नई दिल्ली। स्टील सेक्टर में दुनियाभर में भारत का दबदबा कायम करने के उद्देश्य से मोदी सरकार स्टील क्षेत्र को प्रोत्साहन देने को लेकर प्रतिबद्ध दिख रही है। चीन दुनिया में स्टील का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसका क्रूड स्टील का उत्पादन 2018 में 92.83 करोड़ टन था, जबकि भारत इस सूची में 10.65 करोड़ टन उत्पादन के साथ दुनिया में दूसरे स्थान पर है।
केंद्र की मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था की धुरी इस्पात (स्टील) उद्योग का विकास उसी गति से करना चाहती है, जिस गति से इसकी शुरुआत मशहूर उद्योगपति और टाटा उद्योग समूह के वास्तुकार जे. आर. डी. टाटा ने की थी। इसी मकसद से स्टील सेक्टर की मौजूदा परिस्थितियों और उसकी चुनौतियों पर विचार करने के लिए 23 सितंबर को दिल्ली में एक 'चिंतन शिविर' का आयोजन किया जा रहा है।
इस चिंतन शिविर में देशभर से स्टील सेक्टर से जुड़े उद्योगपति, कारोबारी व हितधारक हिस्सा लेंगे। केंद्रीय पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं इस्पात मंत्री धर्मेद्र प्रधान इस 'चिंतन शिविर' में देश के स्टील उद्योग की मौजूदा समस्याओं को सुनेंगे और इस उद्योग को आकर्षक, सक्षम और वैश्विक स्पर्धा वाला बनाने को लेकर प्रतिभागियों के सुझावों पर विचार करेंगे।
स्टील उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश
इस्पात मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 में स्टील उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने पर बल दिया गया है, जिसके तहत इस क्षेत्र को प्रौद्योगिकी के मामले में उन्नत बनाने के साथ-साथ इसे दुनिया के बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाना है। वर्ष 2030-31 में देश में स्टील का उत्पादन बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हितधारकों को विचार-विमर्श में शामिल करना आवश्यक है, ताकि भारत के स्टील उद्योग को आकर्षक, सक्षम और दुनिया में प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में मंत्रालय द्वारा एक रोडमैप तैयार किया जा सके।'
स्टील खपत में भारत तीसरे नंबर
स्टील की खपत के मामले में चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरे स्थान पर है, लेकिन मौजूदा दौर में भारत में प्रति व्यक्ति स्टील की खपत 75 किलोग्राम है, जबकि वैश्विक औसत 225 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है। चिंतन शिविर में स्टील का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ खपत बढ़ाने सहित स्टील सेक्टर के सामने आर रही चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा