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जेपी इंफ्रा लिमिटेड की दिवाला समाधान प्रक्रिया 90 दिन में पूरी की जाए: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को जेपी इंफ्राटेक लि. की कार्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया 90 दिन में पूरी करने का आदेश दिया और कहा कि परिवर्तित समाधान योजना सिर्फ एनबीसीसी और सुरक्षा रियलटी से ही मंगायी जाएगी।

Written by: India TV Business Desk
Updated : November 07, 2019 9:46 IST
Supreme Court on JP group- India TV Paisa

Supreme Court on JP group

नयी दिल्ली। ​​उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को जेपी इंफ्राटेक लि. की दिवाला समाधान प्रक्रिया को 90 दिन में पूरा करने का आदेश दिया। न्यायालय व्यवस्था दी है कि परिवर्तित समाधान योजनाएं सिर्फ दो कंपनियों एनबीसीसी और सुरक्षा रियलटी से ही मंगायी जाएगी। न्यायालय का यह निर्णय जेपी समूह के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। 

जेपी समूह को बड़ा झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण) या राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष सुनवाई के लिए लंबित काई आवेदन या अतंरिम आदेश इन दोनों बोलीदाता कंपनियों से संशोधित समाधान योजना स्वीकार करने और उस पर आगे कार्रवाई करने के दिवाला समाधान पेशेवेर (आईआरपी) के काम में बाधक नहीं होगा। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि वह मकान खरीदारों, जेपी समूह और संबंधित बैंकों के साथ पूरा न्याय करने के लिये 'असाधारण स्थिति' में यह निर्देश दे रहे हैं। 

पीठ ने कहा कि हम दिवाला समाधान पेशेवर को निर्देश देते हैं कि इस कार्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया को आज से 90 दिन के भीतर पूरा किया जाए। दिवाला समाधान पेशेवर पहले 45 दिन में दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत सिर्फ सुरक्षा रियलटी और एनबीसीसी से संशोधित समाधान योजना आमंत्रित कर सकता है। न्यायालय ने कहा कि ये दोनों कंपनियों जेपी इंफ्राटेक के लिये अंतिम बोली लगाने वालों में शामिल थीं। न्यायालय ने कहा है कि दिवाला समाधान पेशेवर को यह छूट है कि वह इन दोनों से संशोधित योजना आमंत्रित करे और उसे कर्जदाताओं की समिति के समक्ष पेश करे और उस पर बातचीत के बाद समयसीमा के भीतर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण को सौंपे। 

पीठ ने कहा कि दूसरे चरण के 45 दिन की अवधि 21 दिसंबर, 2019 से शुरू हो रही है। इसमें किसी भी तरह की कठिनाई को दूर करने और निर्णय करने वाले प्राधिकार को उचित आदेश पारित करने के लिये समय दिया गया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस रीयल एस्टेट कंपनी को फिर से खड़ा करना जरूरी है क्योंकि इसमें 20 हजार से ज्यादा घर खरीदारों ने निवेश किया है। पीठ ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ जेपी समूह की याचिका पर यह आदेश पारित किया। 

अपीलीय न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में जेपी समूह को कर्ज में डूबी जेपी इंफ्रा लि की नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित कर दिया था। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने 30 जुलाई को जेपी इंफ्राटेक के लिये नयी बोलियां आमंत्रित करने की अनुमति देते हुये इसके प्रवर्तक जेपी समूह को इसमे हिस्सा लेने से प्रतिबंधित कर दिया था।​

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