ​डीजल कार नहीं रख पाएंगे। जबकि दूसरे राज्यों में यह बंदिश लागू नहीं है। ऐसे में दिल्ली में कार रखना महंगा हो जाएगा। 

क्या चंडीगढ़ और कानपुर नहीं होंगे प्रदूषित

कानपुर में रहने वाली अनुषा बताती हैं कि ​दिल्ली से वाहनों को हटाना अच्छा कदम है। लेकिन इसे दूसरे शहरों में दोबारा रजिस्ट्रेशन की अनुमति देना ठीक वैसे ही है जैसे हम अपने घर का कूड़ा पड़ौसी के घर में फेंक देते हैं। इससे दिल्ली की हवा तो साफ हो जाएगी। लेकिन दूसरे शहर और भी प्रदूषित हो जाएंगे। वहीं चंडीगढ़ में रहने वाले कारोबारी तनुष बताते हैं कि पुराने वाहनों पर रोक राष्ट्रव्यापी होनी चाहिए। जब दिल्ली वाले प्रदूषण के लिए पंजाब की पराली को जिम्मेदार ठहराते हैं तो वे कैसे अपनी पुरानी कारें पंजाब भेज सकते हैं। 

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