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राजन के जाने पर फिच ने कहा, भारत की रेटिंग व्यक्ति नहीं, नीतियों से तय होगी

प्रमुख वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने RBI गवर्नर रघुराम राजन के जाने से भारत की वित्तीय साख पर किसी तरह की आंच आने की आशंकाओं को खारिज किया है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Published on: June 20, 2016 15:35 IST
राजन मामले पर फिच ने दिया बड़ा बयान, कहा- भारत की रेटिंग व्यक्ति नहीं, नीतियों से होगी तय- India TV Paisa
राजन मामले पर फिच ने दिया बड़ा बयान, कहा- भारत की रेटिंग व्यक्ति नहीं, नीतियों से होगी तय

नई दिल्ली। प्रमुख वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन के जाने से भारत की वित्तीय साख पर किसी तरह की आंच आने की आशंकाओं को खारिज किया है। एजेंसी ने कहा है कि व्यक्तियों से ज्यादा महत्व नीतियों का होता है। राजन ने कहा है कि वह भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख के पद पर अपने तीन साल के वर्तमान कार्यकाल का विस्तार नहीं चाहते जो 4 सितंबर को पूरा हो रहा है।

फिच ने राजन के योगदान की तरीफ करते हुए कहा, उन्होंने कई महत्वपूर्ण नीतिगत कदम उठाए है। एजेंसी का कहना है कि राजन के उत्तराधिकारी को विरासत में एक मजबूत आधार मिलेगा। फिच के एशिया प्रशांत क्षेत्र में सरकारों की वित्तीय साख का विश्लेषण करने वाले समूह के निदेशक थामस रूकमाकर ने कहा, रेटिंग की दृष्टि से व्यक्तियों की तुलना में नीतियां अधिक महत्वपूर्ण होती हैं। उन्होंने कहा है कि भारत में ऊंची मुद्रास्फीति और बैकों की बैलेंसशीट की कमजोरी की समस्याओं की पहचान कर ली गई है। नीति निर्माता इस संबंध में कार्रवाई कर रहे हैं। इसमें नई नतिगत व्यवस्था भी शामिल है। रूकमाकर ने कहा, ऐसी संस्थागत व्यवस्था के लिए जरूरी है कि इन नीतियों को गवर्नर के अलावा भी लोगों का समर्थन मिले जिसमें सरकारी अधिकारियों तथा रिजर्व बैंक के अंदर की व्यापक व्यवस्था भी शामिल हो।

फिच ने भारत को फिलहाल बीबीबी-रेटिंग दे रखी है। यह निवेश कोटि वित्तीय साख में सबसे निम्न कोटि की साख है जो रद्दी कोटि से एक पायदान ऊपर है। पर उसने भविष्य के परिदृश्य को मजबूत बताया है और अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष 2016-17 में भारत की आर्थिक वृद्धि 8 फीसदी होगी। रूकमाकर ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत में कई महत्वपूर्ण नीतिगत कदम उठाए गए हैं। इसमें गवर्नर राजन का योगदान कम नहीं है। इस मामले में अगले गवर्नर को विरासत में एक मजबूत आधार मिलेगा और उसे मुद्रास्फीति को अपेक्षाकृत नीचे रखने तथा बैंकों की बैलेंसशीट को मजबूत करने का अच्छा अवसर मिलेगा।

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