मुंबई। टेलीविजन प्रसारण उद्योग के शीर्ष कारोबारी आपसी गलाकाट प्रतिस्पर्धा को दरकिनार करते हुए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नए शुल्क आदेश के खिलाफ एक जुट हो गए हैं। क्षेत्र के उद्यमियों का कहना है कि चैनलों की अधिकतम दर तय करने से प्रसारण सामग्रियों का सृजन व रोजगार प्रभावित होगा तथा वृद्धि धीमी पड़ेगी। प्रसारण उद्योग के संगठन इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फेडरेशन (आईबीएफ) ने कहा कि सब्सक्राइबर के लिए शुल्क कम करने का ट्राई का कदम एक तरह का सूक्ष्म नियमन है और यह उद्योग जगत का भविष्य जटिल बनाने वाला है।
आईबीएफ के अध्यक्ष एवं सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के प्रमुख एन. पी. सिंह ने कहा, 'हम स्थिर और टिकाउ नियमन व्यवस्था चाहते हैं ताकि बेहतर रणनीति बना सकें। इस तरह के कदम से सामग्रियों का सृजन व रोजगार प्रभावित होगा तथा आर्थिक वृद्धि धीमी होगी।' उन्होंने कहा कि ट्राई ने स्थापना के 15 साल में 36 शुल्क आदेश दिए हैं। उन्होंने कुछ हालिया निर्णयों को एकपक्षीय बताते हुए कहा कि बिना किसी आंकड़े या उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया जाने ही ये निर्णय लिए गए।
डिस्कवरी एशिया-पैसिफिक की मेघा टाटा ने कहा, 'ऐसे बहुत ही सूक्ष्म स्तर के नियमन क्षेत्र के भविष्य को जटिल बनाते हैं।' टीवी टूडे के अरुण पुरी ने कहा कि प्रसारण अनाज और दाल की तरह आवश्यक जिंस नहीं है, अत: बाजार में उपस्थित निकायों के पास मूल्य तय करने के अधिकार होने चाहिये। स्टार इंडिया के चेयरमैन उदय शंकर ने कहा कि इस तरह के कदम से सामग्रियों में निवेश कम होगा तथा छोटे चैनल बंद हो जाएंगे। जी एंटरटेनमेंट के मुख्य कार्यकारी पुनीत गोयनका ने सवाल उठाया कि ट्राई का यह कदम क्या नरेंद्र मोदी सरकार के कारोबार सुगमता के एजेंडे के अनुकूल है।